रामजेठ मलानी वकालत के एक युग का अंत
कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
वकालत की दुनिया में अपनी मेहनत से
रंग जमाने वाले रामजेठमलानी अब इस दुनिया में नही रहे हैं। भारत के प्रसिद्ध वकील रामजेठ मलानी का आज 8 सितंबर-2019 की सुबह निधन हो गया। 95 वर्षीय राम जेठमलानी ने केंद्रीय कानून मंत्री और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी भूमिका का निर्वाहन कार्य किया था। जेठमलानी ने अपने करियर में कई हाई प्रोफाइल आपराधिक मामलों में पैरवी की और उन्हें आपराधिक कानून के विशेषज्ञ के रूप में देखा जाता था। यदि रामजेठमलानी के अतीत पर गौर करें तो पता चलता है कि उनका जन्म 14 सितंबर, 1923 को वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था। उन्होंने 17 साल की उम्र में कानून की डिग्री प्राप्त की। विभाजन के बाद, वह कानूनी पेशे को जारी रखने के लिए मुंबई चले आए। उन्होंने 1959 में सनसनीखेज नानावटी मामले में अपनी उपस्थिति के साथ सुर्खियों बटोरी। इसके बाद, उन्होंने आपराधिक कानून के क्षेत्र में खुद का नाम बनाया। वे हाई प्रोफाइल मामलों में शामिल रहे। वे इंदिरा गांधी हत्या मामले में बचाव पक्ष के वकील थे, इसके अलावा उनके बड़े केस में हर्षद मेहता स्टॉक स्कैम केस, केतन पारेख केस, हवाला केस
में लालकृष्ण आडवाणी का बचाव, असंगत संपत्ति मामले में जयललिता का बचाव, 2 जी घोटाला मुकदमे में कनिमोझी का बचाव, मनु शर्मा का बचाव शामिल है। जेसिका लाल का मामला, चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव का बचाव भी उन्होंने किया। 2017 में, उन्होंने कानूनी पेशे से सेवानिवृत्ति की घोषणा की। राजनीतिक पृष्ठभूमि पर गौर करें तो पता चलता है कि जेठमलानी 1988 में राज्यसभा के सदस्य बने। तब से, वे देश के राजनीतिक मोर्चे में सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिसके बाद वे 1996 में वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री बने। अटल बिहारी वाजपेयी के दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्हें 1998 में केंद्रीय शहरी मामलों और रोजगार मंत्री का पोर्टफोलियो दिया गया था, लेकिन 13 अक्टूबर 1999 को, उन्हें फिर से केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। हालांकि, उन्हें भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, एएस आनंद और भारत के अटॉर्नी जनरल, श्री सोली सोराबजी के साथ मतभेदों के बाद प्रधान मंत्री द्वारा इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। उन्हें तत्कालीन गृह मंत्री, लाल कृष्ण आडवाणी के आग्रह पर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उनके परिवार में उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। उनके बेटे महेश जेठमलानी जाने-माने वकील हैं। उनकी बेटी रानी जेठमलानी, जो एक वकील भी थीं, उनका निधन 2011 में हुआ। राम जेठमनाली भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले वकील के रूप में जाने जाते थे, उन्होंने वकालत में पेशेवर रवैये को गहरा किया था। जब क्लाइंट को बचाने की बात आती तो उन्हें किसी का डर नहीं होता था।