सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए रवैये पर सवाल उठाए?
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
तमिलनाडु के रॉयपुरम स्थित बाल सुधार गृह में 35 बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति एल0 नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए क्या उपाय किए गए? खंडपीठ ने इस सिलसिले में सरकार से रिपोर्ट मांगी है अब अगली सुनवाई 15 जून को करने का निर्णय लिया है। साथ ही खंडपीठ ने एक प्रश्नावली तैयार करके भी देश के सभी राज्यों को भेजी है और उनसे बाल सुधार गृहों के संबंध में आंकड़े मांगे हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए उसके रवैये पर सवाल उठाए। खंडपीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने बाल सुधार गृहों और संरक्षण स्थलों पर रह रहे बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद इतने सारे बच्चे एक साथ कैसे संक्रमित हो गए? न्यायमूर्ति राव ने कहा कि हमें बताया गया है कि बाल सुधार गृह का वार्डन कोरोना पॉजिटिव था। ऐसे में आखिर राज्य सरकार द्वारा सावधानी क्यों नहीं बरती गई? उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में बहुत से बाल सुधार गृह एवं संरक्षण स्थल हैं। वहां के क्या हालात है? वहां किस तरह के कदम कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उठाए गए हैं? क्या वहां पर कोई बच्चा कोरोना पॉजीटिव हुआ है? इस तरह की जानकारियों की एक प्रश्नावली हम राज्य सरकारों को भेज रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि देश के सभी उच्च न्यायालयों की किशोर न्याय समितियां इस प्रश्नावली का प्रसार अपने.अपने क्षेत्र में करेंगी और संबंधित बाल सुधार गृह या प्रोटेक्शन होम से सारा डाटा एकत्रित करेंगी। ये समितियां सुनिश्चित करेंगी कि सभी राज्य सरकारें मांगी गई जानकारियां उपलब्ध कराएं। यह जानकारी उसके समक्ष 6 जुलाई से पहले उपलब्ध करा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह 6 जुलाई को ग्रीष्मावकाश के बाद न्यायालय खुलने पर देश के सभी राज्यों के बाल सुधार गृहों एवं संरक्षण स्थलों में बच्चों की सुरक्षा संबंधी मसले पर सुनवाई करेगी।