अगर 15 से 18 साल की बीवी से उसका पति संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नही माना जाएगा
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
———————–सुप्रीम कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार माने जाने का ऐतिहासिक फैसला दिया है। यह फैसला निश्चित ही बच्चों के लिए दुरूह परिस्थितियों में एक नई लकीर खींचने जैसा है. भारत जैसे देश में, जहां बच्चों से संबंधित तमाम मापदंड इतने गंभीर रूपों में व्याप्त हैं, वहां इसका असर बहुत दूरगामी होने वाला है, लेकिन इस फैसले के पहले के कई और पड़ाव हैं, जिन्हें हल किए बिना बच्चों को सम्मान और सुरक्षा देना वास्तव में मुश्किल ही होगा। देखा जाए तो इस फैसले के लागू किए जाने के पहले ही देश के एक और कानून बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का उल्लंघन हो चुका होता है। इसका उल्लंघन करने पर भी कड़े प्रावधान किए गए हैं, लेकिन हर साल सरकार खुद ही यह बताती है कि उसने देश में लाखों बाल विवाह होने से रोके हैं. इसका मतलब तो यही है कि कम उम्र में बच्चों का विवाह इस देश का एक भारी संकट है, जिसे सुधारना कभी प्राथमिकता में नहीं रखा गया है। भारत की जनगणना 2011 भी यह बताती है कि देश में 51,57,863 लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र पूरी होने से पहले ही हो गया. यह संख्या छोटी नहीं है। सवाल यह है कि इन विवाहों के लिए कौन जिम्मेदार है. तय उम्र से पहले विवाह करने के लिए दोषी किसे माना जाएगा, और यदि इस निर्णय में परिवार और दूसरे अन्य लोगों का निर्णय भी है, तो बलात्कार का दोषी भी किसे-किसे माना जाएगा। भारत के एक और कानून किशोर न्याय अधिनियम को भी इससे जोड़कर जरूर ही देखना होगा, जिसमें 18 साल से पहले की उम्र के लोगों द्वारा विधि विवादित कार्य किए जाने पर उनके साथ बड़ों जैसा व्यवहार नहीं किया जाता। फैसले में कहा गया है कि यह अपराध होने पर नाबालिग पत्नी को एक साल के अंदर शिकायत दर्ज करानी होगी। अदालत ने कहा है कि शारीरिक संबंधों के लिए उम्र 18 साल से कम करना असंवैधानिक है. यह फैसला आईपीसी की उस धारा 375 (2) के संदर्भ में है, जिसमें कहा गया है कि अगर 15 से 18 साल की बीवी से उसका पति संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नही माना जाएगा, जबकि बाल विवाह कानून के मुताबिक शादी के लिए महिला की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए।