नॉलेज पार्क ऐरिया किया जा चुका है घोषित नो- टोबेको जोन
कानून रिव्यू/ग्रेटर नोएडा
—————————ग्रेटर नोएडा स्थापित नॉलेज पार्क को एक मेगा एजुकेशन हब मना जाता है यहां पर यूनिवर्सिटीज के साथ दर्जनों की संख्या में इंजिनियिरिंग, मैनेजमेंट, पैरा मेडिकल कॉलेज, होटल मैनेजमेंट आदि कॉलेज हैं। देश के दूर दराज क्षेत्रों के अलावां विदेशांं से भी यहां से छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण के लिए आते हैं। हाल में गौतमबुद्धनगर प्रशासन द्वारा इस एजुकेशन यानी नॉलेज पार्क ऐरिया को नो-टोबेको यानी तंबाकू निषेध जोन घोषित किया गया है। वैसे ग्रेटर नोएडा के इस एजुकेशन हब में नशे का कारोबार तेजी से फलता फूलता रहा है। एजुकेशन हब होने के नाते यहां सबसे ज्यादा छात्र नशे की चपेट में रहे हैं। जिसका जीता जागता सुबूत पुलिस के रिकार्ड से मिल ही जाएगा। पुलिस के गुड वर्क में इन स्थानों से गांजा आदि नशीले पदार्थो के पकडे जाने की खबरें आती रहती हैं। चितंनीय यह भी है एजुकेशन हब होने नाते देश के दूर दराज स्थानों से शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले युवा यहां पर नशे की दलदल में फंसते ही जा रहे हैं। हाल में गत 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर गौतमबुद्धनगर के डीएम की ओर से इस एजुकेशन में तंबाकू निषेध कर दिया गया है। पुलिस ने तंबाकू की दुकान लगाए बैठे लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की है। नॉलेज पार्क के थाना प्रभारी प्रभात दीक्षित ने ’कानून रिव्यू’ को बताया कि नॉलेज पार्क ऐरिया को नो-टोबेको जोन घोषित किया है। पुलिस टोबेकों बेचने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं। नॉलेज पार्क ऐरिया में गलगोटिया कॉलेज, आईटीएस, जीएल बजाज और शारदा यूनिवर्सिटी जैसे कई स्थानों पर खोखा पटरी बना गुटखा पान, बीडी और सिगरेट बेचने में लगे हुए थे। इन खोखा पटरी दुकानों को तत्काल बंद कर दिया गया है साथ ही मौके पर मिले तंबाकू आदि पदार्थो को जला कर खत्म करा दिया जाता है। उन्होंने बताया कि नो-टोबेको जोन में गुटखा, पान मसाला, बीडी आदि तंबाकू से बने उत्पादों के बेचते हुए पकडे जाने पर 200 रूपये जुर्माना किया जाने का प्रावधान है साथ ही जो भी तंबाकू उत्पाद मिलते है उन्हें नष्ट कराया जाता है। उन्होंने बताया कि नॉलेज पार्क ऐरिया से अभी तक 35 लोगों के खिलाफ तंबाकू बेचने के मामले में कार्यवाही की जा चुकी है और साथ ही करीब आधा दर्जन लोगों के खिलाफ तुगलपुर में गांजा बिक्री को लेकर कार्यवाही की जा चुकी है।
क्यों है जरूरी है, तंबाकू निषेध
———————————-तंबाकू चबाने या धुम्रपान के द्वारा होने वाले सभी परेशानियों और स्वास्थ्य जटिलताओं से लोगों को आसानी से जागरुक बनाने के लिए पूरे विश्व भर में एक मान्यता.प्राप्त कार्यक्रम के रुप में मनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पहली बार विश्व तंबाकू निषेध दिवस को आरम्भ किया गया। रोग और इसकी समस्याओं से पूरी दुनिया को मुक्त बनाने के लिए डबल्यूएचओ द्वारा विभिन्न दूसरे स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जैसे एड्स दिवस, मानसिक स्वास्थ्य दिवस, रक्त दान दिवस, कैंसर दिवस आदि। इसे पहली बार 7 अप्रैल 1988 को डबल्यूएचओ की वर्षगांठ पर मनाया गया और बाद में हर वर्ष 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई। डबल्यूएचओ के सदस्य राज्यों के द्वारा वर्ष 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रुप में इसका सृजन किया गया था। बढ़ती मांग के अनुसार 7 अप्रैल 1988 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस कहे जाने वाले एक वार्षिक कार्यक्रम को मनाने के लिए 15 मई 1987 को डबल्यूएचओ द्वारा एक प्रस्ताव पास हुआ था। तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक् जो बाद में 31 मई 1989 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रुप में मनाना तय किया हुआ। तंबाकू के सेवन से हर वर्ष 10 में कम से कम एक व्यक्ति की मौत जरुर हो जाती है जबकि पूरे विश्व भर में 1.3 बिलियन लोग तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। 2020 तक 20.25ः तंबाकू के इस्तेमाल को घटाने के द्वारा हम लगभग 100 मिलीयन लोगों की असामयिक मृत्यु को नियंत्रित कर सकते हैं। जो कि सभी धुम्रपान विरोधी प्रयासों और कदमों को लागू करने के द्वारा मुमकिन है जैसे तंबाकू के लिए टीवी या रेडियो विज्ञापन पर बैन लगाया जाए। बढते खतरों को देखते हुए प्रभावकारी लोक जागरुकता अभियान की शुरुआत और सार्वजनिक जगहों में धुम्रपान को रोकने की जरुरत है। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 1995 में लगभग 37.6 प्रतिशत धुम्रपान करने वाले लोगों की संख्या थी जबकि 2006 में ये संख्या 20.8 प्रतिशत रह गई। ये ध्यान दिया गया कि चीन में 50 प्रतिशत पुरुष धुम्रपान करते हैं। हरेक देश की सरकार को इस बुरी स्थिति के प्रभाव को कम करने के लिये राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरुरत है।