सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक को अवैध करार दे चुका है और साथ ही कोर्ट ने केंद्र से तीन तलाक की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया था। सरकार ने तीन तलाक पर कानून का मसौदा तैयार किया है और साथ ही 28 दिसंबर-2017 को यह कानून लोकसभा में पेश भी कर दिया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस नए कानून का पुरजोर विरोध किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसे वापस लेने की मांग की है। जब कि मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान किया है तीन तलाक का कानून कुरान और संविधान के खिलाफ हुआ तो कतई मंजूर नही किया जाएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले कुछ महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ का पुतला फूंका और कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ महिलाओं की आवाज को दबाने का काम करता रहा है और ऐसे समय जब केंद्र सरकार तीन तलाक की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए एक कारगार और ठोस बनाने जा रही है बगैर मतलब के अडंगेबाजी लगा रहा है। अब सवाल उठ रहा है कि तीन तलाक कानून महिला अधिकारों की आवाज है या फिर शरीयत के खिलाफ एक हथियार है। यदि बात शरीयत के खिलाफ एक हथियार की जाए तो दुनियां के करीब 20 मुस्लिम देशों में तीन तलाक पहले से ही गैर कानूनी है अब यदि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तीन तलाक पर इस तरह का ठोस कानून अमल में आएगा तो, कोई बुरी बात तो है नही। जब कि एक साथ तीन तलाक को वैसे भी शरीयत में बिद्दत यानी गैर कानूनी करार दिया है। कोई भी बात यदि गैर कानूनी है ही तो मुल्क की हुकुमत यदि उस कुप्रथा को रोकने अथवा अंकुश लगाने के लिए कोई कानून बनाती है आखिर हर्ज भी क्या है। अब बात करतें हैं कि यदि यह कानून वाकई शरीयत के खिलाफ एक हथियार हैं तो मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन होगा। क्योंकि संविधान में प्रत्येक धर्म, जाति और क्षेत्र के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता का आधिकार दिया है। कोई भी सरकार किसी भी धर्म और जाति के लोगों से उनका यह मौलिक अधिकार छीन नही सकती है यदि ऐसा हो भी जाता है कोर्ट अमुक धर्म और जाति के लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बैठी हुई है। इसलिए तीन तलाक कानून पर इतना हो हल्ला आखिर किस बात के लिए है। यदि कानून अमल में आ जाने से एक वर्ग यानी महिला अधिकारों की रक्षा हो सकती है तो फिर इतना ऐतराज क्यों है और यदि शरीयत के खिलाफ कोई बात है अथवा मौलिक अधिकारों को खुला उल्लंघन हैं तो फिर कोर्ट क्यों नही चले जाते हैं। जिस प्रकार सती प्रथा जैसी कुप्रथा का अंत कानून बनाने से हुआ था। तीन तलाक जैसे बुराई पर नए कानून के अमल में आ जाने से कुछ हद तक तो अंकुश लगा जाएगा।
मौहम्मद इल्यास-दनकौरी/कानून रिव्यू
लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश किया गया
———————————————लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला बिल यानी तीन तलाक बिल पेश किया। इस बिल को जहां कांग्रेस ने स्थाई समिति को भेजने को कहा वहीं सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज किया। इस बिल पर आवैसी ने कहा कि यदि पुरुष को जेल भेजा जाता है तो गुजारे भत्ते का भुगतान कौन करेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर परामर्श प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, इजिप्ट और इंडोनेशिया में इस कानून को खारिज किया गया है। पाकिस्तान एक आतंकवादी मुल्क है और वहां भी इस कानून को खारिज किया गया है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक मुल्क में भी इंस्टैंट तीन तलाक को खारिज किया है। वहां तलाक देने से पहले नोटिस देना होता है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो एक साल की जेल हो सकती है।
कुरान के खिलाफ हुआ तीन तलाक बिल तो मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड नही करेगा मंजूर
———————संसद में तीन तलाक विधेयक पेश किए पर मुस्लिम महिला संगठनों का कहना है कि यदि यह कुरान या संविधान के विपरीत हुआ तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम वीमन पर्सनल लॉ बोर्ड की चेयरपर्सन शाइस्ता अंबर ने कहा कि निकाह एक करार है। इसे जो भी तोड़े उसे सजा दी जानी चाहिए। हालांकि यदि यह विधेयक कुरान या संविधान की भावना के अनुरूप नहीं रहा तो कोई भी मुस्लिम महिला इसे स्वीकार नहीं करेगी।
मुस्लिम महिलाओं ने फूंका पर्सनल लॉ बोर्ड का पुतला
————————तीन तलाक के मुद्दे पर कानून का विरोध कर रहे ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं ने बिगुल फूंक दिया है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले महिलाओं ने पुतल फूंक कर विरोध जताया और ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ नारेबाजी की। लॉ बोर्ड से आक्रोशित महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया।
मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक इस्लाम अब्बास ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक यानी तलाक ए बिद्दत को गैरकानूनी करार दिया है। इससे कानून बनाने के लिए सरकार का रास्ता साफ हो गया। लेकिन ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा की जा रही बयानबाजी गलत है। विरोध में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री अशफाक सैफी, महानगर अध्यक्ष इरफान कुरैशी, समीर अब्बास, मोन्टू इस्लाम खान, शहनाज, मीना, अफसाना, रिहाना शामिल रहीं।