लव जिहाद की बहस के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 पन्नों के आदेश में कहा है कि अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ जीवन व्यतीत करना, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो, हर व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है।
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ इलाहाबाद
यूपी सरकार ने जहां एक ओर लव जिहाद को लेकर अध्यादेश लागू कर साफ कर दिया है कि अब इस तरह के कसूरवारों को कतई बख्शा नही जाएगा, वहीं कथित लव जिहाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के सलामत अंसारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दोनों अपनी मर्जी और पसंद से एक साल से ज्यादा समय से खुशी और शांति से रह रहे हैं।्कोर्ट ने यह भी कहा कि एक व्यक्तिगत संबंध में हस्ताक्षेप करना दो लोगों की पंसद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण होगा। कोर्ट और संवैधानिक अदालतों पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखना दायित्व है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कानून किसी भी व्यक्ति को अपनी पंसद के व्यक्ति के एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या अलग धर्म के ही क्यों न हों,् यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरबार ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर गत वर्ष अगस्त माह में शादी की थी। प्रियंका ने शादी से पहले इस्लाम धर्म कबूल किया और अपना नाम बदलकर आलिया रख लिया था। प्रियंका के परिजनों ने सलामत पर किडनैपिंग और शादी के लिए बहला.फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में पॉस्को एक्ट भी शामिल किया गया था। परिवार का दावा था कि जब शादी हुई तो उनकी बेटी नाबालिग थी। सलामत ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी, सलामत की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। यूपी सरकार और महिला के परिवार की दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने 14 पन्नों के आदेश में कहा है कि अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ जीवन व्यतीत करना, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो, हर व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है।