डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने कहा कि सुनील राठी ने ही की है मुन्ना बंजरंगी की हत्या
कानून रिव्यू/ बागपत
—————————-बागपत की जेल में गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की हत्या सुनील राठी द्वारा की गई है। डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या सुनील राठी ने की हैं।डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि चूंकि हत्या न्यायिक हिरासत में हुई है इसलिए घटना की जांच मजिस्ट्रेट से कराए जाने को लेकर बात कर ली गई है। डीआईजी ने बताया कि झांसी जेल से बागपत जेल में शिफ्ट करने के दौरान मुन्ना बजरंगी के साथ बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स भेजी गई थी। इसमें पूरी सावधानी बरती गई थी। घटना के बाद जेल प्रशासन की ओर से मामले की एफआईआर कराई गई है। मजिस्ट्रेटी जांच के अलावा इस मामले की जांच डीआईजी जेल आगरा भी0 करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि चश्मदीदों की गवाही के बाद सुनील राठी के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है। घटनास्थल से 10 खोखे, 17 जिंदा कारतूस और 2 मैगजीन बरामद की गई है। इसके अलावा घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम भी जांच.पड़ताल कर रही है। डीआईजी कानून व्यवस्था ने बताया कि बागपत का रहने वाला सुनील राठी 2017 से यहां की ही जेल में बंद है। उसका इस समय ट्रायल चल रहा है। हालांकि अभी तक हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्टल बरामद नहीं हो पाई है। उनका कहना है कि अब राज्य की सभी जेलों में नियमित अभियान चलाए जाएंगे और किसी भी तरह का सामान अंदर नहीं ले जाने दिया जाएगा।
मुन्ना बजरंगी की हत्या साजिश का परिणाम?
———————————————-उत्तर प्रदेश की जेल में हुए खूनी खेल के बाद अब यूपी सरकार और राज्य की कानून व्यवस्था दोनों ही गंभीर सवालों के कटघरे में हैं। 9 जुलाई 2018 को गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की कोर्ट में पेशी होनी थी। लेकिन उससे पहले रविवार को उसे झांसी से बागपत जेल लाया गया। लेकिन 9 जुलाई की सुबह करीब 6.30 बजे जेल के अंदर ही बजरंगी को 10 गोलियां मार दी गईं। बागपत जेल के अंदर से गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाजें आईं तो सभी हक्का.बक्का रह गए। जेल के अंदर गश्त लगा रहे संत्री और अन्य सुरक्षाकर्मी लगभग दौड़ते हुए मुन्ना बजरंगी की बैरक की तरफ पहुंचे लेकिन तब तक मुन्ना वहीं ढेर हो चुका था। मुन्ना की हत्या कर हत्यारे ने हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार बंदूक को गटर में डाल दिया। सवाल यह है कि जब जेल प्रशासन यह दावा करता है कि जेल में बिना चेकिंग के किसी की एंट्री नहीं होती तो फिर इतने कड़े पहरे के बावजूद आखिर जेल के अंदर हथियार पहुंचा कैसे आशंका यह भी जताई जा रही है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या एक सुनियोजित साजिश थी और यह हथियार पहले से ही जेल के अंदर लाकर रखे गए थे। ताकि इनका इस्तेमाल सही मौके पर किया जा सके। जेल के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था होती है। आखिर मुन्ना के हत्यारे को किसी ने देखा क्यों नहीं जिस वक्त मुन्ना का मर्डर हुआ कहां थे सभी सुरक्षाकर्मी झांसी जेल से बागपत लाए जाने के बाद गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी को कुख्यात अपराधी सुनील राठी और विक्की सुनहेड़ा के साथ तन्हाई बैरक में रखा गया था। पत्नी ने जताई थी पति मुन्ना बजरंगी की हत्या की आशंका। अभी कुछ ही दिनों पहले मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने आशंका जताई थी कि उनके पति की हत्या हो सकती है। 29 जून को मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने कहा था कि मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ये बात पहुंचाना चाहती हूं कि मेरे पति की जान को खतरा है। उन्हें उचित सुरक्षा दी जाए। उनके फर्जी एनकाउंटर की साजिश रची जा रही है। यूपी एसटीएफए पुलिस के अधिकारी और कुछ सफेदपोश षड्यंत्र कर रहे हैं कि उन्हें फर्जी एनकाउंटर में न मार दिया जाए।
जेलर, डिप्टी जेलर सस्पेंड
—————————कई सारे सवालों के जवाब अभी यूपी पुलिस की जांच के बाद सामने आएंगे। जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद बागपत जेल के जेलर, डिप्टी जेलर समेत चार जेलकर्मियों को फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की न्यायिक जांच कराने की बात कही है। उन्होंने माना कि जेल के अंदर ऐसी घटनाएं एक गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि इस मामले की गहराई से जांच कराई जाएगी और जो भी इसमें दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बजरंगी ने कराई थी डिप्टी जेलर और एसटीएफ इंस्पेक्टर की हत्या
——————————————————————- मुन्ना बजरंगी उर्फ प्रेमप्रकाश को उसी के अंदाज में मौत के घाट उतार दिया गया। मुन्ना की जिससे ठन जाती थी। उसकी हत्या करने में वह जरा भी गुरेज नहीं करता था। वर्ष 2013 में वाराणसी जेल में सख्त जेलरों में शुमार अनिल त्यागी की भी मुन्ना बजरंगी ने अपने गुर्गों द्वारा जेल के बाहर ही गोलियों से भूनकर हत्या करा दी थी। इस मामले में पुलिस ने मुन्ना गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार जेल भेजा था। मेरठ के नेहरू नगर निवासी एवं वाराणसी जेल के डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की 23 नवंबर 2013 की सुबह जेल के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जेलर त्यागी अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते थे। इस हत्याकांड ने पुलिस और जेल प्रशासन को हिलाकर एसटीएफ की वाराणसी इकाई ने मुन्ना बजरंगी के शूटर गिरफ्तार किए थे। इनमें तीन शूटर अमन सिंह, कुर्बान अली उर्फ सोनू और सागर सिंह उर्फ शिबू को पहले और कुछ दिन बाद मुख्यारोपी चंदन सिंह को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था। एसटीएफ की पूछताछ में चंदन ने बताया था कि डिप्टी जेलर त्यागी के कारण ही गाजीपुर व जौनपुर के माफिया सफेदपोशों का संरक्षण प्राप्त होने के बावजूद वाराणसी जिला जेल में अपनी हुकूमत नहीं चला पा रहे थे। दर्जनों मोबाइल से लैस माफिया बनारस की जेल में बंद अपने गुर्गों से संपर्क तक स्थापित नहीं कर पा रहे थे। कई बार त्यागी व अन्य जेल अधिकारियों पर दबाव बनाया गयाए लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसिलिए माफिया ने अनिल त्यागी को रास्ते से हटाने की योजना बनाई और उनकी हत्या करा दी गई। पुलिस अधिकारियों के अनुसार बजरंगी ने पुलिस को भी निशाना बनाया था। एसटीएफ में तैनात रह चुके इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह को बजरंगी ने ही मारा था। इसके अलावा एक बाहुबली विधायक के भाई की हत्या को भी बजरंगी ने अंजाम दिया, लेकिन कोई नामजदगी नहीं हुई।
सुनील राठी पिता की हत्या के बाद बना अपराधी– माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में कुख्यात बदमाश सुनील राठी का नाम सामने आ चुका है। सुनील राठी को हाल ही में रुड़की जेल से बागपत शिफ्ट किया गया था। उसने रुड़की में अपनी जान का खतरा बताया था। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में आतंक का पर्याय बना सुनील राठी पिता की हत्या के बाद अपराधी बना। करीब 11 साल पहले पिता नरेश राठी की बिजरौल भट्ठे के पास हत्या कर दी गई थी। रंजिश में हुई पिता की हत्या के बाद सुनील अपराधी बन गया और विरोधियों का सफाया किया। इसके बाद सुनील का खौफ कायम हो गया। सुनील ही नहीं उसका पूरा परिवार अपराध जगत में सक्रिय है। मां राजबाला देवी पूर्व चेयरपर्सन टीकरी रही है और बसपा से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। वर्तमान में राजबाला देवी रुड़की जेल में बंद हैं। रुड़की जेल के बाहर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बाद सुर्खियों में आए सुनील राठी ने रुड़की जेल के बाहर भी कुछ इसी तरह की वारदात को अंजाम दिलाई थी।चार साल पहले रुड़की जेल के गेट पर चीनू पंडित से गैंगवार में राठी के गुर्गों ने एके.47 से गोलियां बरसाईं थी और तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। पांच अगस्त 2014 को चीनू की जेल से शाम के समय रिहाई हो रही थी। इसी दौरान सुनील राठी के गुर्गों ने एके.47 और 9 एमएम की पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी जबकि सात लोग घायल हुए थे। इस वारदात में चीनू की ओर से सुनील राठी और उसके खास सुशील राठी, देवपाल राणा, सतीश राणा समेत कई को नामजद कराया था।