बच्चों को यौन शोषण से बचाने वाले कानून के प्रभाव का विश्लेषण करने का और यह देखने का समय आ गया है कि पॉक्सो ऐक्ट लागू होने के बाद से करीब 6 साल में क्या हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस डिलिवरी सिस्टम में बाल यौन अपराध संरक्षण पॉक्सो एक्ट 2012 के असर का आकलन करने की जरूरत है।
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————-सुप्रीम कोर्ट के जज मदन चीके लोकुर ने कहा है कि बच्चों को यौन शोषण से बचाने वाले कानून के प्रभाव का विश्लेषण करने का और यह देखने का समय आ गया है कि पॉक्सो ऐक्ट लागू होने के बाद से करीब 6 साल में क्या हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस डिलिवरी सिस्टम में बाल यौन अपराध संरक्षण पॉक्सो एक्ट 2012 के असर का आकलन करने की जरूरत है। जस्टिस लोकुर ने कहा कि हत्या से ज्यादा बाल यौन शोषण के मामले होने के बावजूद हम ज्यादा समय हत्याओं पर चर्चा करने में बिताते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या किसी व्यस्क की हत्या, बाल यौन शोषण से ज्यादा महत्वपूर्ण है। जस्टिस लोकुर गैर सरकारी संगठनों हक. सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स और सेंटर फॉर चाइल्ड एंड लॉ द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पॉक्सो एक्ट के तहत क्रिमिनल जस्टिस डिलिवरी सिस्टम में व्यापक बदलाव की जरूरत पर बल दिया। ताकि इस कानून के तहत गठित होने वाली अदालतें मौजूदा व्यवस्था की बजाय केवल यौन शोषण के मामलों पर ध्यान दें। इस समय वहां अदालत में दीवानी और फौजदारी मामलों की भी सुनवाई होती है।