कोर्टः- माता.पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एवं कल्याण अधिनियम 2007 और दिल्ली माता.पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एवं कल्याण नियम 2009 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अर्जी स्वीकार की जाती है और सभी दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मै,पुत्र एवं पुत्रवधु को याचिकाकर्ताओं की संपत्ति खाली करने का आदेश देता हूं।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
वर्षों तक मारपीट और प्रताड़ना झेलने वाले एक बुजुर्ग दंपती ने अपने बेटे और बहू के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ली है क्योंकि दिल्ली की एक अदालत ने दंपती के बेटे और उसकी पत्नी को मकान छोड़ने और वरिष्ठ नागरिकों को शांतिपूर्ण ढंग से रहने देने के लिए कहा है। दक्षिणी दिल्ली के जिला मैजिस्ट्रेट अमजद टाक ने 78 वर्षीय व्यक्ति और 74 वर्षीय उनकी पत्नी की अर्जी स्वीकार कर लीए जिसमें उन्होंने अपने पुत्र और पुत्रवधु से संरक्षण मांगा था। वृद्ध दंपती ने अर्जी माता.पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एवं कल्याण अधिनियम 2007 इसे दिल्ली माता.पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एवं कल्याण नियम 2009 और 2016 के साथ पढ़ा जाए के प्रावधानों के तहत दायर की थी। मैजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता प्रतिवादियों के खराब व्यवहार से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं और उन्हें सम्पत्ति के शांतिपूर्ण कब्जे से इनकार किया गया है। मजिस्ट्रेट ने कहा कि माता.पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एवं कल्याण अधिनियम 2007 और दिल्ली माता.पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एवं कल्याण नियम 2009 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अर्जी स्वीकार की जाती है और सभी दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मै,पुत्र एवं पुत्रवधु को याचिकाकर्ताओं की संपत्ति खाली करने का आदेश देता हूं। याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता विकास मल्होत्रा के जरिए नवंबर 2017 में दायर याचिका में कहा था कि उनके पुत्र और पुत्रवधु ने यहां पंचशील पार्क स्थित मकान की पहली मंजिल पर जबरन कब्जा कर लिया है। अर्जी में आरोप लगाया गया था कि पुत्र और उसकी पत्नी 2004 से ही उनके साथ क्रूरता कर रहे हैं।