वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फेयरवेल में रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता की दो टूक
देश का लीगल सिस्टम अमीरों और ताकतवरों के पक्ष में हो गया है। जज शुतुरमुर्ग की तरह अपना सिर नहीं छुपा सकते, उन्हें समस्याएं पहचाननी होंगी और उनसे निपटना होगा।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता बुधवार को रिटायर हो गए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए फेयरवेल दिया रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता ने अपने संबोधन में न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश का लीगल सिस्टम अमीरों और ताकतवरों के पक्ष में हो गया है। जज शुतुरमुर्ग की तरह अपना सिर नहीं छुपा सकते, उन्हें समस्याएं पहचाननी होंगी और उनसे निपटना होगा। न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब किसी जज को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से फेयरवेल दिया गया हो। इस दौरान जस्टिस गुप्ता ने कहा कि कोई अमीर सलाखों के पीछे होता है तो कानून अपना काम तेजी से करता है लेकिन, गरीबों के मुकदमों में देरी होती है। अमीर लोग तो जल्द सुनवाई के लिए उच्च अदालतों में पहुंच जाते हैं मगर गरीब ऐसा नहीं कर पाते। दूसरी ओर कोई अमीर जमानत पर है तो वह मुकदमे में देरी करवाने के लिए भी उच्च अदालतों में जाने का खर्च उठा सकता है। उन्होंने कहा कि देश को न्यायपालिका पर बड़ा विश्वास है। मेरा मतलब है कि हम ऐसा बार बार कहते हैं लेकिन उसी समय हम शुतुरमुर्ग की तरह अपना सिर नहीं छुपा सकते और कहें कि न्यायपालिका में कुछ नहीं हो रहा है। हमें समस्याएं पहचाननी होंगी और उनसे निपटना होगा। इस संस्थान की ईमानदारी ऐसी है कि उसे किसी भी हालत में दांव पर नहीं लगाया जा सकता। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से आने वाले जस्टिस दीपक गुप्ता ने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी। वर्ष 2004 में वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जज बने थे और बाद में वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। तीन साल से अधिक समय तक शीर्ष अदालत में जज रहे।