-कानून रिव्यू/पटना
पटना हाई कोर्ट ने शहाबुद्दीन और उसके साथियों की उम्रकैद की सजा बरकार रखी है। पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद शहाबुद्दीन के अलावा राजकुमार साह, मुन्ना मियां और शेख असलम की उम्रकैद की सजा भी बरकरार रखी है। बिहार के बहुचर्चित तेजाब कांड में पटना हाई कोर्ट ने मोहम्मद शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। तेजाब कांड में सीवान की स्पेशल कोर्ट शहाबुद्दीन को दो साल पहले ही सजा सुना चुकी है। इसी सजा के खिलाफ शहाबुद्दीन ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 30-8-2017 को फैसला आना था। पटना हाईकोर्ट ने 30 जून 2017 को ही शहाबुद्दीन की सजा पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। सिवान की विशेष कोर्ट ने 11 दिसंबर 2015 को तेजाब हत्याकांड में फैसला सुनाते हुए मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजकुमार साह, मुन्ना मियां और शेख असलम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में तेजाब कांड में जान गंवाने वाले युवकों की मां कलावती देवी ने 16 अगस्त 2004 को सीवान के थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
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क्या है तेजाब कांड
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16 अगस्त 2004 को बिहार के सीवान के कारोबारी चंदा बाबू जमीन विवाद के निपटारे के लिए पंचायत में थे।. पंचायत में ही कुछ लोगों ने उन्हें मारने की धमकी दी।. पंचायत में उनके साथ मारपीट भी हुई. विवाद बढ़ता देख चंदा बाबू अपने घर आ गए और वे पत्नी और बेटों के साथ कहीं भागने लगे, तभी वहां कुछ बदमाश आ गए।. चंदा बाबू ने घर में रखे तेजाब को बदमाशों पर फेंककर अपनी और अपने परिवार की जान बचाई थी।
आरोप है कि उसी शाम चंदा बाबू के दोनों बेटों गिरीश राज उर्फ निक्कू और सतीश राज उर्फ सोनू को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया था. इसके बाद सीवान शहर के चौराहे पर दोनों पर तेजाब डालकर उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 16 जून 2014 को सीवान के डीएवी कॉलेज मोड़ पर चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव रौशन की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में शहाबुद्दीन और उनके पुत्र ओसामा नामजद अभियुक्त हैं।
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खास बातेंः-
1.- 16 अगस्त 2004 को सीवान में दो भाइयों की हुई थी हत्या
2.- शहाबुद्दीन के इशारे पर तेजाब से नहलाकर हुई थी हत्या
3.- चंदा बाबू के तीसरे बेटे की 2014 में गोली मारकर हुई हत्या
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