कानून रिव्यू/नई दिल्ली
पहले अखबार पत्तों पर लिखे और पढे जाते थे फिर कपडे पर लिखे और पढे जाने लगे। जब कागज का अविष्कार हुआ तो कागज पर अखबार छपने लगे। रेडियो और टीवी पर खबरें देखी और सुंनी जाने लगीं। कंप्यूट्यर का जमाना आ गया है तो अब यह सब मोबाइल, डेक्सटॉप, लैपटॉप यानी इलेक्ट्रोनिक्स डिवाइस में देख सकते हैं और पढ सकते है। वेबसाईट और यूट्यूब पर खबरों के सिलसिले ने प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक्स यानी टीवी मीडिया को एक तरह से काफी पीछे कर दिया है। सरकार ने एक नई पहल करते हुए अब इस डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने का फैसला किया है। सरकार के इस नए फैसले से जहां डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया में तेजी से परिपक्वता आएगी और वहीं दूसरी ओर मजबूती भी मिलेगी। डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाया गया है। निम्नलिखित प्रविष्टियों फिल्म्स और ऑडियो.विज़ुअल कार्यक्रम, समाचार और वर्तमान मामलों की सामग्री को शामिल करने के लिए भारत सरकार की दूसरी अनुसूची ( व्यवसाय का आवंटन ) नियमों में संशोधन किया गया है। इसमें डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया में फिल्म्स और ऑडियो.विज़ुअल कार्यक्रम, समाचार और वर्तमान मामलों की सामग्री शामिल होगी। इसका मतलब है कि नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम आदि जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल मंत्रालय के नियंत्रण में हैं। अन्य विषय जो मंत्रालय के दायरे में हैं उनमें प्रसारण नीति और प्रशासन, केबल टेलीविजन नीति, रेडियोए दूरदर्शन, फिल्म्स, विज्ञापन और दृश्य प्रचार, प्रेस, प्रकाशन, अनुसंधान और संदर्भ आदि हैं। भारत सरकार ( आवंटन व्यापार ) 300 सौ और 50 वें, 7 वेंं संशोधन नियम 2020 में डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया से संबंधित प्रविष्टियों को शामिल करने के लिए अधिसूचित किया गया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुदर्शन टीवी मामले में केंद्र ने वेब आधारित डिजिटल मीडिया पर नियमन की कमी को उजागर किया था। केंद्र ने प्रस्तुत किया था कि वेब आधारित डिजिटल मीडिया जिसमें वेब पत्रिकाएं् और वेब.आधारित समाचार चैनल और वेब.आधारित समाचार.पत्र शामिल हैं,के लिए दिशानिर्देशों को रखना आवश्यक है क्योंकि न केवल इसके पास बहुत व्यापक पहुंचे है, यह पूरी तरह से अनियंत्रित भी है।