मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/कानून रिव्यू
नई दिल्ली
दीपों के पर्व दीपावली की रात दस बजते ही उसका एक बड़ा हिस्सा सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने लगा। 23 अक्तूबर का आदेश कि सिर्फ रात आठ से दस के बीच ही पटाखे फोड़े जाएंगे, धुआं-धुआं हो चुका था। सुप्रीम कोर्ट की इच्छा अब सुप्रीम नहीं रही। जिन लोगों ने भी दस बजे के बाद पटाखे फोड़े हैं या तो वे वाकई मासूम थे या फिर जान रहे थे कि वे क्या कर रहे हैं. ये लोग परंपरा के भी अपराधी हैं और संविधान के भी अपराधी हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश व्यावहारिक नहीं था ? सरकार अगर आदेशों को लागू न करे तो सुप्रीम कोर्ट का हर आदेश ग़ैर व्यावहारिक हो सकता है। एक दिन ये नेता यह भी कह देंगे कि सुप्रीम कोर्ट का होना ही व्यावहारिक नहीं है। हमें जनादेश मिला है, फैसला भी हमीं करेंगे. पटाखे न छोड़ने का आदेश 23 अक्तूबर को आया था, मगर भीड़ की हिंसा पर काबू पाने का आदेश तो जुलाई में आया था। कोर्ट ने ज़िला स्तर पर पुलिस को क्या करना है, इसका पूरा खाका बना दिया था।0 फिर भी दशहरे के बाद बिहार के सीतामढ़ी में क्या हुआ. पुलिस ने जिस रास्ते से मूर्ति विसर्जन का जुलूस नहीं ले जाने को कहा था, भीड़ उसी इलाके से ले जाने की ज़िद पर अड़ गई। दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया. अस्सी साल के जैनुल अंसारी को भीड़ ने पीट-पीट कर मार दिया। भीड़ की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन महीने बाद भी एक बुज़ुर्ग मार दिया गया। मार देने के बाद ज़ैनुल अंसारी के शव को जलाने की भी कोशिश हुई. क्या अब हम ये कहेंगे कि भीड़ की हिंसा काबू नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू ही नहीं हो सकता. क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कहना चाहते हैं? इसलिए सवाल यह नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश व्यावहारिक था। सवाल यह है कि जिन पर आदेश लागू कराने की ज़िम्मेदारी है क्या उनकी भाषा और करतूत संवैधानिक है? क्या प्रधानमंत्री ने पटाखे नहीं छोड़ने की अपील की?, क्या किसी भी मुख्यमंत्री ने पटाखे न छोड़ने की अपील की? सरकार के पास अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने का ढांचा और इरादा नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट को ही सरकार से पूछ लेना चाहिए कि हम आदेश देना चाहते हैं पहले आप बता दें कि आप लागू करा पाएंगे या नहीं।
फोड़े हैं पटाखे तो हो सकती है ये सज़ा
वकीलों का कहना है कि आईपीसी की धारा 188 जमानती है लेकिन ट्रायल चलता है। दोषी पाए जाने पर छह माह की कैद या एक हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। इस दीपावली अगर आपने रात 10 बजे के बाद पटाखे फोड़े हैं तो छह महीने तक की कैद या एक हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। रात दस बजे के बाद पटाखे चलाने पर कोर्ट की रोक के बावजूद दिल्ली.एनसीआर में लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े हैं और जिससे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ गया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पटाखे जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर आइपीसी की धारा 188 सरकारी आदेश को न मानना के तहत मामला दर्ज होता है और यह जमानती धारा है, थाने से ही जमानत मिल सकती है। इस धारा के उल्लंघन पर मैजिस्ट्रेट के सामने ट्रायल चलता है। दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की कैद या एक हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। यह मामला जमानती जरूर है, लेकिन समझौतावादी नहीं है। आकडों के मुताबिक गौतमबुद्धनगर में 31 लोगों को कोर्ट की अवमानना करने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया। उन्हें जमानत दे दी गई,् ये लोग 10 बजे के बाद पटाखे चला रहे थे। ईस्ट दिल्ली इलाके में 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे के बीच आवाज करने वाले पटाखों पर पूरी तरह से रोक रहेगी।् रिहायशी इलाके में दिन के समय 55 डिसाइबल और रात के समय 45 डिलाइबल से ज्यादा शोर मचाना गैर कानूनी बताया गया है। जबकि कई क्षेत्रों में पटाखों से शोर 125 डेसिबल तक हुआ। डॉक्टरों का कहना है कि मनुष्य के कान 80 डेबिबल तक बर्दाश्त कर लेते हैं।