गरीब मां को तसल्ली दी और फिर सब इंस्पेक्टर ने किया अस्पताल का अपनी जेब से करीब 11500 रूपये का पूरा भुगतान
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/कानून रिव्यू
गौतमबुद्धनगर
——————————————————पुलिस की खाकी वर्दी को देख कर लोगों के जेहन में अलग अलग ख्याल आने लगते हैं। ऐसा लगता है कि सबसे ज्यादा खतरा पुलिस से ही है। लोग पुलिस को एक तरह से खलनायक से ज्यादा कुछ नही मानते हैं, मगर मुसीबत के समय जब व्यक्ति घिरा होता है सबसे पहले यदि किसी को पुकारता है तो वह पुलिस ही होती है। संकट के समय आती भी काम पुलिस ही है। अब हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश पुलिस की। उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां आबादी के हिसाब से पुलिस की तैनाती जितनी होनी चाहिए ऐसी है नही। यही कारण है कि पुलिस की संख्या और संसाधन कम है और काम का बोझ ज्यादा है। ऐसे में पुलिस का नाता ज्यादातर विवादों से रहता है। किंतु ऐसा भी नही कि हर पुलिस वाला गलत होता है। काम का बोझ चाहे जितना हो, संसाधन चाहे जितने सीमित हो, कुछ पुलिसवाले न केवल अच्छा काम करते हैं बल्कि उनकी कोशिश रहती है कि
मद्द के लिए आने व्यक्ति को संतुष्ट किया जाए और राहत प्रदान की जाए। यदि उत्तर प्रदेश पुलिस में बात गौतमबुद्धनगर की जाए, तो यहां पुलिस व्यवस्था की तुलना राजधानी दिल्ली से की जाती है। नोएडा के अलावा ग्रेटर नोएडा शहर भी ऐसा है जहां तमाम तरह के वीआईपी और वीवीआईपी लोग निवास करते हैं। ग्रेटर नोएडा में एक कोतवाली कासना है, जो सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इस कोतवाली क्षेत्र में शहरी सेक्टर ज्यादा जुडे हुए हैं। कासना कोतवाली क्षेत्र में एक चौकी क्षेत्र, एडल्यूएचओ के नाम से है। इस चौकी क्षेत्र में करीब 31 सोसायटियां हैं जहां करीब 65000 की जनसंख्या है। एडब्ल्यूएचओ चैकी क्षेत्र में जज कालौली, निंबस, वंृदा सिटी, मीडिया विलेज, एटीएस पैराडाईज, एडब्ल्यूएचओ, हिम सागर,जलवायु विहार, सीनियर सिटीजन आदि कई बडी सोसायटियंा हैं, साथ ही सेक्टर चाई-2,3,4,5 और फाई-3,4, पी-3 आदि सेक्टर भी आते हैं। पाॅश इलाका होने के नाते यह चौकी अपने में महत्वपूर्ण है और साथ में चुनौतियां भी किसी तरह से कम नही हैं। हलकी सी यदि डाॅगी को छींक भी आ गई या फिर किसी दूसरे व्यक्ति ने बात नही मानी तो मानो इगो हर्ट हो गया। फिर न्यूसेंस के लिए पुलिस के यहां और यदि पुलिस ने उन्हें तरीके से बैठा कर उनकी बात नही सुनी तो फौरन कप्तान के यहां। झट से चौकी इंचार्ज का बौरिया बिस्तर गोल। एडब्ल्यूएचओ चैकी पर अब इस तरह की शिकायत प्रायः खत्म ही हो चली है। पुलिस कप्तान ने इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए गत 7 जनवरी 2019 को युवा और तेज तर्रार पुलिस सब इंस्पेक्टर कोमल कंुतल को इस चौकी की कमान सौंप दी। चैकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर कोमल कुंतल का साफ मानना है कि पुलिस का फर्ज होता ह,ै जनता की सुरक्षा करना। संकट और मुसीबत के समय पुलिस को पुकारा जाता है। ऐसे में पुलिस को बिना समय गवाएं मौके पर पहुंच कर राहत और बचाव कार्य में लग जाना चाहिए। सब इंस्पेक्टर कोमल कुंतल के अतीत पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 2011 में बतौर सिपाही उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए और इसी दौरान उन्हें बेस्ट कैडे्टैस के तौर पर सर्वांग सर्वोत्तम पुरस्कार जिसकी राशि 5000 होती है फिरोजाबाद में सम्मानित किया
गया। इसके बाद कोमल कंुतल सरकारी टीचिंग में आ गए। एक बार की बात हैं कोमल की पत्नी ने उन्हें उलाहना दे दिया कि क्या सब्जी का यह थैला घर के लिए उठाए चले आते हो, कोई तुम्हें पूछता भी क्या? इससे तो उनके मायके में ही ठीक है, कम से कम एसएचओ तो हैं। पत्नी का यह उलाहाने दिए जाने की बात कोमल के दिल पर चुभ गई फिर क्या था? कोमल कुंतल ने सब इंस्पेक्टर होने वाली परीक्षा की तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी। रिटीन के साथ सारे टैस्ट क्लियर हो गए मगर यह क्या कि हाईकोर्ट की ओर से आदेश आया कि यूपी में हुई दरोगा की पुलिस भर्ती पर रोक लगा दी गई है,मानो सपनों पर पानी फिर गया। किंतु एक दिन ऐसा भी आया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने इस भर्ती को बहाल कर दिया और कोमल का दरोगा बनने का सपना साकार हो उठा। फिर क्या था कोमल का गांव भवनपुरा जो कि. गोवर्धन से ०3 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित जनपद मथुरा में जिला मुख्यालय से 29 किमी की दूरी पर स्थित है,लोग झूम उठे। गांव के जो लोग कोमल को ताना देते नही थकते थे, अचानक बधाई देने लगे, क्योंकि आज इस गांव का बेटा यूपी पुलिस में दरोगा बन कर जा रहा था। गांव के प्रधान तक ने स्वागत कार्यक्रम आयोजित कराया और कोमल कंतुल के जीवन संघर्ष की कहानीं बयां की। मेरठ में प्रशिक्षण के बाद सब इंस्पेक्टर कोमल कुंतल गौतमबुद्धनगर आए और फिर नोएडा समेत कई स्थानों पर तैनाती मिली। पहली बार ग्रेटर नोएडा के कासना कोतवाली क्षेत्र की एडब्ल्यूएचओ चौकी में बतौर चैकी इंचार्ज तैनात हुए। यहां लूट के दौरान बदमाशों ने आॅटो चालक को गोली मारी दी। सब इंस्पेक्टर कोमल कुंतल ने बिना समय गवाएं ही घायल आॅटो चालक को यर्थाथ अस्पताल में भर्ती कराया। उस समय आॅटो चालक की गरीब मां बार बार यही कह रही थी कि साहब मै गरीब हूं इन मंहगे अस्पतालों में इलाज कराना बस की बात नही है। सब इंस्पेक्टर ने गरीब मां को तसल्ली दी और अस्पताल का पूरा भुगतान करीब 11500 रूपये अपनी जेब से किया, हालांकि बाद मंें उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए ले जाना पडा वहां भी सब इंस्पेक्टर ने अपनी जेब से इलाज में पूरी मद््द की। पुलिस ने बाद आॅटो चालक लूट के मामले का खुलासा करते हुए लुटेरों में सोनू शर्मा और सुमित चैहान को धर दबोचा और बरामदगी की। चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर कोमल कंुतल ने चुनौतियां और प्राथमिकताओं के सवाल पर ’’कानून रिव्यू’’ को बताया कि चैकी क्षेत्र में समूचा पाॅश इलाका आता है, जहां वीआईपी और वीवीआईपी रहते हैं। यहां समस्या तो कोई बडी नही होती है बल्कि जब पुलिस की मद्द की बात आती है, लोग यही चाहते हैं उनकी बात तहजीब से सुनी जाए और उन्हें सम्मान दिया जाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने मातहतो को ताकीद किया है कि फरियादी चाहे छोटा हो या फिर बडा सबकों सम्मान के साथ, पहले बैठने के लिए कहा जाए और फिर उनकी बात तसल्लीपूर्वक सुनी जाए, तत्पश्चात परिस्थितिनुसार कार्यवाही अथवा निस्तारण किया जाए। यहां ज्यादातर मामले न्यूसेंस के होते हैं जिन्हें आपसी सुलह समझौते अथवा काउसिलिंग के जरिए ही हल करा दिया जाता है। महिला और सडक सुरक्षा के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस बराबर गश्त करती है यदि फिर भी कोई मामला आता है तो पुलिस उसका हल निकाल कर निस्तारण करने का प्रयास करती है।