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दिसंबर-2019 के प्रथम सप्ताह में दायर होगी बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि विवाद में रिव्यू पिटीशन

27.11.2019 By Editor

कानून रिव्यू/उत्तर प्रदेश

बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिव्यू पिटीशन दायर किए जाने की बात कही गई थी। अब यह रिव्यू पिटीशन दिसंबर-2019 के प्रथम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में रिव्यूट पिटीशन दायर करने जा रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वो दिसंबर-2019 के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में 9 नवंबर के फैसले पर रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा है कि अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए दिसंबर के पहले सप्ताह के दौरान बाबरी मस्जिद मामले में एक रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रहे हैं। मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का फैसला कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा। सभी मुस्लिम संगठन एक ही पृष्ठ पर हैं। उधर 26 नवंबर-2019 ही सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने फ़ैसला किया है कि वो बाबरी मस्जिद.रामजन्म भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला मानेगा और इसके खिलाफ कतई रिव्यू पिटीशन दायर नही करेगा। हालांकि बोर्ड ने अभी इस बात पर फ़ैसला नहीं किया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत मस्जिद के लिए पांच एकड़ ज़मीन ली जाए या नहीं। इस पर फ़ैसले के लिए बाद में बैठक बुलाई जाएगी। अयोध्या मामले पर लखनऊ में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की बैठक 26 नवबर-2019 को हुई। बोर्ड के सात सदस्यों में से छह सदस्यों ने रिव्यू पिटीशन न दायर करने पर सहमति दी। 40 दिन तक लगातार मैराथन सुनवाई के बाद अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने 9 नवंबर-2019 को फैसला दिया था। राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि.बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया और आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने को कहा है।

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