पीठ की धैर्य की सीमा खत्म हो गई। इस शख्स के आचरण को अदालत की अवमानना माना गया। अदालत ने शख्स के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया और दिल्ली पुलिस को उसे हिरासत में लेकर अदालत लाने को कहा। आखिर उक्त शख्स को जेल को हवा खानी पडी। पीठ ने लगभग एक महीने के बाद मामले की तारीख तय की लेकिन इस बार शख्स ने जेल के अंदर से ही बकाया धनराशि का भुगतान चैक के माध्यम से कर दिया। वकीलों ने पत्नी को भी सूचित किया और उसे बकाया राशि लेने के लिए अदालत में मौजूद रहने का अनुरोध किया।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
———————– कोर्ट के आदेश के बावजूद पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता नही दे रहा था। जब जेल पहुंच गया तो वहीं से चैक काट द्वारा बकाया राशि का भुगतान कर दिया। एक शख्स जो साल 2017 की जनवरी से कई अदालती आदेशों के बावजूद अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दे रहा था। उसने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर जेल भेजे जाने के बाद बकाया राशि देने के लिए जेल से ही चेक काट दिया। उत्तर प्रदेश के रहने वाले इस शख्स को पहली बार जनवरी 2017 में पत्नी को गुजारा भत्ता के लिए 4.75 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। जब शख्स ने आदेश का पालन नहीं किया तो पत्नी ने अदालत की अवमानना की याचिका दायर की और सितंबर 2017 में उस व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसके बाद मामले में तारीख दर तारीखें पड़ी। फिर अदालत ने एक डेडलाइन तय की। इसके बाद कोर्ट ने अक्टूबर 2018 में उसे व्यक्तिगत पेशी का समन भेजा और उसके वकीलों को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। कोर्ट की इस झिड़की के बाद ही उसने मुआवजे की पहली किस्त जारी की। अदालत ने बाकी के एक लाख रुपये जमा करने तक उस व्यक्ति को सुनवाई की हर तारीख पर मौजूद रहने का निर्देश दिया, लेकिन उसने अगले तीन महीनों में हुई पांच सुनवाई के दौरान केवल 35,000 रुपये का भुगतान किया। इसके बाद उसने व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहने के आदेशों के बावजूद अदालत में आना ही बंद कर दिया। इसके बाद जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ की धैर्य की सीमा खत्म हो गई। इस शख्स के आचरण को अदालत की अवमानना माना गया। अदालत ने शख्स के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया और दिल्ली पुलिस को उसे हिरासत में लेकर अदालत लाने को कहा। आखिर उक्त शख्स को जेल को हवा खानी पडी। पीठ ने लगभग एक महीने के बाद मामले की तारीख तय की लेकिन इस बार शख्स ने जेल के अंदर से ही बकाया धनराशि का भुगतान चैक के माध्यम से कर दिया। वकीलों ने पत्नी को भी सूचित किया और उसे बकाया राशि लेने के लिए अदालत में मौजूद रहने का अनुरोध किया।