कानून रिव्यू/नई दिल्ली
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तीन तलाक के मामले में पीडित महिलाओं के हक में फैसला आने के बाद अब मुस्लिम पारीवारिक कानून का प्रस्ताव आया है। तीन तलाक जैसे ही कुप्रथा को खत्म करने की कानूनी लडाई लडने वाली एक याचिकाकर्ता भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन बीएमएमए ने आज हिन्दू और भारतीय ईसाई विवाह अधिनियमों की तर्ज पर मुस्लिम समुदाय के विवाह और तलाक के संबंध में एक मुस्लिम पारिवारिक कानून फैमिली लॉ का प्रस्ताव रखा।
प्रस्तावित कानून का उद्देश्य बहुविवाह और एकतरफा तरीके से तलाक देने की परंपरा खत्म करना है। इसमें निकाह हलाला और मुता विवाह को भी अवैध बताया गया है और निकाह हलाला को दंडनीय अपराध बनाने को कहा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि मसौदा कानून जल्द ही लोगों से सुझाव के लिए उसकी वेबसाइट पर डाला जाएगा। मसौदा महिला सांसदों को भी भेजा जाना है।
बीएमएमए की सहसंस्थापक और याचिकाकर्ता जकिया सोमान ने कहा कि इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य हिन्दू विवाह कानून और भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम की तर्ज पर मुस्लिम समुदाय में विवाह और तलाक को संचालित करने के लिए एक कानून लाना है। बीएमएमए ने पिछले महीने मुस्लिमों के बीच तीन तलाक को शून्य, अवैध और असंवैधानिक करार देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए निराशा जताई कि सुनवाई के दौरान उनके द्वारा उठाए गए निकाह हलाला और बहुविवाह के मुद्दों पर विचार नहीं किया गया।
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