कोरोना से बचने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही शुरू करेगा
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
नॉवेल कोरोना वायरस .19 के फैलने से मुकाबला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट लोगों के संपर्क से बचने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही शुरू करेगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने देश में कोरोना प्रकोप के मद्देनजर न्यायालयों के कामकाज के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करने के लिए रविवार शाम एक तत्काल बैठक बुलाई । जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस यू0यू0 ललितए जस्टिस, डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव इस बैठक में शामिल हुए। देश के प्रमुख डॉक्टर जैसे एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, आईसीएमआर के डॉक्टर बलराम भार्गव के साथ.साथ अन्य महत्वपूर्ण डॉक्टरए जो फोर्टिस, अपोलो और मेदांता आदि विभिन्न अस्पतालों के प्रमुख हैं, इस बैठक में शामिल हुए। चीफ जस्टिस बोबडे ने घोषणा की कि न्यायालयों को पूर्ण रूप से बंद नहीं किया जा सकता है और जैसा कि आभासी अदालतें शुरू होने वाली है, केवल वर्तमान परिस्थितियों में सीमित शट डाउन की संभावना हो सकती है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि बार और बेंच की कोई भी मांग को बैठक में मेडिकल सलाह के अधीन किया जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि सोमवार के लिए केस सूची पहले ही प्रकाशित की जा चुकी है और इसलिए जो मेडिकल सलाह मांगी गई थीए उस प्रणाली को सुगम बनाने के लिए बाध्य हैं, जो कि 16-.03-2020 के कामकाज के संबंध में अब तक तय की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ई.समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द लोगों से लोगों का संपर्क वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अदालती कार्यवाही शुरू करने से कम हो जाएगा। दूसरा प्रत्येक पक्षकार के वकील के लिए अलग कमरे सुप्रीम कोर्ट परिसर में उपलब्ध कराए जाएंगे। ् किसी भी वकील को केवल एक साधारण आवेदन डाउनलोड करना होगा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत की कार्यवाही को एक्टिव करना होगा, जो कि उसके कार्यालय से की जा सकती है। अदालत की कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंस से शुरू होने पर, पत्रकारों की सुविधा के लिए दोनों प्रेस लाउंज में स्मार्ट टेलीविज़न होंगे। ई.फाइलिंग दिन के किसी भी समय यानी 24/7 किया जा सकती है। अदालती कार्यवाही और फाइलिंग प्रक्रिया जल्द ही डिजिटल और पेपरलेस हो जाएगी। वर्चुअल कोर्ट रूम और ई.फाइलिंग के लॉन्च से पहले से बात की जाएगी। बैठक में चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा जारी एक आम चिकित्सा सलाह इस प्रकार है। अदालत में प्रवेश करने की मांग करने वाले सभी व्यक्तियों से एक घोषणा पत्र भरवाया जाए। क्या व्यक्ति विशेष रूप से किसी भी अधिसूचित देश में विदेश यात्रा की है? ;और उस व्यक्ति के किसी भी अधिसूचित देश का दौरा करने के मामले में उसे अदालत में किसी भी तरह की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। क्या व्यक्ति को पिछले एक या दो दिनों से कोई खांसी या सर्दी है? क्या उस व्यक्ति के पास किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में है? उपर्युक्त घोषणा प्रपत्रों को प्रवेश स्तर के सभी प्रवेशकों द्वारा भरा जाना चाहिए। ् लक्षण वाले लोगों को आत्म संयम रखने और न्यायालय में न आने का अनुरोध करें। ण् कोर्ट के परिसर में सांस लेने,छींकने के शिष्टाचार वीडी पोस्टर से जागरूकता प्रकाशित करें और उसके वीडियो सोशल मीडिया पर प्रचारित करें। प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैन स्थापित/ लगाए जाएं। इसके अलावाए मास्क प्रभावी साबित नहीं हो क्योंकि रोगियों से निपटने वाले चिकित्सा कर्मचारियों द्वारा उचित मास्क का सही और उचित तरीके से उपयोग किया जाता है। सभी कोर्ट रूम, गलियारों, शौचालयों आदि में सैनिटाइटर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। व्यक्तियों के बीच न्यूनतम दूरी की बनाए रखना। अत्याधिक संयमित होना। तरल साबुन से हाथ धोने को बढ़ावा दें, क्योंकि बहुत से लोगों को सैनिटाइज़र से हाथ धोने के सही तरीके का सही ज्ञान नहीं है। ् शौचालयों में पेपर नैपकिन/् टिश्यू का उपयोग बंद किया जाए और हैंड ड्रायर्स लगाए जाएं। ् हाथ धोने के आठ उचित चरणों को बताना और बढ़ावा देना।