मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
पुलिस कमिश्नरी गौतमबुद्धनगर को तीन महत्वपूर्ण जोनों में बांटा गया है। इनमें नोएडा प्रथम जोन, सेंट्रल नोएडा और ग्रेटर नोएडा यानी जोन थर्ड में बांटा गया हैं। नोएडा जोन में नोएडा के थाना फेस-2 और थाना फेस- थ्री को छोड कर समस्त थानें आते हैं। जब कि सेंट्रल नोएडा यानी जोन टू में नोएडा के थाना फेस-2 और फेस थी्र तथा ग्रेटर नोएडा ऐरिया के थाना सूरजपुर, थाना ईकोटेक थर्ड, थाना बिसरख और दादरी क्षेत्र के थाना बादलपुर समेत छः थाने में आते हैं। नोएडा यानी जोन प्रथम के डीसीपी नोएडा में पुराने एसएसपी ऑफिस में बैठ रहे हैं। जब कि सेंट्रल नोएडा की बात करें तो इस जोन के डीसीपी सूरजपुर स्थित पुलिस कमिश्नरेट में बैठ रहे हैं। वहीं ग्रेटर नोएडा यानी जोन थर्ड बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह जोन थर्ड दादरी से शुरू होकर जेवर तक फैला हुआ है। इस जोन में दादरी ऐरिया के दादरी और जारचा थाना, ग्रेटर नोएडा ऐरिया से थाना बीटा-टू, नॉलेज पार्क, थाना कासना, थाना ईकोटेक वन, थाना दनकौर और रबूपुरा,जेवर 9 थाने आते हैं। पुलिस कमिश्नरी का यह जोन थर्ड सर्वाधिक महत्वपूर्ण इस लिहाज से भी है कि यहां पर मेगा एजुकेशन हब है। दादरी की शिवनाडर यूनिवर्सिटी, टाईम्स ऑफ इंडिया की बन्नेट यूनिवर्सिटी, गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी, राजकीय आर्युविज्ञान संस्थान और सरकारी मेडिकल कॉलेज ग्रेटर नोएडा, शारदा यूनिवर्सिटी, गलगोटिया यूनिवर्सिटी, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज जैसे बडे शिक्षा संस्थान हैं। इसके साथ ही यहां पर विश्व स्तरीय इंडिया एक्सपोजिशन मॉर्ट एंड सेंटर हैं जहां वर्षभर प्रदर्शिनयां चलती रहती हैं और देश के विदेश के लोगों का आना जाना लगा रहता है। जिला कारागार भी थाना ईकोटेक वन के तहत आती है। वहीं विश्वस्तरीय फॉर्मूला रेसिंग ट्रेक के साथ ही इस शहर को आगरा से जोडने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे की शुरूआत भी यहां जीरो प्वाइंट से होती हैं और जेवर तक इसी जोन का हिस्सा है। पुलिस को यमुना एक्सप्रेस-वे पर पेट्रोलिंग के लिए खासी मशक्कत करनी पडती है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का कार्यालय भी इसी जोन में पडता है जहां आए दिन धरना प्रदर्शन के लिए किसान और विभिन्न समस्याओं से जूझने वाले लोग पहुंचते हैं। इसके साथ ही देश का एक बडा नोएडा ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी इसी पुलिस जोन के जेवर में बनने जा रहा है। यहीं नहीं ग्रेटर नोएडा शहर के ऐरिया में पडने वाले उत्तरीय रेलवे की दिल्ली हावडा मेन लाईन पर स्थित दादरी, बोडाकी, अजायबपुर और दनकौर रेलवे स्टेशन हैं जो इसी जोन में आते हैं। नोएडा से ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क, परी चौक, अल्फा और डेल्टा से होते हुए डिपो तक जा रही मट्रो लाईन भी इसी जोन में हैं। इस लिहाज रेलवे स्टेशनों पर उतरने चढने वाले यात्रियों की सुरक्षा की सबसे बडी जिम्मेदारी भी जोन थर्ड की पुलिस के कंधों पर हैं। गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी लखनउ के साथ यूपी में 6 महीने के लिए शुरू की गई थी। उस समय सरकार ने कहा था यदि पुलिस कमिश्नरी का यह प्रयोग सफल हो जाएगा, तो राज्य के कई दूसरे शहरों में भी इसे लागू किया जा सकता है और यदि यह विफल साबित हुआ तो फिर खत्म किया जा सकता है। जनवरी-2020 में कमिश्नरी शुरू होने के बाद जैसे जैसे जलाई-2020 छमाही आई, अचानक पुलिस कमिश्नरी को खत्म किए जाने की अफवाहों ने जोर पकडना शुरू कर दिया। मगर यह क्या हुआ उल्टा ही पुलिस कमिश्नरी पर राज्य सरकार की न केवल मुहर लगी बल्कि पुलिस कमिश्नर के अधिकारों तक में बढोत्तरी कर दी गई। पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति जरूरत के हिसाब से सुरक्षा यानी गनर दे सकेगी। 14 जुलाई-2020 को पुलिस कमिश्नरी के 6 माह पूरे होने पर गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से रिपोर्ट जारी की गई। आइए एक नजर डालते हैं कि जोन थर्ड की पुलिस संरचना पर कि कौन पुलिस अधिकारी किस दायित्व को निभा रहे हैं और क्या चुनौतिया हैं? और क्या प्राथमिकताएं हैं?
डीसीपी जोन थर्डः- राजेश कुमार सिंह
राजेश कुमार सिंह के कंधों पर इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण जोन थर्ड की जिम्मेदारी है। डीसीपी जोन के सहयोग के लिए प्रत्येक जोन में एक- एक एडीशनल डीसीपी की नियुक्ति है। एडीशनल डीसीपी की पोस्ट इस जोन थर्ड में भी है मगर यहां अभी एडीशनल डीसीपी पोस्ट नही है। इसलिए पूरे जोन का कामकाज डीसीपी राजेश कुमार सिंह के जिम्मे हैं। राजेश कुमार सिंह को इस सर्वाधिक महत्वूपर्ण की जिम्मेदारी दिए जाने के पीछे उनकी काबलियत और इस क्षेत्र के बारे में पूरी से वाकिफ होना भी रहा है। राजेश कुमार सिंह अब आईपीएस हो चुके हैं। इससे पहले वे करीब ढाई वर्ष तक गौतमबुद्धनगर में बतौर सीओ के रूप में तैनात रह चुके हैं। उस समय ग्रेटर नोएडा में उनका बेहतर कार्यकाल रहा था। यदि डीसीपी राजेश कुमार सिंह के कैरियर पर नजर डाले तो पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के बलिया में उनका जन्म हुआ और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट किया। राजेश कुमार सिंह ने 23 अक्टूबर 1994 को पीपीएस की परीक्षा पास की और फिर 2 साल ट्रेनिंग नैनीताल और मुरादाबाद में हुई। उनकी पहली पोस्टिंग लखीमपुर खीरी में सीओ मौहम्मदी व सीओ सिटी के रूप में हुई। इसके बाद सीओ के रूप में बुलंदशहर, खुर्जा, स्याना, एटा कासंगज तथा सीओ कायमगंज फरूखाबाद में तैनात रहे। इसके बाद अलीगढ में सीओ सिटी-2 करीब 4 वर्ष तक रहे और फिर सीओ गौतमबुद्धनगर आ गए। गौतमबुद्धनगर में सीओ ग्रेटर नोएडा टू के पद पर इनका बेहतरीन कार्यकाल रहा। उस समय सीओ टू ग्रेटर नोएडा सर्किटल में थाना दनकौर और थाना ग्रेटर नोएडा जो अब थाना कासना के नाम से गांव कासना में हैं थाने आते थे। गौतमबुद्धनगर के बाद राजेश कुमार सिंह मुरादाबाद में सीओ बनाए गए। तत्पश्चात इन्हें सीओ एसटीएफ के पद पर चले गए। यहां इन्होंने 1 लाख के इनामी दर्जनों बदमाशों को सखींचों के पीछे पहुंचाया और 2 लाख का इनामी बदमाश भी एनकाउंटर में ढेर हुआ। 13 जनवरी 2013 को ये एसटीएफ में ही एडीशनल एसपी के पद पर प्रोन्नत हो गए। फिर इन्हें 9 जून 2015 को एसपी सिटी आगरा बनाया और बाद में यह एसपी ट्रेफिक आगरा के पद पर चले गए। इसके बाद एसपी सिटी मुजफ्फरनगर,एसपी सिटी फिरोजाबाद, एसपी सिटी और फिर एसपी सिटी मथुरा में करीब साढे 4 साल तक बने रहे। अंत में राजेश कुमार सिंह को 18 जून 2019 को आईपीएस के रूप में प्रमोशन मिला और फिर इन्हें कमांडेंट के रूप में 44 वीं पीएसी बटालियन मेरठ में भेज दिया गया। आखिर 15 जनवरी 2020 को राजेश कुमार सिंह की डीसीपी जोन थर्ड के रूप में पुनः गौतमबुद्धनगर में वापसी हुई। डीसीपी राजेश कुमार सिंह ने ’’कानून रिव्यू’’ के साथ बातचीत में कहा कि यहां मुख्य चुनौती तो अपराध ही, है और अपराध पर काबू किया जाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है।
अपर पुलिस उपायुक्त- जोन थर्ड (एडीश्नल डीसीपी- 3 ), विशाल पांडे
अपर पुलिस उपायुक्त- जोन थर्ड (एडीश्नल डीसीपी-3 ) के पद पर विशाल पांडे की तैनाती हाल ही में की गई है। एडीश्नल डीसीपी-थर्ड विशाल पांडे, डीसीपी जोन थर्ड के कामकाज में हाथ में बटा रहे हैं। इस जोन थर्ड के सभी चारों सर्किलों से बेहतर समनव्य स्थापित कर अपराध पर काबू किए जाने के लिए सतत प्रत्यत्नशील एडीश्नल डीसीपी-3, विशाल पांडे की गिनती बेहद सफल अफसरों में होती है। आइए एक नजर डालते हैं उनके कैरियर और कामयाबी पर है। एडीश्नल डीसीपी जोन थर्ड विशाल पांडे के सफरनामें पर गौर करें तो पता चलता है कि उनका जन्म 30 जून, वर्ष 1977 को आजमगढ उत्तर प्रदेश के बाबू की खजूरी गांव मेंं हुआ था। विशाल पांडे ने प्राथमिक शिक्षा गांव से ही पूरी की और इंटरमीडिएट तक की शिक्षा भी आजमगढ से ग्रहण की। इसके बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन तक की शिक्षा उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की। वर्ष 2003 पीपीएस बैच में विशाल पांडे का सलेक्शन हुआ और इस तरह ये अपने बैच के टॉपर भी रहे। ट्रेनिंग से आने के बाद इन्हें पहली पोस्टिंग वारणसी में मिली और यहां इन्होंने 4 साल तक सीओ के पद पर कार्य किया। वारणासी के बाद लखनउ में आ गए और यहां सीओ हजरतगंज और सीओ गोमतीनगर के पद पर कार्य किया। इसके बाद विशाल पांंडे कानपुर में सीओ गोविंदनगर करीब 3 वर्ष तक तैनात रहे। कानपुर के बाद ये अलीगढ आ गए और यहां पर सीओ सिटी के रूप में करीब 3 वर्ष तक कार्य किया। अलीगढ में पदोन्नति मिली और फिर इन्हें गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात किया गया। फिलहाल विशाल पांडे गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी के जोन थर्ड में एडीश्नल डीसीपी के पद पर तैनात हैं, यहां इनकी तैनाती हाल में ही हुई है। सीओ के रूप में विशाल पांडे ने कई उपलब्धियां हासिल की। वारणसी में इन्होंने रिंकू तिवारी और दिनेश प्रजापति नाम के बडे बदमाश जो आंतक का पर्याय बने हुए थे, दबोच कर सलाखों के पीछे पहुंचाया। यही नहीं उस समय इंडियन रैवन्यू सर्विस यानी आईआरएस के कमिश्नर का मर्डर काफी सुर्खियों में छाया रहा था। इस कमश्निर मर्डर केस का सफल अनावरण किए जाने का भी श्रेय विशाल पांडे को जाता है। आईआरएस एसोसिएशन ने उस समय इन्हें कमिश्नर मर्डर केस का खुलासे किए जाने पर सम्मानित भी किया था। एडीश्नल डीसीपी-थर्ड विशाल पांडे ने ’’कानून रिव्यू’’ के साथ बातचीत में कहा कि यहां लोगों को पहली बार पुलिस कमिश्नरी सिस्टम मिला है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को फैसिलिटी देना और साथ ही माफियाओं के गठजोड को तोडना चुनौती है। साथ ही आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए कम्यूनिटी पुलिसिंग को बढावा देना प्रमुख कार्य और प्राथमिकता होगी।
1ः- सहायक पुलिस आयुक्त प्रथम(एसीपी-1 )
बृजनंदन राय
जोन थर्ड के सर्किल-1 में थाना बीटा-2 और थाना नॉलेज पार्क जैसे शहरी एरिया आता है। सर्वाधिक महत्वूपर्ण सर्किल-1 की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसीपी-1 बृजनंदन राय के कंधों पर है। यहां पर एक मेगा एजुकेशन हब है और साथ ही शहरी सेक्टर और सोसायटियां और शॉपिग मॉल्स भी है। बृजनंदन राय की वाराणसी से यहां एसीपी-1 के पद पर सीधे पोस्टिंग हुई है। एसीपी-1 बृजनंदन राय के कैरियर पर नजर डालें तो पता चलता है कि उनका जन्म बक्सर बिहार में हुआ था। बृजनंदन राय ने स्नातक तक की परीक्षा इलाहाबाद से उत्तीर्ण की और फिर वर्ष 2009 में पीपीएस किया। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग उन्हें 8 जनवरी 2013 को हमीरपुर में सीओ के रूप में मिली। इसके बाद वे सीओ करछना इलाहाबाद और सीओ वाराणसी बनाए गए। वाराणसी से बृजनंदन राय एसीपी-1 के रूप में यहां गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा में आए गए। एसीपी-1 बृजनंदन राय ने ’’कानून रिव्यू’’ से बातचीत में कहा कि यहां अपराध ज्यादा है जो एक चुनौती के रूप में सामने हैं। अपराध को होने से रोका जाएगा और जिसके पेट्रोलिंग बढाई जाएगी, साथ ही सारे बंदोबस्त किए जांएगे।
2ः- सहायक पुलिस आयुक्त द्वितीय(एसीपी-2 )
सतीश कुमार
जोन थर्ड के सर्किल-2 में दादरी कोतवाली और जारचा थाना का ऐरिया आता है। दादरी कई मायने में महत्वपूर्ण है। दादरी रेलवे स्टेशन और अजायबपुर रेलवे स्टेशन भी इस सर्किल का हिस्सा हैं। इस महत्वूपर्ण सर्किल-2 की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसीपी-2 सतीश कुमार के कंधों पर है। एसीपी-2 सतीश कुमार के कैरियर पर नजर डालें तो पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के जिला बागपत निवासी सतीश कुमार ने मुजफ्फरनगर के डीएवी कॉलेज से एम0एस0सी0 जूलोजी से की। इसके बाद वे यूपी पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर सलेक्ट हो गए। इस प्रकार सतीश कुमार को पहली पोस्टिंग वर्ष 1988 में मिर्जापुर में मिली। सब इंस्पेक्टर की नौकरी के 10 वर्ष सतीश कुमार वर्ष 1998 में इंस्पेक्टर के रूप में प्रोन्नत हो गए। इस समय उन्हें अलीगढ की पुलिस लाईन में रिजर्व इंस्पेक्टर यानी प्रतिसार निरीक्षक बनाया। वर्ष 2014 को पुलिस इंस्पेक्टर सतीश कुमार का पीपीएस में प्रमोशन में हो गया। तत्पश्चात उन्हें जिला बदायुं के बिशौली और फिर उझानी में सीओ बनाया गया। इसके बाद सीओ सतीश कुमार पीएसी 8 वीं बटालियन बरेली चले गए। बरेली के बाद सीओ सतीश कुमार आगरा चले गए। आगरा में वे सीओ अछनेरा और फिर सीओ बहा में तैनात रहे। जिला आगरा सीओ बहा से सतीश कुमार सीधे गौतमबुद्धनगर में आ गए। गौतमबुद्धनगर में इन्हें सीओ ग्रेटर नोएडा टू का चार्ज दिया, उस समय इनके सर्किल में हाल का कासना थाना, ईकोटेक थाना और दनकौर थाने आते थे। सीओ ग्रेटर नोएडा से इन्हें दादरी भेज दिया। गौतमबुद्धनगर को जब पुलिस कमिश्नरी का दर्जा तो 15 जनवरी 2020 को सतीश कुमार एसीपी-2 बन गए। इस पुलिस सर्विस के दौरान सतीश कुमार को डीजी कमानडेंशन का अवार्ड भी मिला, जो पुलिसकर्मियों को सराहनीय कार्य के लिए दिया जाता है। एसीपी-2 सतीश कुमार ने ’’कानून रिव्यू’’ के साथ बातचीत में कहा कि सर्किल-2 में दादारी शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र भी आता है। यहां अपराधिक वारदातें होती हैं, अपराधों पर नियंत्रण पाया जाना उनकी पहली प्राथमिकता है। खास कर महिलाओं के प्रति अपराध या फिर यातायात की समस्याएं हो सब पर काबू किया जाएगा। इस सर्किल बन्नेट और शिवनाडर यूनिवर्सिटी और दादरी, बोडाकी तथा अजायबपुर जैसे रेलवे स्टेशन भी है। साथ ही ईर्स्टन पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे भी यहां से होकर गुजरता है। इन स्थानों पर अनैतिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए पेट्रोलिंग बढाई जाएगी और अपराध को होने से रोका जाएगा।
3ः- सहायक पुलिस आयुक्त तृतीय(एसीपी-3 )
अब्दुल कादिर
जोन थर्ड सर्किल-3 में थाना कासना, थाना ईकोटेक वन और थाना दनकौर जैसे ऐरिया आते हैं। यह सर्किल-3 बेहद महत्वूपर्ण है। यहां थाना ईकोटेक वन का हिस्सा गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी, राजकीय आर्युविज्ञान संस्थान एवं मेडिकल कॉलेज और जिला कारागार जैसे संस्थान हैं। वहीं थाना दनकौर क्षेत्र में फॉर्मूला वन रेसिंग ट्रेक के साथ ही इस शहर को आगरा से जोडने वाला यमुना एक्सप्रेस-वे का हिस्सा आता है। वहीं सर्किल में दनकौर रेलवे स्टेशन है और साथ गलगोटिया और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी एंड मेडिकल कॉलेज जैसे महत्वपूर्ण संस्थान आते हैं। इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण सर्किल-3 की कमान अब्दुल कादिर के हाथों में हैं। एसीपी-3 अब्दुल कादिर के कैरियर पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी में अब्दुल कादिर की तैनाती आगरा के बाद 05 फरपरी-2020 को हुई। सीओ आगरा से अब्दुल कादिर जोन थर्ड में एसीपी-3 बनाए गए। एसीपी-3 अब्दुल कादिर का जन्म 28 फरवरी 1979 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा मुरादाबाद में ही पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए बरेली चले गए और यहां से एम0ए0 तक की शिक्षा ग्रहण की। एसीपी-3 अब्दुल कादिर 2008 बैंच के पीपीएस अधिकारी हैं। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग इन्हें वर्ष 2011 में बरेली में मिली। बरेली के बाद मेरठ और फिर आगरा के सीओ बनाए गए। आगरा सीओ के पद से इन्हें यहां गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी के जोन थर्ड में एसीपी-3 के रूप में तैनाती मिली। एसीपी-3 अब्दुल कादिर ने ’’कानून रिव्यू’’ के साथ बातचीत में कहा कि सुरक्षा लिहाज से इस सर्किल में जिला कारागार, फॉर्मूला वन, गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी और यमुना एक्सप्रेस-वे का बडा हिस्सा आता है। चुनौती की बात की जाए तो यहां क्राइम ज्यादा है जिसे रोकन पाना पहली प्राथमिकता है। साथ ही जनता के सहयोग और जागरूक लोगों के तालमेल से शांति और भाईचारा बना रहे, फिलहाल यही उनकी कार्ययोजना है।
4ः- सहायक पुलिस आयुक्त चतुर्थ(एसीपी-4 )
शरद चंद शर्मा
जेन थर्ड के सर्किल-4 में थाना रबपूपुरा और थाना जेवर ऐरिया आते हैं। थाना रबूपुरा में यमुना सिटी का सेक्टर-20 और सेक्टर-18 का विकास की ओर अग्रसर ऐरिया आता है। जब कि थाना जेवर में यमुना एक्सप्रेस-वे का हिस्सा और साथ ही बहुचर्चित और प्रस्तावित नोएडा ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल जेवर एयरपोर्ट आता है। इस लिहाज से सर्किल-4 का महत्व और बढ जाता है। इस महत्वपूर्ण सर्किल-4 की कमान शरद चंद शर्मा के हाथों में हैं। एसीपी-4 शरद चंद शर्मा के कैरियर और उपलब्धियों पर प्रकाश डालने के लिए जब ’’कानून रिव्यू’’ ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि उनकी कोई खास उपलब्धि नही है।