- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
तीन दर्जन और कंपनियों का मामला भेजा गया है। एनसीएलटी को कहा गया है कि इन मामलों को दिसंबरए 2017 तक निपटा कर एनपीए के स्तर को घटाने में मदद की जाए। हालांकि अभी तक इन मामलों में कोई खास प्रगति नहीं है। इसके पीछे एनसीएलटी में उपयुक्त प्रोफेशनलों की कमी भी एक बड़ी वजह है। आईबीसी के बनने के बाद एनसीएलटी में कुल 300 मामले भेजे जा चुके हैं।
……………………………..दिवालियां कानून में संशोधन की तैयारी शुरू हो चुकी है। ऐसा लगता है कि फंसे कर्जे यानी एनपीए को कम करने के लिए सरकार की तरफ से जो अमोघ अस्त्र चलाया गया था वह भी कुछ काम नहीं कर रहा। कुछ महीने पहले जब इंसॉल्वेंसी एंड बैंकिंग कोड ;आईबीसी लागू किया गया तो माना गया कि यह 9,5 लाख करोड़ रुपये के बैंकों के फंसे कर्जे की समस्या का अंतिम समाधान निकाल लेगा।
लेकिन छह महीने में यह साफ हो गया है कि आईबीसी के मौजूदा स्वरूप में भी कई सारी खामियां हैं जिससे फायदे कम आने वाले दिनों में मुश्किलें ज्यादा हो सकती हैं। लिहाजा सरकार ने अब आईबीसी में संशोधन में सुझाव के लिए एक इंसॉल्वेंसी लॉ कमिटी बनाई है जो दो महीने में अपने सुझाव देगी। ऐसे में आशंका इस बात की है कि आइबीसी के तहत कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों की परिसंपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया और लंबित होगी। सरकार की तरफ से गठित समिति में कंपनी कार्य विभाग के सचिव अध्यक्ष होंगे। उनके साथ वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक के कुछ अधिकारी भी शामिल होंगे। सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब इस तरह की खबरें आ रही थी कि बैंकों को कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियां ही अपनी जब्त परिसंपत्तियों को दूसरे तरीकों से खरीदने की जुगत में लगी थी। माना जा रहा है कि नई समिति ऐसे प्रावधान लाएगी जिससे एक ही प्रवर्तक को अपनी जब्त परिसंपत्तियों को रोकने की व्यवस्था हो। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस बारे में अमेरिका, ब्रिटेन समेत अन्य देशों के मौजूदा दिवालिया कानून में अपनाये गये प्रावधानों को देखना होगा। आरबीआइ ने एक दर्जन ऐसी कंपनियों की सूची बनाई है जिनसे कर्ज वसूली की जानी है। इन कंपनियों में बिजली, स्टील जैसे क्षेत्रों की कई दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। इन सभी का मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ;एनसीएलटी को आरबीआइ की तरफ से सौंपा गया है।
इसके अलावा भी तीन दर्जन और कंपनियों का मामला भेजा गया है। एनसीएलटी को कहा गया है कि इन मामलों को दिसंबरए 2017 तक निपटा कर एनपीए के स्तर को घटाने में मदद की जाए। हालांकि अभी तक इन मामलों में कोई खास प्रगति नहीं है। इसके पीछे एनसीएलटी में उपयुक्त प्रोफेशनलों की कमी भी एक बड़ी वजह है। आईबीसी के बनने के बाद एनसीएलटी में कुल 300 मामले भेजे जा चुके हैं।