चुनावी आचार संहिता, न करें ये काम वरना आप भी जा सकते हैं जेल
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/कानून रिव्यू
नई दिल्ली
———————————————–चुनावी आचार संहिता, न करें ये काम वरना आप भी जा सकते हैं जेल। लोकसभा चुनाव 2019 का नोटिफिकेशन जारी होते ही चुनाव आयोग की मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गई है। आचार संहिता को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम के मामले भी सामने आ रहे हैं। जैसे कि कई सरकारी अधिकारियों के द्वारा आचार संहिता का हवाला देकर लोगों के कामों के मना करना भी प्रमुख है। एक आम धारणा के अनुसार ज्यादातर लोगों की मानसिकता ऐसी बन गई है कि आचार संहिता में सारे सरकारी काम बंद हो जाते हैं,लेकिन ऐसा है नहीं। आपकी जिंदगी से जुड़े जरूरी कामों पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। आइए इन अधिकारों के बारे में आपकों बताते हैं।् लेकिन अहम बात यह कि क्या नहीं करना इसका ज्यादा खयाल रखें अन्यथा आपको भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है। इन नियमों के उल्लंघन अगर कोई आम आदमी करता है, तो उस पर भी आचार संहिता के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसका आशय यह है कि अगर आप अपने किसी नेता के प्रचार में लगे हैं तब भी आपको इन नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा। अगर कोई राजनेता आपको इन नियमों के इतर काम करने के लिए कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से मना कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होगी। ज्यादातर मामलों आपको हिरासत में लिया जा सकता है।
आचार संहिता लागू होने के बाद भी नहीं रुकेंगे ये 10 काम
1ः- पेंशन बनवाना
2ः-आधार कार्ड बनवाना
3ः-जाति प्रमाण पत्र बनवाना
4ः-बिजली.पानी संबंधित काम
5ः- साफ.सफाई संबंधी काम
6ः-इलाज के लिए आर्थिक सहयोग लेने जैसे काम
7ः-सड़कों की मरम्मत का काम
8ः-चालू प्रोजेक्ट पर भी कोई रोक नहीं लगेगी
9ः-आचार संहिता का बहाना बनाकर कोई अधिकारी आपके ये जरूरी काम नहीं टाल सकता
10ः-जिन लोगों ने मकान के नक्शे के लिए पहले ही आवेदन दे दिया है उनके नक्शे पास होंगे, लेकिन इसके लिए नए आवेदन नहीं लिए जाएंगे।
आदर्श आचार संहिता के कारण इन पर रहेगी पाबंदी
1ः- सार्वजनिक उद्घाटनए शिलान्यास बंद।
2ः-नए कामों की स्वीकृति बंद होगी।
3ः- सरकार की उपलब्धियों वाले होर्डिंग्स नहीं लगेंगे।
4ः- संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में नहीं होंगे शासकीय दौरे।
5ः-सरकारी वाहनों में नहीं लगेंगे सायरन।
6ः- सरकार की उपलब्धियों वाले लगे हुए होर्डिंग्स हटाए जाएंगेण्
7ः-सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तियों के फोटो निषेध रहेंगे।
8ः-सरकार की उपलब्धियों वाले प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक और अन्य मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे।
9ः-किसी तरह के रिश्वत या प्रलोभन से बचें। ना दें, ना लें।
10ः- सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर खास खयाल रखें। आपकी एक पोस्ट आपको जेल भेजने के लिए काफी है। इसलिए किसी तरह मैसेज को शेयर करने या लिखने से पहले आचार संहिता के नियमों को ध्यान से पढ़ लें।
कोई नेता नहीं कर सकता आपको परेशान
उम्मीदवार और पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है। इसकी जानकारी निकटतम थाने में भी देनी होती है। सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को देना होती है। कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकती, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े और घृणा फैले। मत पाने के लिए रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना भारी पड़ सकता है। व्यक्ति टिप्पणियां करने पर भी चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है। किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार या भूमि का उपयोग नहीं किया जा सकताण् मतदान के दिन मतदान केंद्र से सौ मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर रोक और मतदान से एक दिन पहले किसी भी बैठक पर रोक लग जाती है। पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई सरकारी भर्ती नहीं की जाएगी। चुनाव के दौरान यह माना जाता है कि कैंडिडेट्स शराब वितरित करते हैं, इसलिए कैंडिडेट्स द्वारा वोटर्स को शराब का वितरण आचरण संहिता द्वारा मना है। चुनाव अभियान के लिए सड़क शो, रैलियों या अन्य प्रक्रियाओं के कारण कोई यातायात बाधित नहीं होनी चाहिए। चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों के आसपास चुनाव चिन्हों का कोई प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। केवल चुनाव आयोग से वैध गेट पास रखने वाले व्यक्ति को ही मतदान बूथ पर जाने की अनुमति होगी। हेलीपैडए मीटिंग ग्राउंड, बंगले, सरकारी गेस्ट हाउस इत्यादि जैसी सार्वजनिक जगहों पर उम्मीदवारों द्वारा एकाधिकार नहीं किया जाना चाहिए। इन स्थानों को प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों के बीच समान रूप से उपयोग किया जाना चाहिएण् प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों और उनके प्रचारकों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के जीवन का सम्मान करना चाहिए। उनके घरों के सामने सड़क शो या प्रदर्शन आयोजित करके परेशान नहीं करना चाहिए। नियम उम्मीदवारों को इसे ध्यान रखने के लिए कहता है। मतदान पर्यवेक्षकों के पास मतदान में किसी भी मुद्दे के बारे में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
दागी उम्मीदवार विज्ञापन देकर बताएंगे. हां मैं अपराधी हूं
उम्मीदवारों पर कोई भी क्रिमिनल केस दर्ज है तो वो उसे छिपा नहीं पाएंगे। छिपाना तो दूर अब तो अखबार और टीवी पर विज्ञापन देकर खुद ही बताना होगा कि मैं अपराधी हूं। लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार खबरदार हो जाएं। अगर उम्मीदवारों पर कोई भी क्रिमिनल केस दर्ज है तो वो उसे छिपा नहीं पाएंगे। छिपाना तो दूर अब तो अखबार और टीवी पर विज्ञापन देकर खुद ही बताना होगा कि मैं अपराधी हूं और मैरे ऊपर फलां.फलां केस दर्ज हैं। विज्ञापन भी कोई एक बार नहीं, तीन बार देना होगा। तभी आपकी उम्मीदवारी सही मानी जाएगी।् ऐसा न करने पर चुनाव आयोग आपके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है। इतना ही नहीं सियासी दलों को भी अपने उम्मीदवारों के इस तरह के विज्ञापन टीवी और अखबार में देने होंगे। नेशनल इलेक्शन वाच और एडीआर की एक रिपोर्ट पर गौर करें तो 2014 की लोकसभा में हर तीसरे सांसद पर क्रिमिनल केस दर्ज था। रिपोर्ट बताती है कि जनता द्वारा चुनकर संसद पहुंचे कुल 34 प्रतिशत 186 सांसदों ने अपने श्पथ पत्र में खुलासा किया था कि उन पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। वहीं 2009 की संसद में ऐसे सांसदों की संख्या थी 30 प्रतिशत थी। वहीं एक रिपोर्ट ये भी बताती है कि देशभर में 4856 विधायक और सांसद अपराधिक केस वाले हैं। इनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर केस दर्ज हैं। एडीआर के अनुसार ही पिछले पांच साल में पार्टियों ने महिलाओं पर आपराधिक मामले वाले 334 लोगों को टिकट दिया। इनमें से 40 लोकसभा और 294 विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी थे। इस दौरान महिलाओं पर आपराधिक मामले वाले 122 निर्दलीयों ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े।