भाजपा में हाल ही में शामिल हुईं थीं भारती घोष
कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के नए मामलों में दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण दिलाने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भारती घोष को एक समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी नजदीक माना जाता था। वह पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल हुईं थीं। घोष ने दावा किया है कि पुलिस ने उनके खिलाफ 7 प्राथमिकी दर्ज की हैं, इनमें से एक तो पिछले सप्ताह ही दर्ज की गई है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 1 अक्टूबर को भारती घोष को कथित उगाही और गैरकानूनी तरीके से प्रतिबंधित मुद्रा के बदले सोना लेने के मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि घोष के आवेदन पर 19 फरवरी को सुनवाई की जाएगी। इस मामले की सुनवाई शुरू होने पर घोष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि 2016 की एक घटना के सिलसिले में उनके खिलाफ 7 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। यह घटना मुद्रा के बदले सोना लेने से संबंधित है। उन्होंने कहा कि पुलिस अलग.अलग स्थानों पर उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है और पुलिस को कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोका जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस आवेदन का विरोध किया और कहा कि वह रिट याचिका के माध्यम से गिरफ्तारी से बचना चाहती हैं जो नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि घोष और उनका निजी सुरक्षा अधिकारी स्वर्ण उगाही और दूसरे मामलों में संलिप्त हैं और दोनों ने ही एकसाथ मिलकर यह काम किया है। भारती घोष 4 फरवरी को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और पार्टी नेता कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुई थीं और आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में डेमोक्रेसी की जगह ठगोक्रेसी ने ले ली है।