विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने की करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट घोटाले की निदेशक दीप्ति बहल की जमानत याचिका नामंजूर
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर ने यह भी बताया कि आवेदिका/अभियुक्ता से इण्टोरेगेशन ( पूछताछ ) व बरामदगी किया जाना आवश्यक है जिस हेतु आवेदिका/अभियुक्ता को अभिरक्षा में लिए जाने की आवश्यकता है। जी.आई.पी.एल./बाईक बोट कंपनी में 35 अरब रूपये ज्यादा का आर्थिक अपराध का संलिप्त होना कहा गया है। आवेदिका/अभियुक्ता बाईक बोट कंपनी की निदेशक रही है। गंभीर अपराधों में समानता के अधिकार का दावा नहीं किया जा सकता। जैसा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित विधि व्यवस्था शालिम बनाम स्टेट ऑफ यू0पी0 2003 इला0 लॉ0 ज0 625 के आलोक में जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। इस मामले में संबंधित पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीले सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने अग्रिम जमानत अर्जी नामंजूर कर दी।
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट पोंजी घोटाले में शामिल निदेशक दीप्ति बहल की जमानत याचिका नामंजूर कर दी है। दीप्ति बहल, बाइक बोट घोटाले के मुख्य आरोपी संजय भाटी की पत्नी है। विशेष न्यायालय, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर में बाइक बोट घोटाले की निदेशक दीप्ति बहल ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी जिसे विशेष न्यायालय ने खारिज कर दिया है। बाइक टैक्सी चलाने के नाम पर देश के करीब तीन लाख लोगों से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी करने का मामला खासा सुर्खियों में है। इस कंपनी का मुख्य कर्ता.धर्ता संजय भाटी सहित करीब 51 आरोपी शामिल रहे हैं। इनमें बाइक बोट कंपनी के कई निदेशकों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कई भी फरार हैं। पुलिस ने फरार निदेशकों पर इनाम घोषित किया है और जिनकी गिरफ्तारी के लिए ईओडब्ल्यू व एसटीएफ की टीमें विभिन्न स्थानों पर दबिशें दे रही हैं। गौरतलब है कि गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड ( बाइक बोट ) के नाम से संजय भाटी व उसके अन्य साथियों ने एक बाइक टैक्सी चलाने की कंपनी शुरू की। इन लोगों ने करीब 200 प्रतिशत मुनाफा कमाने का लालच देकर प्रति बाइक के नाम पर 62,100 रुपये निवेश करवाया तथा उसके एवज में इन लोगों ने उन्हें 9,765 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 12 महीने तक देने का वादा किया। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से करीब तीन लाख निवेशकों ने इस कंपनी में पैसे लगाए। जब कंपनी के मालिक संजय भाटी, सचिन भाटी, पवन भाटी, आदेश भाटी, राजेश भारद्वाज, करण पाल, दीप्ति बहल, विजयपाल कसाना आदि ने निवेशकों से करीब 10 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए तो वे उन्हें धोखा देकर फरार हो गए। इस ठग कंपनी में करीब 51 लोग शामिल हैं। इस मामले में गौतमबुद्धनगर में करीब 33 मुकदमे दर्ज किए हैं, जबकि देश के विभिन्न जगहों पर 500 से ज्यादा मामले अब तक दर्ज हो चुके हैं। दीप्ति बहल प्रति उत्तर प्रदेश राज्य ने अग्रिम जमानत प्राथना पत्र संख्या 658 सन 2020यूपीजी 01005732/2020 न्यायालय.विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर में सुनवाई हुई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर धमेंद्र जैंत ने बताया कि आवेदिका/ अभियुक्ता दीप्ति बहल की ओर से मुकदमा अपराध संख्या 609 सन 2019 धारा 420,406 भारतीय दण्ड संहिता थाना दादरी जिलाः-.गौतमबुद्धनगर, अग्रिम जमानत हेतु प्रार्थनापत्र अन्तर्गत 438 दण्ड प्रक्रिया संहिता प्रस्तुत किया गया। इस जमानत अर्जी पर दीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई तथा प्रतिभू प्रार्थनापत्र व केस डायरी एव् अन्य प्रपत्रों का अवलोकन किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर धमेंद्र जैंत ने बताया कि वादी द्वारा इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराई गई कि मनोज कुमार यादव रिटायर्ड फौजी है उसने कंपनी के संबन्ध में उसे प्लान समझाया और डायरेक्टर करणपाल सिंह से मुलाकात कराई। उनके द्वारा एक बाईक बोट कंपनी में लगाए जाने के संबध में बताया जो उक्त कम्पनी के डायरेक्टर भी थे। गर्वित इन्नोवेटिव प्रोमोटर्स लि कंपनी में एक मोटर साइकिल के लिए प्रति मोटर साईकिल 62,100/.रूपये जमा किए जाने की एवज में गर्वित इन्नोवेटिस प्रोमोटर्स लि0 ने प्रति मोटर साईकिल किराया तथा जमा की गई कुल धनराशि को 12 मासिक किस्तों के रूप में 12 मास तक चुकाने का एग्रीमेण्ट किया। वादी द्वारा भी ऊक्त कंपनी में धनराशि निवेशित कर दी गई परंतु उससे निवेश करवाने के बाद उसको पूर्वनिर्धारित एग्रीमेण्ट के अनुसार मासिक किराया तया मासिक किस्त नहीं दी। बार बार आग्रह किए जाने पर भी अदा नही किया। बचाव पक्ष दीप्ति बहल के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जमानत के आधार में कहा गया है कि आवेदिका/अभियुक्ता को झूठा इस केस में फंसा दिया गया है और आवेदिका/अभियुक्ता ने कोई अपराध कारित नही किया है। आवेदिका/अभियुक्ता के विरुद्ध उक्त धाराओ के अधीन अपराध गठित नहीं होता है। आवेदिका/अभियुक्ता प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित नहीं है। आवेदिका/अभियुक्ता प्रकरण के बादी को न तो जानती है और न ही उससे कभी मुलाकात हुई है। बचाव पक्ष के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी दलील दी कि मुअ0सं0 353/2019 में अभियुक्त संजय गोयल को माननीय उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है। इसलिए आवेदिका/अभियुक्ता को भी अग्रिम जमानत दे दी जाए तथा यह भी तर्क रखा गया है कि भिन्न.भिन्न व्यक्तियों द्वारा भिन्न-2 धाराओ में प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं। कथित गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लि0 कंपनी से आवेदिका/ अभियुका ने दिनाक 14-02-2017 को निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था। आवेदिका/अभियुक्ता कथित कंपनी के प्रबंध निदेशक की पत्नी होने के कारण झूठा फंसाया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट विलंब से दर्ज कराई गई है। सभी निदेशक जेल में है। प्रवर्तन निदेशालय ने ढाई हजार करोड़ रूपये की संपत्ति कम्पनी की सीज की है तथा बाईडिंग एक्ट के तहत वाद योजित किया है जिसमें ल्यूकीडेटर अपाइन्ट होना है तथा सभी वादियो को पैसा दे दिया जाएगा। विद्वान अधिवक्ता ने बचाव में दलील देते हुए यह भी कहा कि आवेदिका/अभियुक्ता डिग्री कालेज की प्रधानाचार्य है जो दो बच्चों की मां है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नही है। आवेदिका/अभियुक्ता द्वारा गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लि० कंपनी के मेमोरेन्डम ऑफ एसोसिएशन की छाया प्रते दाखिल की गई है। पुलिस आवेदिका/अभियुक्ता ख्याति व संपत्ति को नुकसान पहुंचाना चाहती है। पुलिस, आवेदिका/अभियुक्ता को गिरफ्तार किए जाने की धमकी दे रही है। आवेदिका/अभियुक्ता की उक्त प्रकरण में गिरफ्तार होने की पूर्ण आशंका है। उधर सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर धमेंद्र जैंत ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दीं कि आवेदिका/अभियुक्ता उक्त कंपनी में 38 प्रतिशत की शेयर होल्डर है तथा उसके ऊपर 50 हजार रूपये का इनाम भी घोषित है। साथ ही उसके एकाउन्ट का विवरण आना अभी बाकी है। आवेदिका/अभियुक्ता इस मुकदमे के साथ अन्य 26 मुकदमो में वांछित चल रही है और जांच में अब तक 122 कंपनियों का नाम आ चुका है, जिसमें गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लि0 कंपनी से पैसे का लेन देन हुआ है। इससे संबंधित डी0वी0डी0 नष्ट की गई है जिसका इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य इक्ट्ठा किया जा रहा है। पूरे देश में लगभग ढाई लाख लोगो का पैसा फंसा है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर ने दलील देते हुए यह भी कहा कि आर्थिक घोटाले में लगभग 35 अरब रूपये के आंकडे प्राप्त हो चुके है, साथ ही अन्य खातो के डिटेल प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी मामले को लेकर जांच की जा रही है। यह भी तर्क रखा गया है कि प्रस्तुत मामले में पूछताछ बरामदगी हेतु आवेदिका/ अभियुक्ता की गिरफ्तारी आवश्यक है। प्रस्तुत प्रकरण में अग्रिम विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन, मेरठ द्वारा की जा रही है। अभी प्रस्तुत प्रकरण में अग्रिम विवेचना जारी है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर ने यह भी बताया कि आवेदिका/अभियुक्ता से इण्टोरेगेशन ( पूछताछ ) व बरामदगी किया जाना आवश्यक है जिस हेतु आवेदिका/अभियुक्ता को अभिरक्षा में लिए जाने की आवश्यकता है। जी.आई.पी.एल./बाईक बोट कंपनी में 35 अरब रूपये ज्यादा का आर्थिक अपराध का संलिप्त होना कहा गया है। आवेदिका/अभियुक्ता बाईक बोट कंपनी की निदेशक रही है। गंभीर अपराधों में समानता के अधिकार का दावा नहीं किया जा सकता। जैसा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित विधि व्यवस्था शालिम बनाम स्टेट ऑफ यू0पी0 2003 इला0 लॉ0 ज0 625 के आलोक में जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। इस मामले में संबंधित पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीले सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने अग्रिम जमानत अर्जी नामंजूर कर दी है।