सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म रिलीज संबंधी पिटीशन खारिज की
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————–फिल्म पद्मावती अपने तय समय 1 दिसंबर 2017 को ही रिलीज होने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग संबंधी पिटीशन खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने अभी इस फिल्म को सर्टिफिकेट जारी नहीं किया है। वह एक इंडिपेंडेंट बॉडी है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को उसके अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहिए।
गौरतलब है कि संजय लीला भंसाली के डायरेक्शन और दीपिका पादुकोण के लीड रोल वाली इस फिल्म का विरोध किया जा रहा है। राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी लीडर्स और हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खालविलकर और डीवाय चंद्रचूड की बेंच सिद्धराज सिंह चूडास्मा और 11 अन्य लोगों की पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी।
मुख्य बिंदुः-
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- – पिटीशनर की मांग थी कि मशहूर हिस्टोरियंस की एक कमेटी बनाई जाए। वह कमेटी फिल्म की स्क्रिप्ट जांचे, ताकि रानी पद्मावती की जिंदगी के बारे में कुछ गलत पेश न हो।
- – ऐसे में पिटीशनर्स ने फिल्म की रिलीज पर तब तक रोक लगाने की मांग की थी, जब तक कि इसमें की जा रही कथित ऐतिहासिक भूल को डायरेक्टर सुधार नहीं लेते।
पद्मावती फिल्म पर विवाद कैसे शुरू हुआ?
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- – राजपूत करणी सेना इसका विरोध कर रही है। इसकी शुरुआत राजस्थान में शूटिंग के वक्त हुई थी। सेना का मानना है कि इस फिल्म में पद्मावती और खिलजी के बीच इंटीमेट सीन फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है, जिसके चलते काफी समय से इसका विरोध हो रहा है। शूटिंग के वक्त राजपूत करणी सेना ने कई जगह प्रदर्शन किया था और पुतले फूंके थे।
- – गुजरात बीजेपी ने कहा था कि फिल्म क्षत्रिय समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है। लिहाजा, फिल्म को रिलीज से पहले पार्टी के राजपूत प्रतिनिधियों को दिखाया जाना चाहिए। ऐसा करने से रिलीज के वक्त फिल्म के लिए सहूलियत रहेगी और तनाव के हालात से बचा जा सकेगा।
क्या है फिल्म डायरेक्टर का स्टैंड ?
………………………………………….. पद्मावती का विरोध होने के बाद डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने कहा था कि इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिसे लेकर विरोध किया जा रहा है। पिछले दिनों एक कलाकार ने पद्मावती की रंगोली बनाई, लेकिन कुछ लोगों ने ये रंगोली बिगाड़ दी। इसके बाद फिल्म में पद्मावती का किरदार निभा रही दीपिका पादुकोण ने इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर स्मृति ईरानी को टैग करते हुए ट्वीट किया था कि इस तरह की घटनाओं पर एक्शन लिया जाना चाहिए।
स्त्रियां रोज शौहर बदलती हैं वे जौहर क्या जानें
………………………………………………………….उज्जैन से बीजेपी के सांसद प्रो. चिन्तामणि मालवीय ने पद्मावती फिल्म के विरोध में एक फेसबुक पोस्ट लिखी।इसमें उन्होंने लिखा था, मैं फिल्म पद्मावती का विरोध और बहिष्कार करता हूं। अपने शुभचिंतकों से अनुरोध करता हूं कि वे इस फिल्म को बिल्कुल न देखें। फिल्म बनाकर चंद पैसों के लालच में इतिहास से छेड़छाड़ करना शर्मनाक और घृणित कार्य है। हर भारतीय नारी की आदर्श रानी पद्मावती जी पर भारतीयों को गर्व है। उन्होंने अपने सतीत्व, देश और समाज की आन, बान, शान के लिए हजारों नारियों के साथ स्वयं को आग में झोंक दिया था। उसे तोड़-मरोड़कर दिखाना वास्तव में इस देश का अपमान है। भंसाली जैसे लोगों को कोई और भाषा समझ में नहीं आती। इन लोगों को सिर्फ जूते की भाषा समझ में आती है।
उमा भारती ने खुले खत में लिख पद्मावती विवाद पर प्रकाश डाला
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- – उमा भारती ने खुले खत में लिखा, तथ्य को बदला नहीं जा सकता है। उसे अच्छा या बुरा कहा जा सकता है। सोचने की आजादी किसी की निंदा या स्तुति का अधिकार हमें देती है। जब आप किसी ऐतिहासिक तथ्य पर फिल्म बनाते हैं तो उसके फैक्ट को वॉयलेट नहीं किया जा सकता है।
- – रानी पद्मावती की गाथा एक ऐतिहासिक तथ्य है। अलाउद्दीन खिलजी एक व्यभिचारी हमलावर था। उसकी बुरी नजर रानी पद्मावती पर थी और इसीलिए उसने चित्तौड़ को नष्ट कर दिया था।
- – पद्मावती के पति राणा रतन सिंह अपने साथियों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए थे। खुद पद्मावती ने उन हजारों औरतों के साथ जीवित ही खुद को आग के हवाले कर जौहर कर लिया था, जिनके पति वीरगति को प्राप्त हुए थे। हमने यही इतिहास पढ़ा है। आज भी खिलजी के लिए नफरत और पद्मावती के लिए सम्मान और उनके दुखद अंत के लिए वेदना होती है।
- – उमा ने इस खत में लिखा था, आज भी मनचाहा रिस्पॉन्स नहीं मिलने पर कुछ लड़के लड़कियों के चेहरे पर तेजाब डाल देते हैं। वो किसी भी धर्म या जाति के हों, मुझे अलाउद्दीन खिलजी के वंशज लगते हैं।