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बाइक बोट घोटाले में नोबल कोपरेटिव बैंक के सी.ई.ओ की जमानत याचिका खारिज

17.04.2021 By Editor

विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने की, करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट घोटाले में नोबल कोपरेटिव बैंक के सी.ई.ओ डा० विजय कुमार शर्मा की जमानत याचिका नामंजूर

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (दाण्डिक) गौतमबुद्धनगर रोहताश शर्मा ने बताया कि अभियुक्त डा० विजय कुमार शर्मा नोबल कोपरेटिव बैंक का सी.ई.ओ था जो एक प्राइवेट बैंक था। मैसर्स गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के डायरेक्टरो/ एडिशनल डायरेक्टर व पदाधिकारियों के साथ बाईक बोट घोटाले के उद्देश्य की रूप रेखा बैंक के सी.ई.ओ. के साथ मिलकर तैयार की गई, जिसका उद्देश्य 62 रुपये प्रति बाईक निवेशकों से जमा करके एक वर्ष में 12 किश्तों के रूप में दो गुना वापस करने का था। अभियुक्तगण को पता था कि एक वर्ष से पहले ही इस स्कीम में अरबों रुपये की धनराशि कंपनी में निवेशक जमा कर देंगे। निवेशकों ने 2 या 3 किश्त प्राप्त की थी तथा नए निवेशकों को कोई किश्त नहीं मिली। 4-5 माह में कंपनी में लगभग ढाई लाख निवेशकों ने करीब 3500 करोड रूपया जमा किया। इसके अतिरिक्त बहुत बड़ी धनराशि कंपनी के कार्यालय में कम्प्यूटर व उसके उपकरणों को जलाकर उसके रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया।

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर

———————————————————विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुद्धनगर वेदप्रकाश वर्मा ने करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट पोंजी घोटाले में डा० विजय कुमार शर्मा की जमानत याचिका नामंजूर कर दी है। डा० विजय कुमार शर्मा प्रति उत्तर प्रदेश राज्य जमानत प्रार्थना पत्र संख्या 1884 सन 2021 यूपीजीबी 01 00 5627/2021 प्रार्थी/ अभियुक्त की ओर से मुकदमा अपराध संख्या 389 सन 2019 धारा 420, 409,467, 468, 471, 201, 120बी भारतीय दण्ड संहिता, 58बी उपधारा (4ए) आर.बी.आई. अधि 1934, 58ए कंपनी अधि0 1956, थाना.दादरी, जिलाः-.गौतमबुद्धनगर में जमानत हेतु प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया। वादिनी कृष्णा द्वारा इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराई गई कि वादिनी कृष्णा ने माह अक्तूबर 2018 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर लि० की बाइक बोट कंपनी जिसके संस्थापक संजय माटी  रहे हैं, से प्लान अनुरूप तीन बाईक लगाने हेतु 1.86.300/ लगाए तथा कंपनी ने वादा किया कि प्रत्येक माह 33,885/ रुपये उनके खाते में आएंगे परंतु कम्पनी ने एक माह की किश्त दी, जबकि कंपनी ने 12 माह तक धनराशि दिए जाने का वादा किया था। उसके बाद तारीख पर तारीख देने लगे। इस प्रकार उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। अभियोग पंजीकृत होकर विवेचना हुई। अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जमानत के आधार में कहा गया कि प्रार्थी/अभियुक्त को झूठा इस केस में फंसा दिया गया है। अभियुक्त ने कोई अपराध कारित नहीं किया है। अभियुक्त के विरुद्ध उक्त धाराओं के अधीन अपराध गठित नही होता है। प्रार्थी/ अभियुक्त नॉवल कोपरेटिव बैंक में सी.ई.ओ. के पद पर कार्यरत था, मैसर्स गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के बैंक में खाते खुलना कोई अपराध नहीं है। उसके द्वारा मैसर्स गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के खातों के सापेक्ष 2.61,000 चैक जारी किए गए। वह तथाकथित बैंक का मैनेजर नहीं है। वह बैंक का दिन प्रतिदिन का कार्य नहीं देखता था। मनी लॉड्रिंग के मामले को पुलिस विवेचन नहीं कर सकती है। प्रार्थी/अभियुक्त का बाईक बोट से किसी भी प्रकार से कोई वास्ता व संबन्ध नहीं है। प्रार्थी/ अभियुक्त के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। बैंक में खाता खोलना अपराध नहीं है। खाते में होने वाले ट्रांजेक्शन को बैंक नहीं रोक सकता है। यही नहीं प्रचुर मात्रा में चैक जारी किया जाना अपराध नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त द्वारा मैसर्स गर्मित इनोवेटिय प्रमोटर्स लि० से कोई धनराशि प्राप्त नहीं की गई है। बैंक द्वारा प्रदान किए गए चैकों के संबध में कोई अपराधी नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त से कोई बरामदगी नहीं हुई है। प्रार्थी/अभियुक्त कॉपरेटिव बैंक में सी.ई.ओ. रहा है। प्रार्थी/ अभियुक्त प्राथमिकी में नामित नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त ब्रेन स्ट्रोक का मरीज है और उसकी गिरफतारी अवैध है। प्रार्थी/अभियुक्त को अभिरक्षा में रखे जाने से कोई उपयोगिता नहीं है। प्रार्थी/ अभियुक्त पूर्व से ही मुकदमा अपराध संख्या 385 व 697 सन् 2019 में निरुद्ध है। सहअभियुक्तगण की जमानत माननीय उच्च न्यायालय से स्वीकार हो चुकी है। उधर विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (दाण्डिक) गौतमबुद्धनगर रोहताश शर्मा द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध किया गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (दाण्डिक) गौतमबुद्धनगर रोहताश शर्मा ने दलील देते हुए कहा कि अभियुक्त डा० विजय कुमार शर्मा नोबल कोपरेटिव बैंक का सी.ई.ओ था जो एक प्राइवेट बैंक था। मैसर्स गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के डायरेक्टरो/ एडिशनल डायरेक्टर व पदाधिकारियों के साथ बाईक बोट घोटाले के उद्देश्य की रूप रेखा बैंक के सी.ई.ओ. के साथ मिलकर तैयार की गई, जिसका उद्देश्य 62 रुपये प्रति बाईक निवेशकों से जमा करके एक वर्ष में 12 किश्तों के रूप में दो गुना वापस करने का था। अभियुक्तगण को पता था कि एक वर्ष से पहले ही इस स्कीम में अरबों रुपये की धनराशि कंपनी में निवेशक जमा कर देंगे। निवेशकों ने 2 या 3 किश्त प्राप्त की थी तथा नए निवेशकों को कोई किश्त नहीं मिली। 4-5 माह में कंपनी में लगभग ढाई लाख निवेशकों ने करीब 3500 करोड रूपया जमा किया। इसके अतिरिक्त बहुत बड़ी धनराशि कंपनी के कार्यालय में कम्प्यूटर व उसके उपकरणों को जलाकर उसके रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया। अपराधिक षडयन्त्र के तहत बिना औपचारिकताएं पूर्ण किए लाखो चैक मैसर्स गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लि० को प्रिन्टिंग प्रेस से सीधे जारी कर दिए गए, जो फर्जी रूप से हस्ताक्षरित कर पोस्ट डेटेड चैक के रूप में निवेशकों को भेजे गए। कंपनी के कार्यालय से अभिलेख जिनमें अधजले कम्प्यूटर, उपकरण अन्य अभिलेख बरामद किए गए और जिनकी फर्द तैयार की गई। इनमें अभियुक्त की बैंक फर्द तैयार की गई्, इनमें बैंक नोबल कोपरेटिव बैंक के फर्जी चैक भी बरामद हुए। इस प्रकार अभियुक्त के खिलाफ प्रस्तुत प्रकरण को सम्मलित करते हुए 70 मामले पुलिस के द्वारा थाना दादरी में ही दर्ज किए गए हैं। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (दाण्डिक) गौतमबुद्धनगर ने यह भी नजीर पेश करते हुए कहा कि जहां तक समानता के आधार पर जमानत प्रदान किए जाने का तर्क है। इस संबंध मे प्रतिपादित विधि व्यवस्था सलीम प्रति उत्तर प्रदेश राज्य 2003 ए.एल.जे. 625 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया है कि गम्भीर अपराधों के मामलों में समानता के आधार पर जमानत प्रदान नहीं की जा सकती है। गर्वित इन्नोवेटिस प्रोमोटर्स लि०/बाईक बोट कंपनी के घोटाले में कई हजार करोड रुपये का आर्थिक अपराध संलिप्त है। प्रस्तुत मामला आर्थिक घोटालों से संबन्धित कहा गया है। इस संबंध में विधि व्यवस्था शिवराज सिंह उर्फ छुट्टन प्रति उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2009 (65) एसीसी पेज 781 (इलाहाबाद डबल बेंच)  व माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के पत्रांक संख्या 15336/ 2010 एडमिन जी.11 दिनांकित 20.09.2010 के प्रकाश में प्रतिपादित विधिक सिद्धान्तों के आलोक में जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने योग्य है। संबंधित पक्ष के विद्वान अधिवक्ताआेंं को सुनने और सबूतों को मद्दनेजर रखते हुए विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुद्धनगर वेदप्रकाश वर्मा ने अभियुक्त डा० विजय कुमार शर्मा के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है।

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