केरल हाईकोर्ट ने एक जमानत अर्जी पर विचार करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में एक बाइक सवार को हेलमेट न पहनने के अपराध में मुकदमा दर्ज करने के लिए शिकार नहीं बनाया ज सकता है। ऐसा करने से पुलिस ऑफिसर और ट्रैफिक उल्लंघनकर्ता दोनों के जीवन को खतरे में पड़ने की आशंका होती है। पुलिस ऑफिस और दूसरे अन्य अधिकारी भी ट्रैफिक अपराधों का पता लगाने के लिए डिजिटल कैमरा, ट्रैफिक सर्विलांस कैमरा, मोबाइल फोन कैमरे, हाथ से पकड़े जाने योग्य वीडियो कैमरे का उपयोग करें। यदि इस तरह के तरीकों का उपयोग किया जाता है, तो अपराधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद होंगे।
कानून रिव्यू/केरल
हेलमेट न पहनने के अपराध में पुलिस को किसी बाइक सवार का पीछा नहीं करना चाहिए। यह बात केरल हाईकोर्ट ने एक जमानत अर्जी पर विचार करते हुए कही कि किसी भी परिस्थिति में एक बाइक सवार को हेलमेट न पहनने के अपराध में मुकदमा दर्ज करने के लिए शिकार नहीं बनाया ज सकता है। ऐसा करने से पुलिस ऑफिसर और ट्रैफिक उल्लंघनकर्ता दोनों के जीवन को खतरे में पड़ने की आशंका होती है। केरल हाईकोर्ट में जस्टिस राजा विजयराघवन वी ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में बाइक सवार को हेलमेट न पहनने के अपराध में शिकार नहीं बनाया जा सकता। इस मामले में मुफलिह नामक युवक पर एक पुलिस ऑफिसर को गिराने का आरोप था, जिसने उसे हेलमेट न पहनने के कारण रुकने का संकेत दिया था। अपनी जमानत याचिका में युवक ने दलील दी कि पुलिस अधिकारी अचानक उसकी बाइक के रास्ते में आ गया और रोकने की कोशशि की। बाइक स्पीड में थी, जिससे झटके से दाएं मुड़ना पड़ा और उसकी बाइक कार में जाकर टकरा गई। कोर्ट ने मामले में जमानत देते हुए मोटर व्हीकल डिपार्टमेंट और पुलिस द्वारा यातायात उल्लंघनों को पकड़ने के लिए पुराने तरीकों का इस्तेमाल किए जाने की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल ड्राइविंग रेगुलेशनए 2017 विशेष रूप से सिग्नलिंग उपकरणों का उपयोग करके एक वाहन को रोकने के लिए बनाया गया है, न कि वाहनों शारीरिक रूप से बाधित करके रोकने के लिए। जज ने कहा यह बहुत ही महत्वपूर्ण समय है कि पुलिस ऑफिस और दूसरे अन्य अधिकारी भी ट्रैफिक अपराधों का पता लगाने के लिए डिजिटल कैमरा, ट्रैफिक सर्विलांस कैमरा, मोबाइल फोन कैमरे, हाथ से पकड़े जाने योग्य वीडियो कैमरे का उपयोग करें। यदि इस तरह के तरीकों का उपयोग किया जाता है, तो अपराधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद होंगे। यदि कोई व्यक्ति बिना हेलमेट पहने बहुत ही तेज गति से वाहन चलाता है या सिग्नल देने के बाद वो बाइक रोकता नहीं है तो उसका रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज किया जा सकता है और वाहन का विवरण उसे वायरलेस या अन्य किसी माध्यम से भेजा जा सकता है और इस प्रकार उसे बहुत अच्छी तरह से रोका जा सकता है। यदि नियम अनुमति देता है, तो वाहनों को धीमा करने के लिए बैरिकेड भी लगाए जा सकते हैं। ट्रैफिक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए नियमित रूप से जांच की जा सकती है। जैसा कि राज्य पुलिस प्रमुख द्वारा जारी 28 मार्च 2012 के सर्कुलर नंबर 6/2012 में कहा गया मोटर वाहन निरीक्षक या पुलिस अधिकारी पूर्व घोषणा के साथ भली.भांती चिन्हित बिंदुओं पर चेक पर चेंकिंग कर सकते हैं। इसका उद्देश्य लोगों को चौंकाकर पकड़ना नहीं है बल्कि उन्हें सुरक्षा की आदतें सिखाना है। कोर्ट ने कहा कि कुछ भी हो, अफसरों से उम्मीद नहीं की जाती कि वे वाहनों को शारीरिक रूप से रोकने के लिए सड़क के बीच में कूदने की कोशिश करें, जिससे ट्रैफिक का उल्लंघन कर रहे वाहन चालक को रोका जा सके। किसी भी परिस्थिति में बाइक सवार का हेलमेट नहीं पहनने के अपराध में बुकिंग करने के लिए पीछा नहीं किया जाएगा क्योंकि इससे पुलिस अधिकारी और ट्रैफिक अपराधी के दोनों का जीवन को खतरे में पड़ने की आशंका होती है। ऐसे कृत्यों में कई लोगों की जान चली गई है ये बहुत महत्वपूर्ण समय है कि जबकि बचाव के उपाय किए जाएं।