मीडिया समूह को 1 करोड रूपये क्षतिपूर्ति दिए जाने के लिए लीगल नोटिस
1 अप्रैल, 2020 को प्रकाशित एक लेख, जिसका शीर्षक था तब्लीगी जमात आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखती है। इसमें दावा किया गया है कि तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आंतकी संगठन जैसे हरकत.उल.मुजाहिदीन के साथ संबंध रखने का लंबा इतिहास रहा है। इस लेख में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषकों और भारतीय जांचकर्ताओं के अनुसार वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 के अपहरण के मामले में सामने आए आतंकवादी संगठन एचयूएम का मूल संस्थापक भी तब्लीगी जमात का सदस्य था।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
मीडिया के कुछ वर्ग द्वारा सांप्रदायिक सुर्खियों और कट्टर बयानों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि पूरे देश में जानबूझकर कोरोना वायरस फैलाने के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराया जा सके,जिससे मुसलमानों के जीवन को खतरा है। इस्लामिक विद्वानों के संगठन, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात की बैठक के सांप्रदायिकरण करने के लिए मीडिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका में कहा कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा कोविड-19 महामारी के प्रकोप को सांप्रदायिक रंग दिए जाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। इससे न केवल वैमनस्यता फैल रही है बल्कि कट्टरता को भी बढावा दिया जा रहा है, जो लोकतंत्र की जडांं के लिए खतरा है। साथ ही यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मुसलमानों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करने वाले और उनके जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरा है। ये सम्मान के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में यह भी कहा गया कि इस तरह की रिपोर्टिंग ने सांप्रदायिक दुश्मनी को भी जन्म दिया है और ऐसे समय में घृणा फैल रही है, जब कोविड-.19 के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है। एजाज मकबूल एडवोकेट के माध्यम से दायर याचिका में जोर दिया गया है कि मीडिया को मुस्लिम समुदाय के लिए पूर्वाग्रही तथ्य तोड़ मरोड़कर पेश करने की अनुमति देकर सरकार, विशेष रूप से सूचना और प्रसारण मंत्रालय, संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत भारत में सभी व्यक्तियों को कानून की समान सुरक्षा देने के अपने कर्तव्य में विफल रही है। यह भी तर्क दिया गया है कि मीडिया ने मुसलमानों को निशाना बनाने की ऐसी रणनीति का सहारा लेकर पत्रकारिता के आचरण के सभी मानदंडों का उल्लंघन किया है। इसके अलावा, इस तरह की रिपोर्टिंग केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 6 के स्पष्ट उल्लंघन में है, जो किसी भी कार्यक्रम को प्रतिबंधित करता है जिसमें धर्म या समुदायों पर हमला या धार्मिक समूहों के प्रति अवमानना या शब्द हैं या जो सांप्रदायिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं। मीडिया के कुछ वर्गों के कार्य न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए आचार संहिता और प्रसारण मानकों की पत्र और भावना के खिलाफ भी हैं, जो समाचार चैनल के लिए नियामक संस्था है। संहिता के तहत, रिपोर्टिंग में तटस्थता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना मीडिया विनियमन के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। याचिका में आग्रह किया गया है कि मीडिया को सावधानी के साथ चलने के लिए निर्देशित किया जाए। निजामुद्दीन मरकज की घटना को किसी भी तरह से सांप्रदायिक रंग देने के खिलाफ चेतावनी दी जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
तब्लीगी जमात का नाम आतंकी संगठनों से जोडने पर मानहानि का नोटिस
हफीजुल्ला खान की तरफ से प्राइम लॉ एसोसिएट्स ने यह नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि जमात के सदस्य कानून का पालन करने वाले हैं और इसके अस्तित्व के 100 से अधिक वर्षों में कानून के साथ जमात का कोई विरोधाभास नहीं रहा है। संगठन ने हमेशा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया है और किसी भी कार्यक्रम के संचालन से पहले उचित अनुमति ली गई है। नोटिस में कहा गया, तब्लीगी जमात एक अराजनैतिक सामाजिक,धार्मिक गतिविधि है जो इस्लाम और पैगंबर परंपराओं के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर काम कर रहा है। साथ ही मुसलमानों को देश के ईमानदार और जिम्मेदार नागरिकों के रूप में जीने में सक्षम बनाता है। कानूनी नोटिस 1 अप्रैल, 2020 को प्रकाशित एक लेख से संबंधित है, जिसका शीर्षक था तब्लीगी जमात आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखती है। इसमें दावा किया गया है कि तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आंतकी संगठन जैसे हरकत.उल.मुजाहिदीन के साथ संबंध रखने का लंबा इतिहास रहा है। इस लेख में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषकों और भारतीय जांचकर्ताओं के अनुसार वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 के अपहरण के मामले में सामने आए आतंकवादी संगठन एचयूएम का मूल संस्थापक भी तब्लीगी जमात का सदस्य था। नोटिस मेंं कहा गया कि जमात को कभी भी किसी भी आतंकी गतिविधि के साथ कनेक्शन होने के कारण जांच का सामना नहीं करना पड़ा है। वहीं जमात को एचयूएम से जोड़ने का उद्देश्य बिल्कुल दुर्भावनापूर्ण है। इस लेख में कहा गया है कि विकीलीक्स दस्तावेजों के अनुसार गुआंतानामो बे में अमेरिका ने 9/11 अटैक के मामले में कुछ अल.कायदा संदिग्धों को हिरासत में लिया था। जो कई साल पहले निजामुद्दीन पश्चिम, नई दिल्ली में तब्लीगी जमात के परिसर में रुके थे। नोटिस में इस मुद्दे पर कहा गया है कि यह उन संदिग्धों का संबंध तब्लीगी जमात के साथ जोड़ने का दुर्भावनापूर्ण और आधारहीन प्रयास है, जबकि इस संबंध के लिए कोई प्रूफ या सबूत नहीं है। हमारा मुविक्कल इस बात का निर्वाह अच्छे से करता है कि तब्लीगी जमात का किसी आतंकवादी संगठन के साथ कोई संबंध नहीं है। इतना ही नहीं, जमात दुनिया भर में आतंक के सभी कृत्यों की कठोर संभव शब्दों में निंदा भी करती है। लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि तब्लीगी जमात पर वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा ट्रेन कांड में 59 हिंदी कारसेवकों को जलाने के मामले में भी शामिल होने का संदेह जताया गया था, जिसके कारण राज्य में सांप्रदायिक दंगे हुए और कई लोगों की जान चली गई। इस नोटिस में कहा गया है कि गोधरा ट्रेन जलाने की घटना की जांच के लिए नियुक्त नानावती आयोग की 176 पृष्ठ की रिपोर्ट में जमात का कोई जिक्र नहीं किया है। कानूनी नोटिस में दावा किया गया है कि धार्मिक समूह को कभी भी ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है और कभी भी किसी आतंकवादी संगठन की मदद करने का आरोप भी नहीं लगा है। यह समूह दुनिया भर में आतंक के सभी कृत्यों की कठोरतम शब्दों में निंदा करता है और इस लेख का प्रकाशन भारत में तब्लीगी जमात के खिलाफ दुश्मनी पैदा करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है। इसलिए लेख न केवल मानहानी करने वाला है, बल्कि हमारे मुविक्कल की प्रतिष्ठा को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए भी प्रकाशित किया गया है। वहीं तब्लीगी जमात के सभी सदस्यों के प्रति शत्रुता और घृणा को बढ़ावा देता है जो उन्हें जोखिम में डाल रहा है। नोटिस मे उक्त मीडिया समूह से बिना शर्त माफी प्रकाशित करे, जिसमें कहा जाए कि धार्मिक संगठन का आतंकी संगठनों से कोई संबंध नहीं है। वहीं हमारे मुविक्कल को इस लेख के प्रकाशन के कारण होने वाली भयानक मानसिक पीड़ा के लिए एक करोड़ रुपए की राशि क्षतिपूर्ति के तौर पर दी जाए।