दिवाला और दिवालियापन संहिता कानून की नियमावली
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————–केंद्र सरकार के इस नए फैसले से बैंकों के हजारों करोड रूपये डूबने से बच गए हैं। 17 अप्रैल 2018 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने वेंदाता ग्रुप को इलेक्ट्रोस्टील को अपने आधीन लेने पर हामी भर दी है। इस फैसले के बाद वेदांता किसी दीवालिया हो चुकी कंपनी को दिवाला और दिवालियापन संहिता कानून के तहत अधिग्रहण करने वाली पहली कंपनी बन गई है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल दिवाला और दिवालियापन संहिता वेदांता लिमिटेड इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले साल जून में 12 बड़े कॉरपोरेट डीफॉल्टर्स की सूती निकाली थी। ये 12 कंपनियां देश का 25 फीसदी एनपीए कवर करती है। दो साल पहले सरकार ने संसद में दिवाला और दिवालियापन संहिता कानून पास किया गया था। जिसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक को कई सारी पावर दी गई थींए जिससे जल्द से जल्द बैड लोन या एनपीए रिकवर किए जा सकें।
क्या है इलेक्ट्रोस्टील
————————इलेक्ट्रोस्टील का बकाया कर्ज 13,175.15 करोड़ था। जिसका मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लंबित था। इले्कट्रोस्टील का अधिग्रहण करने के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता कानून के नियमावली के तहत वेंदाता ने बोली लगाई। अंत वेदांता इलेक्ट्रोस्टील को 5,320 करोड़ रुपये देकर उसका अधिग्रहण करेगी। जिसमें से 1805 करोड़ रुपये इक्विटी में बाकी 3,515 करोड़ रुपये बकाया कर्ज के रूप में देगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले साल जून में 12 बड़े कॉरपोरेट डीफॉल्टर्स की सूती निकाली थी। ये 12 कंपनियां देश का 25 फीसदी एनपीए कवर करती है। इन सभी 12 कंपनियों को दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत डाला गया था। साथ ही इनके फैसले के लिए कुल 270 दिन की डेडलाइन दी गई थी, यानी कुल 9 महीने। इनमें से कुछ कंपनियों का एनपीए 45,000 करोड़ रुपये तक था। यही नहीं आरबीआई ने इसके अलावा दिसंबर में अन्य 28 कपनियों की भई लिस्ट जारी की थी।