लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीड़ित को मुआवजा देने के लिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में बदलाव की जरूरत है। कमीशन ने ये भी कहा है कि सीआरपीसी में बदलाव कर मुआवजा और जुर्माने का प्रावधान किया जाए।
लॉ कमीशन ने इस बिल का नाम द प्रीवेंशन ऑफ टॉर्चर बिल 2017 दिया
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————–सुप्रीम कोर्ट ने टॉर्चर पर कानून बनाने के लिए सरकार को निर्देश दिए जाने से इंकार किया है। हिरासत में टॉर्चर किए जाने के मामले को लेकर पूर्व कानून मंत्री डा0 अश्वनी कुमार की ओर से एक याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त यचिका का निपटारा करते हुए कहा कि विधायिका टॉर्चर पर कानून बनाने के प्रति गंभीर दिखाई दे रही है इसलिए कानून बनाने का निर्देश नही दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम संसद को कानून बनाने के लिए कैसे आदेश दे सकते हैं। कानून बनाना संसद का अधिकार है, जब कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हिरासत में टॉर्चर को लेकर लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट दी है और जिस पर विचार हो रहा है। अश्विनी कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में हिरासत में टार्चर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संधियों के तहत नियम बनाने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करने की मांग की थी। गौरतलब है कि लॉ कमीशन ने हिरासत में टॉर्चर को लेकर नया बिल तैयार किया है। नए बिल के मुताबिक अगर कोई सरकारी अधिकारी या पुलिस वाला हिरासत में टॉर्चर करता है तो उसे उम्र क़ैद की सज़ा के साथ जुर्माना भी लगाया जाए लॉ कमीशन ने बिल को कानून मंत्रालय को दिया है। लॉ कमीशन ने इस बिल का नाम द प्रीवेंशन ऑफ टॉर्चर बिल 2017 दिया है। लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन की पुष्टि करता है जिसमें उन्होंने हिरासत में टॉर्चर को लेकर सज़ा की बात कही गई है। लॉ कमीशन ने कहा है कि भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए है। लेकिन एन्टी टॉर्चर लॉ के न होने से इस संधि का अनुसमर्थन करना बाक़ी है। 160 देश इसका अनुसमर्थन करते हैं हालांकि इससे पहले यूपीए सरकार ने टॉर्चर को लेकर एक बिल बनाया था लेकिन वो सदन से पास नही हो पाया। लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीड़ित को मुआवजा देने के लिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में बदलाव की जरूरत है। कमीशन ने ये भी कहा है कि सीआरपीसी में बदलाव कर मुआवजा और जुर्माने का प्रावधान किया जाए।