याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
- कानून रिव्यू/इंटरनेशनल
—————————-भारत में तीन तलाक यानी तलाक-ए बिद्दत को सुप्रीम कोर्ट गैर कानूनी करार दे चुका है। जिसके बाद तीन तलाक के मामले नही रूके और ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के दावे खोखले साबित हुए। ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि तीन तलाक की प्रवृत्ति को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। अततः सरकार ने मजबूरी में तीन तलाक की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कानून बनाने में जुट गई और यह बिल लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में मंजूरी के लिए अटका पडा है। ऑल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत की दुहाई देकर तीन तलाक के कानून का विरोध कर रहा है मगर वहीं पाकिस्तान जो एक इस्लामी देश है वहां की सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत कानून लागू करने की याचिका की सुनवाई करने से ही इंकार कर दिया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने देश में शरीयत कानून लागू करने की मांग करने वाली एक चरमपंथी धर्मगुरू की याचिका पर सुनवाई करने से ही इंकार कर दिया।
लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने साल 2015 में पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत अपने वकील तारिक असद की मार्फत एक याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय ने इसे विचार योग्य नहीं पाते हुए साल 2016 के फरवरी में याचिका खारिज कर दी थी। अजीज ने उसे चुनौती दी थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस ने रजिस्ट्रार कार्यालय के एतराज को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी। याचिकाकर्ता का कहना था कि पाकिस्तान जिन खराबियों से दो चार है उसका हल शरीयत करता है। उसने अदालत से कहा कि वह इस्लामी कानून लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए प्रतिवादियों से कहे। अजीज उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने साल 2007 में लाल मस्जिद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान बुरका पहन कर मस्जिद से भागने की कोशिश की थी।