कानून रिव्यू/दिल्ली
दिल्ली के स्कूलों में सीसीटीवी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने दिल्ली सरकार के स्कूलों की कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने और माता.पिता को इसकी लाइव फीड प्रदान करने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर नोटिस जारी किया है। तीसरे वर्ष की कानून छात्रा अंबर टिक्कू द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि इससे किशोर उम्र के छात्र मनोवैज्ञानिक दबाव में आएंगे और ये उनके लिए मानसिक आघात होगा। इस याचिका में 11 सितंबरए 2017 को कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरा लगाने और 1 दिसंबरए 2017 को माता.पिता को लाइव फीड प्रदान करने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में कह गया है किए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्णय थोपा गया था, जो कि 11.09.2017 को एक आपातकालीन बैठक में लिया गया था, जिसे दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने कथित तौर पर दिल्ली एनसीआर के स्कूलों में बाल दुर्व्यवहार की घटना के आधार पर निर्धारित किया था। उन्होंने कहा है कि डेटा सुरक्षा के प्रावधान के साथ.साथ छोटे बच्चों पर भी उक्त प्रतिष्ठानों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के विचार के बिना और इस तरह के कोई शोध अध्ययन किए बिना उक्त निर्णय लिया गया। इसके अलावा यह निर्णय लेने से पहले माता.पिता या शिक्षकों की कोई सहमति नहीं ली गई। सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और आईडी और पासवर्ड के साथ किसी को भी उसका लाइव फीड प्रदान करना युवा लड़कियों की सुरक्षा को खतरे में डालता है, साथ ही ये महिला शिक्षकों के खिलाफ भी घूरने और पीछा करने की घटनाओं को जन्म देगा। वकील सृष्टि कुमार की मदद से वकील जय देहदराई ने तर्क दिया कि 1.5 लाख सीसीटीवी कैमरे कक्षाओं से लाइव स्ट्रीमिंग प्रदान करेंगे। बच्चे मनोवैज्ञानिक दबाव में होंगे। यह याचिका एडवोकेट.ऑन.रिकॉर्ड मनीषा अंबवानी के माध्यम से दायर की गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि सरकार का निर्णय न्यायमूर्ति पुट्टस्वामी सेवानिवृत्त और अन्य बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के सीधे उल्लंघन में है, जिसने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में समान रूप से बरकरार रखा है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा हैए इसके अलावा उक्त निर्णय इंडियन होटल एंड और रेस्टॉरेंट एसोसिएशन व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले का भी उल्लंघन है जिसमें सीसीटीवी की स्थापना को निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला माना गया है।