देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं और हर एक तलाकशुदा मर्द के मुकाबले 4 तलाक़शुदा औरतें हैं। 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है और 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है। वहीं 2001.2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक़ देने के मामले 40 फीसदी बढ़े हैं।
मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को दी मंजूरी
मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
नई दिल्ली
——————— तीन तलाक बिल संसद में न पास होने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को पास कराने के लिए अध्यादेश का रास्ता अख्तियार किया है और मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। यानी अब मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत मिलने वाली है। हालांकि इसके लिए मोदी सरकार को तीन तलाक अध्यादेश को 6 महीने के अंदर पास करवाना होगा। यानी सरकार को इसी शीतकालीन सत्र में अध्यादेश पास कराना होगा। मसौदा कानून के तहतए किसी भी तरह का तीन तलाक बोलकर लिखकर या ईमेल एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गैरकानूनी होगा। संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था। उसी वक्त साफ हो गया था कि मोदी सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश लाएगी। मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें ज़मानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधन भी होगा। अब इस बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था। इतना ही नहीं पुलिस खुद संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी। लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा। इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था। पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी, लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा। इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था। लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति.पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है। तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं और हर एक तलाकशुदा मर्द के मुकाबले 4 तलाक़शुदा औरतें हैं। 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है और 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है। वहीं 2001.2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक़ देने के मामले 40 फीसदी बढ़े है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते 15 दिसंबर को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को मंजूरी प्रदान की थी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर.मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था। इस समूह में वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे। 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था। प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा। चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल,एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए। इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई।