राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई को 46 वें चीफ जस्टिस के पद की शपथ दिलाई
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस बन गए हैं। शपथ लेने के बाद पहले ही दिन जस्टिस रंजन गोगोई के सख्त तेवर देखने को मिले। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट में तभी जल्द सुनवाई के लिए आ सकते हैं, जब किसी को फांसी होने वाली हो, कोई मरने वाला हो या फिर कोई डिमोलेशन जैसी कार्रवाई का मामला हो। वहीं नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई. के सख्त रुख को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने गौतम नवलखा मामले में जल्द सुनवाई की मांग करने का फैसला भी टाल दिया है। वहीं चीफ जस्टिस ने पहले ही दिन एक याचिका खारिज कर दी। यह याचिका बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय द्वारा चुनाव सुधार को लेकर दाखिल की गई थी। दरअसल जब सुनवाई हो रही थी, तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अश्वनी उपाध्याय द्वारा अपने वकील को कुछ समझाने पर नाराजगी जाहिर की।.उन्होंने कहा कि खुद आप पेटिशनर इन पर्सन नहीं हैं लेकिन इस तरह कैसे वकील को समझा सकते हैं.आपकी याचिका इसी आधार पर खारिज की जाती है। अश्वनी उपाध्यय ने अपनी याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार को चुनावी याचिकाओं के जल्द निपटारे, हाईकोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई छह महीने या साल में पूरी करने के लिए अतिरिक्त जजों की नियुक्ति के निर्देश दिए जाएं। बुधवार को शपथ लेने के बाद पहली बार चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने पहली मेशनिंग को मना किया और कहा कि मेंशनिंग के लिए पहले पेटिशन फाइल करना ज़रूरी होगा। जस्टिस गोगोई ने कहा कि बहुत अर्जेंट मैटर ही मेंशन किए जा सकेंगे। चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में कहा कि जब तक पैरामीटर तय नहीं होते, कोई मेंशनिंग नहीं होगी। जब तक कि मामला सही में ही अर्जेंट ना हो.जैसे कि कल किसी को मौत की सजा हो रही हो या जेल हो रही हो। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के सामने जल्द सुनवाई की मांग होती है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कार्यकाल नवंबर 2019 तक रहेगा
जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के 46 वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद की शपथ दिलवाई। बतौर चीफ जस्टिस गोगोई का कार्यकाल 13 महीनों का होगा जो कि नवंबर 2019 में समाप्त होगा। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गोगोई के सीजेआई बनने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस दीपक मिश्रा के विदाई समारोह में बोलते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा था कि उनका सबसे बड़ा योगदान सिविल लिबर्टी के मामले में है और उनके कई अच्छे फैसलों का ज़िक्र किया। चीफ जस्टिस गोगोई असम के रहने वाले हैं और उन्होंने एनसीआर पर सुनवाई के लिए बने स्पेशल बेंच की अध्यक्षता भी की है। सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों में वह शामिल रहे हैं। सार्वजनिक विज्ञापन के जरिए राजनेताओं के महिमामंडन के खिलाफ भी जस्टिस गोगोई फैसला दे चुके हैं। साथ ही जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने 12 जनवरी 2018 को एक अप्रत्याशित प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के कामकाज के तरीके और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए थे। 18 नवंबर 1954 को जन्मे जस्टिस गोगोई ने 1978 में वकालत शुरू की थी। उन्होंने संवैधानिक टैक्सेशन और कंपनी मामलों में गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबे समय तक वकालत की। उन्हें 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में ही परमानेंट जज के रूप में नियुक्त किया गया। 9 सितंबर 2010 को जस्टिस गोगोई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया। 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 23 अप्रैल 2012 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त किया गया।्