बेटे मौते पर पिता पहुंचा कंज्यूमर कोर्ट तो सुनाया फैसला
कानून रिव्यू/दिल्ली
वर्ष 2006 में एम्स के छात्र की डेंगू से मौत होने के मामले में दिल्ली कंज्यूमर कोर्ट ने मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया है। राज किरन कमाला नाम का छात्र एम्स में सातवें सेमेस्टर में पढ़ता था। डेंगू होने पर उसे इलाज के लिए आईसीयू में भर्ती किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस पर मृतक छात्र के पिता विजय कुमार ने एम्स प्रशासन को कानून के घेरे में खडा करते हुए मुआवजे की मांग की। कंज्यूमर कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एम्स ने इस पूरे मामले को बेहद हल्के तौर पर निपटाया। ऐसा लग रहा है जैसे उनके लिए मरीज की जिंदगी की कोई कीमत ही नहीं है। कंज्यूमर कोर्ट ने परिवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि 20 साल की उम्र में अपने बच्चे को खोने वाले परिवार के दुख का हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते है। वे इस दुख से कभी बाहर नहीं आ पाएंगे। बेटे के रूप में उन्होंने उम्मीद की आखिरी किरण भी खो दी। कंज्यूमर कोर्ट ने एम्स की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए कहा कि 50 लाख का मुआवजा कोई बहुत बड़ी रकम नहीं है। गौरतलब है कि एम्स के सातवें सेमेस्टर का छात्र राज 27 सितंबर 2006 को तबीयत खराब होने पर वहां डॉक्टर के पास गया। एम्स के डॉक्टर ने उन्हें देखने के बाद फिर से हॉस्टल भेज दिया। अगले दिन एक और रेजिडेंट डॉक्टर ने जांच की और उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उसकी मौत हो गई। बेटे की मौत के बाद पिता ने कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि उनका बेटा होनहार छात्र था और बतौर डॉक्टर वह आसानी से 1.5 लाख से 2 लाख रुपये तक कमा सकता था। उन्होंने कोर्ट से 98 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर मांगे, लेकिन कोर्ट ने 50 लाख रुपये ही तय किया।