उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में फैमिली कोर्ट का आदेश
अमित कुमार राणा/मुजफ्फरनगर
गुजारा भत्ता देने का आदेश अभी तक अदालतें पतियों को ही देती रही हैं। किंतु अब मुजफ्फरनगर में फैमिली कोर्ट ने पति को गुजारा भत्ता देने का पत्नी को आदेश दिया है। गुजारा भत्ता का भुगतान किए जाने की पति की याचिका पर फैमिली कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर पत्नी को 1000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि खतौली के नागर कॉलोनी निवासी किशोरी लाल सोनकर का विवाह 1990 में कानपुर निवासी मुन्नी देवी के साथ हुआ था। मुन्नी देवी कानपुर स्थित रक्षा अनुसंधान विकास संगठन में चतुर्थ श्रेणी पद पर कार्यरत थी। वर्ष 1999 में दोनों के बीच मनमुटाव होने पर किशोरी लाल खतौली लौट आए थे। कुछ माह पूर्व मुन्नी देवी भी नौकरी से सेवानिवृत्त हो गई। वर्ष 2013 में बेरोजगार किशोरी लाल ने फैमिली कोर्ट में दो में प्रार्थना पत्र देकर नौकरी पेशा पत्नी मुन्नी देवी से गुजारा भत्ता का भुगतान कराने की गुहार लगाई थी। आखिर 7 साल तक चली सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट की जज तृप्ता चौधरी ने आदेश जारी किया कि मुन्नी देवी प्राप्त होने वाली 12000 प्रतिमाह पेंशन की धनराशि में से गुजारा भत्ता के रूप में 1000 प्रति माह का भुगतान पति किशोरीलाल को करें। वहीं किशोरी लाल ने बताया कि उनकी पत्नी मुन्नी देवी ने कानपुर के कोर्ट में उनके विरुद्ध झूठा मुकदमा दायर किया था। जिसमें उसने उन पर दूध में जहर मिलाकर पिलाने का आरोप लगाया था। लेकिन कोर्ट ने सुनवाई कर उन्हें बरी कर दिया था। किशोरी लाल का कहना है कि उनकी पत्नी रोजगार पर थी और वह घर का काम संभालते थे। लेकिन पत्नी से अलग होने के बाद उन्हें रोटी के भी लाले पड़ गए थे। कई कई दिन भूखा रहना पड़ता था। फैमिली कोर्ट में उन्होंने गुजारा भत्ता भुगतान की गुहार लगाई थी। लेकिन सुनवाई लंबी चलने के कारण मजबूर होकर उन्हें चाय की दुकान खोल कर ही पेट पालना पड़ा।
किशोरी लाल का कहना है कि उनकी पत्नी रोजगार पर थी और वह घर का काम संभालते थे। लेकिन पत्नी से अलग होने के बाद उन्हें रोटी के भी लाले पड़ गए थे। कई कई दिन भूखा रहना पड़ता था। फैमिली कोर्ट में उन्होंने गुजारा भत्ता भुगतान की गुहार लगाई थी। लेकिन सुनवाई लंबी चलने के कारण मजबूर होकर उन्हें चाय की दुकान खोल कर ही पेट पालना पड़ा।