हिंदू और मुसलमानों के बीच भाईचारा हो जाएगा तो पूरे मुल्क़ में अच्छा संदेश जाएगा
- कानून रिव्यू/उत्तर प्रदेश
—————————बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि विवाद अदालत से बाहर सुलझाने को लेकर ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड एक तरह से दो फाड हो गया है। बोर्ड से बाहर किए गए सलमान हुसैन नदवी ने पर्सनल लॉ बोर्ड के आसित्व पर ही सवाल खडे कर दिए गए हैं।
अयोध्या में रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद का अदालत के बाहर हल तलाशने के लिए आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रवि शंकर के साथ कोशिश में जुटे मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाहर कर दिया है। इस फ़ैसले के बाद सैयद नदवी ने कहा कि अयोध्या मामले पर अदालत के बाहर सुलह की कोशिश जारी रहेगी और वो इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे। हैदराबाद में हुई बैठक में सैयद नदवी को बाहर करने के फ़ैसले को सही ठहराते हुए बोर्ड के सदस्य कासिम इलियास ने कहा कि जो भी सार्वजनिक मंच पर बोर्ड की राय के खिलाफ बात करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई तो होगी।
अयोध्या में मंदिर बने और मस्जिद कहीं और बन जाए शिया वक़्फ़ बोर्ड को, बोर्ड के खि़लाफ़ बोलने की इजाज़त नहीं है। कासिम इलियास ने कहा कि बोर्ड ने 1991 और 1993 में एक मत से जो फ़ैसला लिया था उस पर सलमान नदवी साहब के भी दस्तख़्त थे। उन्होंने इतने सालों में कभी उस पर बातचीत नहीं की और अब उसके खिलाफ़ जा रहे हैं, उन्हें बोर्ड का स्टैंड मालूम है, उसके खिलाफ़ पब्लिक में राय रखने की इजाज़त कहां से मिली।
इस पर सैयद नदवी कहते हैं कि वक़्त और हालात के मुताबिक़ सोच और फ़ैसले बदलने ज़रूरी हो जाते हैं। वो कहते हैं कि दुनिया बदल जाती है राय बदल जाती है। हालात को देखा जाता है 1990 में एक बात तय कर ली तो वही रहेगी। वहीं मस्जिद बनेगी चाहे ख़ून बह जाए। ये इस्लाम नहीं कहता ये कुरान नहीं कहता ये इनकी ज़िद है। सैयद नदवी कहते हैं कि उनकी राय में मसले को अच्छी तरह सुलझाया जाना चाहिए। वो कहते हैं कि अगर हिंदू और मुसलमानों के बीच भाईचारा हो जाएगा तो पूरे मुल्क़ में अच्छा संदेश जाएगा। वो कहते हैं कि इसके नतीजे में हम अपनी मस्जिद बनाएंगे जहां नमाजें पढ़ी जाएंगी। मस्जिद इसके लिए होती है या झगड़े के लिए होती है। मंदिर का क्या कर लिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने नदवी बोर्ड के फ़ैसलों और उसके काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वहां मंदिर बना हुआ है, मस्जिद टूट चुकी है। 25 साल तो टूटे हुए हो गए। सन 1949 में मूर्ति रखी गई तो क्या कर लिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने, शरीयत हमें इजाज़त देती है कि मस्जिद शिफ़्ट की जा सकती है। इससे पहले जब मस्जिद तोड़ी गई और हज़ारों लोग शहीद कर दिए गए तब क्या किया मौलानाओं ने और क्या किया पर्सनल बोर्ड ने, क्या कर सके ये लोग।
सैयद नदवी आरोप लगाते हैं कि बोर्ड के लोग ये नहीं सोच रहे हैं कि उनके रुख का नतीजा क्या होगा? मस्जिद से बड़ी हैं या फिर इंसानों की जानें। नदवी कहते हैं कि इंसान का ढांचा मस्जिद से अफ़जल है इंसानों की जानें जो गईं उनका मुक़दमा क्यों नहीं लड़ रहे हैं ये फिर दोबारा वहीं मंज़र गर्म करना चाह रहे हैं कि इंसानों की लाशें हों। सैयद नदवी ने कहा कि उन्हें बाहर किए जाने के बोर्ड के फ़ैसले का सुलह की कोशिश पर कोई असर नहीं होगा। वो कहते हैं कि श्रीश्री रविशंकर साहब ने इब्दता की है और हम अयोध्या जाएंगे जितने भी साधु संत हैं उनसे और शंकराचार्य से मिलेंगे। मोदी जी से भी मुलाकात करेंगे सुप्रीम कोर्ट के जजों से कहेंगे कि आप इसे इंडोर्स कर दीजिए कि बाहर फ़ैसला हो। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तो ख़ुद सलाह दी थी कि बाहर फ़ैसला हो। मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी ये दावा भी करते हैं कि वो पहले ही बोर्ड से अलग होने का ऐलान कर चुके थे। उनका आरोप है कि बोर्ड की मीटिंग में उन्हें सही तरीके से पक्ष रखने का मौका नहीं मिला और उसी वक़्त उन्होंने अलग होने का फ़ैसला कर लिया था।