तीन तलाक, कश्मीर में धारा-370 हटाने जैसे कई बडे फैसलों के बाद अब जनसंख्या नियंत्रण कानून की भी बारी
जो व्यक्ति इस जनसंख्या नियंत्रण कानून का उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद होना चाहिए। इसके साथ ही जनसंख्या नियंत्रण कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लड़ने तथा राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने पर भी आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए। ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल, हॉस्पिटल सहित अन्य सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिए और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए।
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
————————————————————–नरेंद्र मोदी सरकार तीन तलाक, कश्मीर में धारा-370 हटाने जैसे कई बडे फैसलों के बाद अब जनसंख्या नियंत्रण पर भी एक बडा फैसला लेने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताई तो अब भविष्य में सरकार की ओर से जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की अटकलें लगने लगीं हैं। इन अटकलों को और बल तब मिला, जब जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुके बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय प्रजेंटेशन देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे। उन्होंने पीएमओ में लंबा.चौड़ा प्रजेंटेशन भी दे दिया। अश्विनी उपाध्याय ने प्रजेंटेशन में कहा कि अटल बिहारी सरकार की ओर से 2000 में गठित वेंकटचलैया आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की सिफारिश की थी। मगर 2004 के चुनाव में हार के चलते एनडीए सरकार के बाहर होने से यह कानून नहीं बन सका। चूंकि आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट गृह मंत्रालय से जवाब मांग चुका और इस पर 3 सितंबर को सुनवाई है। उपाध्याय ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून किसी अंतरराष्ट्रीय संधि या मानवाधिकार का उल्लंघन भी नहीं करता। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग यानी वेंकटचलैया आयोग ने 2 वर्ष की मेहनत के बाद संविधान में आर्टिकल 47। जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आज तक लागू नहीं किया गया। जब कि अब तक 125 बार संविधान संशोधन हो चुका है, कई बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है। सैकड़ों नए कानून बनाए गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि हम दो-.हमारे दो कानून से देश की 50 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो जाएगा। संबंधित आयोग में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे। पूर्व अटॉर्नी जनरल केशव परासरन तथा सोली सोराब, लोकसभा के महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा, सांसद सुमित्रा, वरिष्ठ पत्रकार सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ठ नौकरशाह आबिद हुसैन भी इस आयोग के सदस्य थे। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी। इसी आयोग के सुझाव पर मनरेगा, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाए गए लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं हुई। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दिए अपने चार पेज के प्रजेंटेशन में कहा कि मौजूदा समय 124 करोड़ भारतीयों के पास आधार है। लगभग 20 प्रतिशत नागरिक ;विशेष रूप से बच्चे, बिना आधार के हैं तथा 5 करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं। इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की जनसंख्या 135 करोड़ नहीं बल्कि 150 करोड़ से ज़्यादा है और हम चीन से आगे निकल चुके हैं। यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग 2 प्रतिशत और पीने योग्य पानी 4 प्रतिशत है लेकिन जनसंख्या 20 प्रतिशत है। यदि चीन से तुलना करें तो क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है लेकिन जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है। चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते है। देश में मौजूद जल जंगल जमीन, रोटी कपड़ा मकान और गरीबी बेरोजगारी भुखमरी आदि समस्याओं के पीछे जनसंख्या विस्फोट को कारण बताया गया है। टेम्पो बस और रेल में भीड़, थाना तहसील और जेल में भीड़ तथा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। चोरी डकैती झपटमारी घरेलू हिंसा तथा महिलाओं पर शारीरिक मानसिक अत्याचार ही नहीं बल्कि अलगाववाद कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है। चोर, डकैत, झपटमार, बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80 प्रतिशत से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके मां.बाप ने हम दो-.हमारे दो नियम का पालन नहीं किया। इससे स्पष्ट है कि भारत की 50 प्रतिशत से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है। प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पिछले 5 साल में बहुत से प्रयास भी किए गए हैं लेकिन जनसख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इसका मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है इसलिए चीन की तर्ज पर एक कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान का शत.प्रतिशत सफल होना मुश्किल ही नहीं भी नामुनकिन है। पीएमओ को दिए प्रजेंटेशन में यह भी तर्क दिया गया कि जब तक 2 करोड़ बेघरों को घर दिया जाएगा तब तक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जाएंगे। इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसंख्या नियंत्रण कानून की तर्ज पर संसद में कानून पेश करना चाहिए, जो व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद होना चाहि। इसके साथ ही जनसंख्या नियंत्रण कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लड़ने तथा राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने पर भी आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए। ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल, हॉस्पिटल सहित अन्य सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिए और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए।