मोबाइल नंबर पॉर्टेबिलिटी की तर्ज पर लोगों को यह चुनने की आजादी जल्द मिल जाएगी कि वो किस कंपनी से बिजली सप्लाइ लेंगे
विंटर सेशन में बिल पेश करने की सरकार की मंशा
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————-बिजली कनेक्शन पॉर्टेबिलिटी के लिए सरकार ने कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। नया कानून अमल में आ जाने पर मोबाइल नंबर पॉर्टेबिलिटी की तर्ज पर लोगों को यह चुनने की आजादी जल्द मिल जाएगी कि वो किस कंपनी से बिजली सप्लाइ लेंगे। सरकार की योजना संसद के विंटर सेशन में इस संबंध में जरूरी बिल पेश करने की है। विंटर सेशन नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होगा। हालांकि इस बिल से जुड़े प्लान का राज्यों ने विरोध किया है। कई स्टेट डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां अपना एकाधिकार बनाए रखना चाहती हैं। यह एकाधिकार टूटा तो कन्ज्यूमर अपनी पसंद के सप्लायर्स के साथ जुड़ सकते हैं। नए कानून के लागू होने से मार्केट में प्रतिस्पर्द्धा शुरू होगी। ऐनालिस्ट्स का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं को अफोर्डेबल रेट्स पर बिजली मिल सकेगी और नुकसान कम होगा और साथ ही निवेशक भी आकर्षित होंगे। पीडब्ल्यूसी के पार्टनर ;एनर्जी एंड यूटिलिटीज संबितोष महापात्र ने कहा कि इससे इंडियन यूटिलिटी बिजनेस में कदम रखने के लिए निवेशकों को सबसे बड़ा प्लैटफॉर्म मिलेगा। इस बिजनेस में 25 करोड़ कस्टमर हैं। इससे कस्टमर्स को भी चॉइस मिलेगी। इसे लागू करने के बारे में रोडमैप 2014 में बनाए गए थे। अच्छी बात है कि सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि इससे इस सेक्टर की फाइनैंशल हेल्थ भी सुधरेगी। उन्होंने कहा कि स्कीम से जुड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए कॉन्टेंट और वायर्स को अलग करना और कॉन्टेंट बिजनस में प्रतिस्पर्द्धा आवश्यक है। अधिकारिक सूत्रों की माने तो राज्यों की चिंता दूर करने के लिए हो सकता है कि बिल में प्रावधानों को लागू करने की टाइमलाइन न रखी जाए। हालांकि राज्यों से कहा जा सकता है कि वे अगले 3.5 वर्षों में इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन पॉर्टेबिलिटी के लिए इस रिफॉर्म को लागू करने अपनी योजनाओं को नोटिफाई करें। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ और नेटवर्क मेनटेनेंस सर्विसेज को अलग करने और एक ही एरिया में कई लाइसेंस देने के प्रस्ताव पर कई वर्षों से काम चल रहा है। इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करना होगा। यह प्रस्ताव मोबाइल नंबर पॉर्टेबिलिटी सरीखा है जिसमें कन्ज्यूमर अपनी पसंद की टेलिकॉम ऑपरेटर चुन सकते हैं। अभी पावर डिस्ट्रिब्यूशन यूटिलिटीज को जिन इलाकों के लिए लाइसेंस दिया गया है वहां डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के ऑपरेशन और मेनटेनेंस के लिए वो ही जिम्मेदार हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस प्रस्ताव के लागू होने से रीटेल इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में कॉम्पिटिशन शुरू होगा और कन्ज्यूमर्स को फायदा होगा लेकिन कई राज्यों ने इसका विरोध किया है। लिहाजा सरकार विचार कर रही है कि बिल का नरम वर्जन पेश किया जाए जिसमें राज्यों के लिए कोई टाइमलाइन न रखी जाए। उन्होंने बताया कि हालांकि बिल के कानून की शक्ल लेने पर केंद्र सरकार राज्यों से कह सकती है कि वे इस कानून को लागू करने की अपनी योजनाएं नोटिफाई करें।
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