यदि कोई लडकी वह भी कुवारी यानी बगैर शादी के ही मां बन जाए तो अशुभ मानने के साथ साथ ऑनर किलिंग जैसे मामले तक देखे गए हैं। किंतु अब वैश्विक समाज में सब कुछ बदल रहा है और लडकियां मां तो बनना चाहती हैं मगर शादी जैसे बंधन के पचडे से दूर रह कर। बगैर शादी किए हुए मां बनने की यह प्रक्रिया मेडिकल चिकित्सा विज्ञान में वर्जिन बर्थ के सहारे आसान हो रही है।
मेडिकल चिकित्सा में वर्जिन बर्थ के सहारे कुवारी लडकियां बन रही हैं मां
- कानून रिव्यू/इंटरनेशनल
…………………………………..अगर कोई महिला बगैर शादी के ही मां बन जाए तो यह समाज के लिए सबसे ज्यादा अशुभ माना जाता है। समाज के तिरस्कार के साथ उक्त मां बनी महिला को दर दर की ठोकरें खानी पडती हैं सो अलग। किंतु यदि कोई लडकी वह भी कुवारी यानी बगैर शादी के ही मां बन जाए तो अशुभ मानने के साथ साथ ऑनर किलिंग जैसे मामले तक देखे गए हैं। किंतु अब वैश्विक समाज में सब कुछ बदल रहा है और लडकियां मां तो बनना चाहती हैं मगर शादी जैसे बंधन के पचडे से दूर रह कर। बगैर शादी किए हुए मां बनने की यह प्रक्रिया मेडिकल चिकित्सा विज्ञान में वर्जिन बर्थ के सहारे आसान हो रही है।
क्या है वर्जिन बर्थ?
—————— महिलाएं अब बिना किसी के साथ संबंध बनाए भी बच्चों को जन्म दे सकती हैं। महिलाओं में वर्जिन बर्थ का चलन बढ़ रहा है। कई ऐसी महिलाएं हैं जो बिना शादी किए मां बन रही हैं। बिना किसी पुरुष से संबंध बनाए वो बच्चों को जन्म दे सकती हैं। इसी प्रक्रिया को मेडिकल चिकित्सा में वर्जिन बर्थ का नाम दिया गया है।दुनिया की कई महिलाएं अपनी मर्जी से आईवीएफ के जरिए मां बनना पसंद कर रही हैं। दरअसल आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के अंडेदानी से अंडे निकालने के बाद सभी अण्डों में स्पर्म डालकर अर्म्ब्यो बनाया जाता है। इन अर्म्ब्योज को 3.5 दिन तक परखनली में बड़ा कर फिर इन्हें महिलाओं की कोख में डाल दिया जाता है।
यूके में 25 युवतियों की मां बनने की तैयारी
……………………………………………………..यूके में ऐसी 25 युवा लड़कियां हेट्रोसेक्सुअल यानि की स्ट्रेट हैं और उनकी उम्र 20 साल है। पिछले 5 सालों के दौरान इन सभी महिलाओं ने मां बनने के लिए आईवीएफ का विकल्प चुना है। डॉक्टरों के मुताबिक वह मानसिक तौर पर मां बनने के लिए खुद को तैयार कर चुकी थीं। इस बारे में महिलाओं ने ये भी दावा किया है कि उन्हें कंसीव करने से संबंधित कोई दिक्कत नहीं थी। उन्होंने मां बनने के लिए वजाइनल इंटरकोर्स की जगह इन.विट्रो.फर्टिलाइजेशन को चुना। वर्जिन बर्थ का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्होंने ऐसा फैसला इसलिए लिया क्योंकि अभी तक उन्हें सही पार्टनर नहीं मिला है। हालांकि कुछ लड़कियों का कहना था कि उन्हें सेक्स को लेकर कोई रुचि नहीं है। साथ ही कईयों के मन में सेक्स को लेकर डर है। कुछ धार्मिक संगठनों का मानना है कि बच्चे का जन्म और उसका लालन.पालन पारंपरिक ढंग से ही होना चाहिए। इसकी एक वजह महिलाओं का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना भी है। एक डॉक्टर ने बताया ये सिंगल मदर्स अधिकतर भावनात्मक और आर्थिक रूप से काफी मजबूत होती हैं।
क्लीनिक्स की जिम्मेदारी है युवतियां को समझाएं
————————————————-नैशनल गैमेट डोनेशन ट्रस्ट के चीफ एग्जेक्युटिव लौरा विटजेंस बताते हैं कि जब सिंगल महिलाएं इस तरह से मां बनने के लिए आगे बढ़ने लगी तो समाज में मानो भूचाल आ गया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अधिकार है कि वह अपने हिसाब से अपने रास्ते का चुनाव कर सकें। अगर वह ऐसा चाह रही है तो उन्हें पूरा हक है। लेकिन क्लीनिक्स की जिम्मेदारी है कि वह इस बात को समझने की कोशिश करें कि कोई महिला ऐसा कदम क्यों उठाना चाह रही है।
अमेरिका में 200 में से एक महिला बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स के गर्भवती
………………………………………………………………………………………..2013 में हुए एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका में 200 में से एक महिला बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स के गर्भवती हुई। इन महिलाओं में से 31 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने धार्मिक कारणों से अपनी पवित्रता को बनाए रखने और सेक्स नहीं करने की प्रतिज्ञा की है। इनमें से 28 प्रतिशत लड़कियों के अभिभावकों ने कहा कि वह मुश्किल से ही अपनी बच्चियों से सेक्स या कंट्रासेप्शन के बारे में बात करते हैं। पोप फ्रांसिस ने पारिवारिक ढांचे में हो रहे इस बदलाव पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि बाजारवाद से लोगों में किसी दूसरे पर भरोसा करने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। लोग बिजनेस भरोसे पर नहीं कर रहे हैं। अब लोगों के किसी से ज्यादा करीबी संबंध भी नहीं होते हैं। आज की संस्कृति किसी व्यक्ति को किसी दूसरे शख्स से जुड़ने से रोक रही है। लोग हर चीज को आशंका से देख रहे हैं।