पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने एक 14 साल की पीडिता को अंतरित मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया
फुसला कर पास के जंगल में ले गए जहां दोनों ने उसके साथ बलात्कार किया। यही नहीं इन दोनों ने नाबालिग की अपने फोन पर अश्लील तस्वीरें भी लीं और उनकी कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर भी वायरल कर दी। इस बहाने और धमकी देकर नाबालिग साथ बार.बार बलात्कार किया गया। गत दिनांक 29-05-2020 को जब नागालिग अचानक अस्वस्थ हो गई, तो उसे एक डॉक्टर के पास ले जाया गया, जिसने बताया कि वह 3.4 महीने की गर्भवती है। जब नाबालिग के पिता और मां ने इसके बारे में पूछताछ की, तो उसने आरोपी व्यक्तियों द्वारा किए गए बलात्कार के बारे में बताया
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/हरियाणा
हरियाणा में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेवात नुंहू और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण फरीदाबाद को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने एक 14 साल की पीडिता को अंतरित मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया है। बलात्कार पीड़िता 14 वर्ष की कम उम्र में ही मां बन गई है। न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान की खंडपीठ ने नूंह में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेवात को एक महिला काउंसलर नियुक्त करने का भी निर्देश दिया है, जो समय.समय पर पुनर्वास के लिए नाबालिग पीड़िता की काउंसलिंग करेगी और उसकी स्वास्थ्य स्थिति का ध्यान रखेगी। गौरतलब है कि नाबालिग को एक औरत ने लालच दिया कि उसका संबंधी उससे बात करना चाहता है। इसके बाद याचिकाकर्ता शकील और सह.आरोपी शमशाद ने उससे बात करना शुरू कर दिया और 05-02-2020 को दोनों आरोपी उसके घर आए और उसे फुसला कर पास के जंगल में ले गए जहां दोनों ने उसके साथ बलात्कार किया। यही नहीं इन दोनों ने नाबालिग की अपने फोन पर अश्लील तस्वीरें भी लीं और उनकी कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर भी वायरल कर दी। इस बहाने और धमकी देकर नाबालिग साथ बार.बार बलात्कार किया गया। गत दिनांक 29-05-2020 को जब नागालिग अचानक अस्वस्थ हो गई, तो उसे एक डॉक्टर के पास ले जाया गया, जिसने बताया कि वह 3.4 महीने की गर्भवती है। जब नाबालिग के पिता और मां ने इसके बारे में पूछताछ की, तो उसने आरोपी व्यक्तियों द्वारा किए गए बलात्कार के बारे में बताया। पुलिस ने दिनांक 01-06-2020 आईपीसी की धारा 363, 366, 188, 506, 506 और पॉस्को एक्ट के 6 और 19 आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामलें के आरोपियों की ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई। इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नूंह पीड़िता की जांच कर और सूचित करें कि क्या उसका स्वास्थ्य कैसा है? और सुरक्षा के तौर पर इस स्तर पर गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है या नही? मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मेवात नुंहू ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि नाबालिग पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दे दिया है। कोर्ट ने वकील की दलीलों को सुनने और 14 साल की नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार ;जो गर्भवती हो गई और दिनांक 05-11-2020 को एक बच्चे को जन्म दिया है, याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर आरोपों पर विचार करने और अदालत को कोई आधार नहीं मिलने के कारण अग्रिम जमानत देने से इंकार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि नाबालिग पीड़िता 14 वर्ष की थी, फरवरी 2020 से उसके जीवन पर लगातार खतरा बना रहा, जब बलात्कार का अपराध पहली बार हुआ था, तब तक, जब तक कि एक बच्चे को जन्म नहीं दिया गया, तब तक बच्चा, जिसे फरीदाबाद में एक चैरिटेबल हॉस्पिटल सोसाइटी में रखा जा रहा है। इस मामले में कोर्ट ने 2014 के स्वत संज्ञान रिट पिटीशन ( क्रिमिनल )नंबर 24 में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों के मद्देनजर जारी किए, बलात्कार पीड़िता को मुआवजा देने के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा 2014 ( 2) के रूप में रिपोर्ट की गई ( क्रिमिनल ) 379 जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि न्यायालय को पीड़ित को अंतरिम मुआवजे का अधिकार देने का अधिकार है और आगे पश्चिम बंगाल राज्य को पीड़ित के पुनर्वास के लिए पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेवात नुंहू और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण फरीदाबाद को निर्देश दिया है कि मई 2021 के महीने में एक रिपोर्ट पेश की जाए,जिसमे इस संबंध में की गई कार्रवाई और नाबालिग पीड़िता को प्रदान किए गए अंतरिम मुआवजे नाबालिग बच्चे की परवरिश किए जाने की पूरी व्यवस्था की जाए। यही नहीं कोर्ट ने अंत में पुलिस अधीक्षक मेवात नूंह को शिकायतकर्ता के परिवार के साथ.साथ नाबालिग लड़की/पीड़िता को निप्पल सक्सेना और अन्य बनाम बनाम शीर्ष अदालत के फैसले के आलोक में खतरे की धारणा को देखने के लिए भी निर्देशित किया गया है।