सिंगापुर में भारतीय के लिए एक नई मुसीबत
कानून रिव्यू/इंटरनेशनल
————————–सिंगापुर में जिन लोगों के बेनामी एसेट्स या बैंक अकाउंट हैं या जिनके पास ये चीजें कुछ साल पहले तक थीं वे कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं। दरअसल पिछले साल से लागू रिवाइज्ड डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस अग्रीमेंट के तहत दोनों देश फाइनैंशियल डेटा शेयर कर रहे हैं। जब साल 2017 खत्म होने को था तब सिंगापुर की टैक्स अथॉरिटीज का लेटर कुछ इंडियंस को मिला था। जिनमें दिल्ली का एक शख्स भी था। सिंगापुर की अथॉरिटीज बैंकों और दूसरी एजेंसियों से 2008-2017 के उनके बैंक खातों के डिटेल और उनके नाम एसेट्स के बारे में जानना चाहती है। यह सब जानकारी इंडियन टैक्स अथॉरिटीज के साथ शेयर की जाएगी।
अगर ऐसे बैंक अकाउंट्स या एसेट्स इंडियन अथॉरिटीज के पास डिक्लेयर नहीं किए गए हैं तो उनके होल्डर्स को 2015 में लागू विदेशी काला धन कानून के तहत मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि कई लोगों ने यह सोचकर विदेशी बैंक खाते बंद करा दिए थे या उन्हें किसी और देश में शिफ्ट कर दिया था कि बाद में उनका पता नहीं लगाया जा सकता। ब्लैक मनी अनडिस्क्लोज्ड फॉरन इनकम एंड एसेट्स एंड एंपोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट 2015 में ऐसी एसेट्स या अकाउंट्स होल्डर्स को डिक्लेयर करके पाक साफ होने का मौका दिया गया था। जिन लोगों के पास अनडिस्क्लोज्ड एसेट्स या फॉरन इनकम होने का पता चलेगा, उन्हें उस रकम पर टैक्स देना होगा। यही नहीं टैक्स के 3 गुना तक पेनल्टी देनी होगी और उन्हें 7 साल की कैद हो सकती है।
नॉन डिस्क्लोज्ड इनकम पर पेनल्टी
————————लॉ फर्म नांगिया एंड कंपनी के राकेश नांगिया कहते हैं बैंकों से उन खातों के डिटेल शेयर करने का अनुरोध किया जा रहा है जो अभी या 8 से 10 साल पहले तक टैक्सपेयर के पास प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष बेनिफिशयरी ओनर पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर के तौर पर थे। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को उन टैक्सपेयर्स की भी डीटेल मिलेगी। जिनके पास अभी कोई बैंक अकाउंट नहीं है लेकिन पहले था। अनडिस्क्लोज्ड अकाउंट या एसेट्स के मामले में कितनी पेनल्टी लगेगी। यह नॉन डिस्क्लोजर के नेचर पर निर्भर होगा। पीडब्ल्यूसी के पार्टनर कुलदीप कुमार के मुताबिक यह ध्यान देनेवाली बात है कि अगर कोई टैक्स रिटर्न में अपने फॉरन बैंक अकाउंट के बारे में बताना भूल गया था तो हो सकता है कि अथॉरिटीज ब्लैक मनी एक्ट के तहत उनसे 10 लाख रुपये की नॉन डिस्क्लोजर पेनल्टी ना ली जाए अगर उसके फॉरन अकाउंट में कुल रकम 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो। लेकिन जिन अनडिस्क्लोज्ड फॉरन इनकम पर टैक्स लग सकता थाए उनके डिस्क्लोजर पर टैक्स के साथ पेनल्टी भी लगेगी और सजा भी मिल सकती है।