कानून रिव्यू/नई दिल्ली
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जेपी ग्रुप दीवालिया होने के कगार पर खडा हुआ है और जिससे उसकी मुश्किलें बढती ही जा रही है। जेपी ग्रुप से घर खरीदने वाले करीब 400 खरीदारों ने उपभोक्ता कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। खरीद्दारों ने जेपी एसोसिएट्स (जेएएल) और जेपी इंफ्राटेक के बीच संपत्तियों के ट्रांसफर की जांच कराए जाने की मांग की है। खरीद्दारों के समूह ने उपभोक्ता कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण दिए जाने की भी मांग की है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स को उसकी सहयोगी कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ चल रही दीवालियापन की कार्रवाई को देखते हुए न्यायालय के रजिस्ट्रार के पास 2,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दे रखा है।
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई का दिन 13 नवंबर निर्धारित करते हुए कहा कि अगर इस रकम को जुटाने के लिए जेपी एसोसिएट्स अपनी किसी संपत्ति को बेचना चाहती है, तो इससे पहले उसे अदालत की अनुमति लेनी होगी। इसके साथ खंडपीठ ने कंपनी के प्रबंध निदेशक और सभी निदेशकों के देश छोड़ने पर रोक लगा रखी है।
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