- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
——————————–त्वरित न्याय के लिए विधिक शिक्षा और न्यायपालिका में सुधार होना जरूरी है। देश के कानून में जनता का विश्वास बनाए रखने के मकसद से न्यायिक प्रक्रिया के मौजूदा हालात पर परिचर्चा करने के लिए बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी बीएआई की ओर से यहां आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन रूल ऑफ लॉ कन्वेंसन.2018 ऑन ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स के दूसरे दिन विधि विशेषज्ञों ने लोगों को जल्द इंसाफ दिलाने में आ रही दिक्कतों पर खास चर्चा की।
बीएआई के संयुक्त महासचिव रोशनलाल जैन ने समय पर इंसाफ नहीं होने पर चिंता जताई और कहा कि जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड अर्थात देर से जो इंसाफ मिलता है उसे इंसाफ नहीं मिलना कहते हैं।
इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कुछ मुकदमों का जिक्र करते हुए कानून की विसंगतियों का उल्लेख किया और न्यायिक अनुशासन की आवश्यकता पर बल दिया।
कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए मध्यस्थता को प्रोत्साहन देने की बात कही तो कुछ विधि विशेषज्ञां न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में सुधार लाने की वकालत की।
सर्वोच्च न्यान्यालय के अधिवक्ता अमन एम हिंगोरानी ने कहा कि आज जो लोग लॉ कॉलेज व यूनिवर्सिटी से डिग्रियां लेकर आ रहे हैं उनको अगर पहले से ही पेशागत प्रशिक्षण दिया जाए तो विधिक प्रणाली की कार्यपद्धति में सुधार होगा। हिंगोरानी ने त्वरित न्याय के विषय पर चर्चा में शामिल विधि विशेषज्ञों को विधिक शिक्षा में सुधार लाने की दिशा में काम करने का सुझाव दिया।
इससे पहले यहां चर्चा में हिस्सा लेते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने देश में न्यायाधीशों की कमी पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि हमारी सरकार देश के लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए न्यायपालिका की बुनियादी सुविधाओं व जरूरी प्रशिक्षणों पर ध्यान देगी।