6 अक्तूबर 2014 को झकझोर देने वाली घटना हुई थी। 7 साल की बच्ची के साथ दुराचार हुआ था। आरोपित कोई और नहीं रिश्ते का मामा सिंधी था। दुराचारी ने बच्ची को किस करने के दौरान जोर से काटा था। बच्ची की जीभ का एक टुकड़ा अलग होकर गिर गया था, जो मौके पर ही पड़ा मिला था। शोर मचाने पर गला दबाकर बच्ची की हत्या का भी प्रयास किया था। बच्ची बोलने में असमर्थ है। इसी सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
कानून रिव्यू/आगरा
आगरा के विशेष न्यायाधीश पोक्सो ऐक्ट वीके जायसवाल ने एक दुराचारी मामा सिंधी को मरते दम तक जेल में रखने की सजा सुनाई है और साथ ही ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में चार्जशीट दुराचार के प्रयास की धारा में प्रस्तुत की गई थी और कोर्ट ने घटना को दुराचार ही माना। बच्ची के परिजनों को सजा की जानकारी हुई तो उनकी आंखें भर आईं। बच्ची मामा के किए की सजा आज तक भुगत रही है। वह बोल भी नहीं पाती है। गौरतलब है कि पुलिस लाइन मार्ग पर 6 अक्तूबर 2014 को झकझोर देने वाली घटना हुई थी। 7 साल की बच्ची के साथ दुराचार हुआ था। आरोपित कोई और नहीं रिश्ते का मामा सिंधी था। दुराचारी ने बच्ची को किस करने के दौरान जोर से काटा था। बच्ची की जीभ का एक टुकड़ा अलग होकर गिर गया था, जो मौके पर ही पड़ा मिला था। शोर मचाने पर गला दबाकर बच्ची की हत्या का भी प्रयास किया था। बच्ची बोलने में असमर्थ है। इसी सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। दुराचारी सिंधी काजीपाड़ा स्थित एक जूता फैक्टरी में काम किया करता था। रात को वहीं पर सो जाता था। शराब पीने की उसकी आदत से घरवाले परेशान थे। वह खाना खाने के लिए कभी किसी के घर चला जाया करता था, तो कभी किसी के घर। वह अक्सर बच्ची के घर भी जाया करता था। बच्ची उसे मामा बोलती थी, इसलिए घरवालों को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि वह ऐसा घिनौना कार्य करेगा। राक्षस बन जाएगा। दुराचारी सिंधी की गिरफ्तारी भी उस समय बहुत नाटकीय अंदाज में हुई थी। घटना के बाद वह मौके से भाग गया था। पूरी रात उसकी तलाश में दबिश का सिलसिला चला रहा था। उस समय मनीषा सिंह सीओ कोतवाली थीं। मधुर मिश्र थाना नाई की मंडी प्रभारी थे। लक्ष्मी सिंह डीआईजी रेंज थी। डीआईजी सूचना मिलते ही खुद मौके पर आई थीं। उन्होंने पुलिस से साफ बोल दिया था कि रात में ही आरोपित चाहिए। कहीं से भी खोजकर लाए। पुलिस ने आरोपित के एक.एक परिचत और रिश्तेदार के घर दबिश दी थी। आखिरी में पुलिस को पता चला कि सिकंदरा क्षेत्र में आरोपित का एक दोस्त रहता है वह वहां जा सकता है। पुलिस दोस्त के घर पहुंच गई। उसे भी पकड़ लिया। दोस्त के घरवालों से कहा कि सिंधी आएगा तो उसे भगाना नहीं है। कुछ भी खिला देना। बेहोश कर देना। पुलिस को तत्काल सूचना करना। दोस्त के घरवालों ने ऐसा ही किया था। वह वहां पहुंचा था। छत पर सोने चला गया था। घरवालों ने उसे नींद की दवा खिला दी। वह बेहोश हो गया। सूचना मिलते ही सिकंदरा पुलिस वहां पहुंच गई थी। आरोपित को कब्जे में ले लिया था। इतने गंभीर अपराध में तत्कालीन एसओ नाई की मंडी मधुर मिश्र ने विवेचना में घोर लापरवाही बरती थी। घटना की गंभीरता को कम करने के लिए आरोपित का चालान दुराचार के प्रयास की धारा में किया गया था। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया। अपने आदेश में कोर्ट ने लिखा है कि विवेचक को कानून का ज्ञान नहीं है। कोर्ट ने सतर्कता से साक्ष्यों का विवेचन नहीं किया गया होता तो इसका अनुचित लाभ अभियुक्त को प्राप्त हो गया होता। इसके लिए विवेचक एसआई मधुर मिश्र जिम्मेदार होते। अदालत ने अपने आदेश में गंभीर टिप्पणी भी की है। विशेष न्यायाधीश पोक्सो ऐक्ट वीके जायसवाल ने आदेश में लिखा है कि अभियुक्त व पीड़िता के परिवार के बीच विश्वास का रिश्ता कायम था। अभियुक्त ने इस रिश्ते को तार.तार करते हुए 7 वर्षीय बच्ची के साथ काम वासना में अंधे होकर बलात्कार जैसा घृणित अपराध किया है। अभियुक्त द्वारा अत्यंत गंदा व घिनौना कृत्य किया गया है। अभियुक्त के इस कृत्य से एक 7 साल की बच्ची का जीवन प्रभावित हुआ। उसे इतनी छोटी आयु में मानसिक व शरीरिक पीड़ा से गुजरना पड़ा। अभियुक्त देखने मे भी एक लंबा चौड़ा तथा हष्टपुष्ट व्यक्ति है। समाज में इस प्रकार की घटनाओं की वृद्धि हो रही है। नाबालिग बच्चियों की अस्मिता व इज्जत से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस अभियुक्त का कृत्य भी एक ऐसा कृत्य है, जिससे सामाजिक मान मर्यादा तार.तार होती है। पूरा समाज व मानवता शर्मसार होती है।