ईशनिंदा के आरोप में 6 साल से जेल में बंद थे, मुस्लिम प्रोफेसर
कानून रिव्यू/इंटरनेशनल
पाकिस्तान कोर्ट ने ईशनिंदा के आरोप में एक मुस्लिम प्रोफेसर को मौत की सजा सुनाई है। जुनैद हाफिज पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में बहाउद्दीन जकारिया विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में लेक्चरर थे। ईशनिंदा के आरोप में पुलिस ने उन्हें 13 मार्च 2013 को गिरफ्तार किया था। मामले की सुनवाई 2014 में शुरू हुई थी। हाफिज को मुल्तान के न्यू सेंट्रल जेल के हाई.सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश काशिफ कय्यूम ने हाफिज को मौत की सजा सुनाई। पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295.सी के तहत उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने हाफिज को धारा 295.बी और 10 साल के कारावास और पीपीसी की धारा 295.ए के तहत एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा भी दी। फैसले में कहा गया कि सभी सजाएं लगातार चलेंगी। हाफिज के वकील राशिद रहमान की मई 2014 में उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद काफी बवाल हुआ था। हाफिज के माता.पिता ने इस साल की शुरुआत में पूर्व चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा से अपने बेटे के मामले को देखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि उनका बेटा ईशनिंदा के झूठे आरोप में 6 साल से मुल्तान के सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है। मामले को देखने वाले कई जजों का ट्रांसफर भी कर दिया गया। हाफिज ने अमेरिका के जैक्सन स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री ली थी। उन्होंने फुलब्राइट स्कॉलरशिप हासिल की है। पाकिस्तान लौटने के बाद वे बीजेडयू के अंग्रेजी विभाग से जुड़ गए थे। ईशनिंदा पाकिस्तान में एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। ऐसे मामलों में कई बार भीड़ भी आरोपी को निशाना बनाती है। कुरान या पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने पर आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है। अधिकार समूहों का कहना है कि व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए ईशनिंदा कानून दुरुपयोग किया जाता है।