

ईंट भट्ठा निर्माता 8 दिसंबर-2020 को जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगेंः ओमवीर सिंह भाटी एडवोकेट


मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
पॉल्यूशन अटैक के चलते हुए एनसीआर के 24 जिलों में पिछले साल नवंबर माह से ईंट भट्ठे बंद पडे हुए हैं। इससे जहां ईंट निर्माताओं की कमर टूटने लगी है वहीं भट्टा उद्योग में लगे मजदूरों की रोजी रोटी के भी लाले पडे हुए हैं। यह मामला एनजीटी में विचाराधीन हैं। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति और गौतमबुद्धनगर ईंट निर्माता समिति की ओर से दाखिल यचिका पर सुनवाई करते हुए गत 14 अक्टूबर को केंद्रीय नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड को निर्देश दिया कि पांच सदस्य समिति गठित की जाए और यह समिति यह रिपोर्ट दें कि क्या वाकई ईंट भट्टा उद्योग कैयरिंग कैपसिटी में आता है या फिर सब कैयरिंग कैपसिटी के तहत आता है। अगली सुनवाई की तारीख 8 जनवरी-2021 में मुकर्रर की गई है। उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति के अध्यक्ष तथा गौतमबुद्धनगर जिला ईंट निर्माता समिति अध्यक्ष ओमवीर सिंह भाटी एडवोकेट ने ’’कानून रिव्यू’’ को बताया कि एनजीटी में ईंट निर्माता समिति अगली सुनवाई की तारीख को मजबूती से अपना कानूनी पक्ष रखेगी कि कैयरिंग कैपसिटी में तो परिवहन, उद्योग तक भी आते हैं, तो फिर कानून का हथौडा आखिर ईंट भट्ठा निर्माताओं पर ही क्यों चल रहा है? इसके साथ ही सरकार से यह मांग की गई है कि ईंट भट्ठा उद्योग एनसीआर के 24 जिलों में पिछले साल-2019 नवंबर माह से ही बंद पडा हुआ है। ईंट भट्ठा उद्योग में एक बडा मजदूर तबका प्रभावित होता है। इनमें ईंट पाथने वाले से लेकर, ईंट पकाने वाले और ईंट ढुलाई करने वाले तक मजदूरों की कई श्रेणी प्रभावित होती हैं। साथ ही ईंट भट्ठा मालिक जब हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं तो सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान होता है। उन्होंने सवाल के जवाब में कहा कि यदि इंर्ंटों का निमार्ण नही होगा तो फिर आएंगी कहां से इंर्ंटे। एनसीआर में निमार्ण तेजी से होता रहता है ईंटों की खपत को पूरा करने के लिए एनसीआर के अलावा दूसरे क्षेत्रों से यदि ईंटें आंएगी तो क्या यहां वाहनों का दबाब नही बढेगा और यदि वाहन बढेंगे तो पॉल्यूशन कई गुना बढ जाएगा। उन्होंने कहा कि एनसीआर में ईंट भट्ठों के बंद रहते हुए ईंट निर्माता और मजदूर तबका भूखों मरने तक की स्थिति में आ गए हैं। यही कारण है कि ईंट निर्माताओं के सामने करो या मरो के अलावा कोई दूसरा चारा नही रह गया है। आगामी 8 दिसंबर-2020 को ईंट भट्ठा निर्माता ऑल इंडिया ब्रिक एंड टाईल्स फेडरेशन के बैनर तले जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे। यह धरना प्रदर्शन एक दिवसीय होगा और फिर आगे के आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
एनजीटी का यूपी के ईंट भट्ठों के अवैध परिचालन पर नजर रखने का रखने का आदेश


मुख्य सचिव इस न्यायाधिकरण के फैसले के विपरीत आदेश कैसे पारित कर सकते हैं, जो एक आपराधिक कृत्य हैः एनजीटी

एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक मामल्रे में उत्तर प्रदेश सरकार को ईंट भट्ठों के अवैध संचालन के खिलाफ सतर्कता बरतने और समुचित कार्रवाई करने का गत 17 अक्टूबर-2020 को आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि वायु गुणवत्ता को खराब करने में ईंट भट्ठा उद्योगों का बड़ा योगदान रहा है। एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि ईंट भट्ठा उद्योगों का दिल्ली और एनसीआर की आबोहवा में सर्दियों और गर्मियों में पीएम.10 उत्सर्जन में लगभग 5 से 7 फीसदी की भागीदारी रही है। पीठ ने कहा है कि हवा की गुणवत्ता की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के संबंधित प्राधिकरण ईंट भट्ठों के अवैध संचालन के खिलाफ कड़ी निगरानी रखी जाए। पीठ ने ईंट भट्ठा शुरू करने की मांग को लेकर एक दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान ईंट भट्ठा के संचलान की अनुमित देने पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आड़े हाथ लिया है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि यह आश्चर्य की बात है कि मुख्य सचिव इस न्यायाधिकरण के फैसले के विपरीत आदेश कैसे पारित कर सकते हैं, जो एक आपराधिक कृत्य है। इससे पहले गाजियाबाद के जिलाधिकारी ने बेंच को बताया कि मार्च में कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन की वजह से ईंट भट्ठों का निरीक्षण नहीं किया जा सका। उन्होंने बेंच को बताया कि लॉकडाउन के दौरान मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ईंट भट्ठों को राज्य में संचालित करने की अनुमति दें। ट्रिब्यूनल ने इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एनसीआर और अन्य क्षेत्रों में ईंट भट्ठों की क्षमता अध्ययन और परिवेशी वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव का संचालन करने का निर्देश दिया था। बेंच शैलेश सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में पर्यावरण हितों की अनदेखी कर चल रहे ईंट भट्ठों के खिलाफ समुचित कार्रवाई की मांग की गई है।