मथुरा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर की ओर से सजा ऐलान कल होगा
80 के दशक में राजा मान सिंह का मामला बेहद चर्चा में रहा था। वर्ष 1985 में मानसिंह राजस्थान के भरतपुर में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए थे। मामला राजस्थान पुलिस से जुड़ी घटना से संबंधित है, जिस पर पश्चिमी यूपी के मथुरा की कोर्ट ने सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह मामला इस कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था।
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/उत्तर प्रदेश
भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह की मौत के मामले में 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया है। इन पुलिसकर्मियों की सजा ऐलान मथुरा कोर्ट मेंं कल किया जाएगा। वर्ष 1985 में मानसिंह राजस्थान के भरतपुर में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए थे। इससे, एक दिन पहले उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन हेलीकॉप्टर में अपनी जीप से जोरदार टक्कर मारी थी। राजा मान सिंह की मौत के मामले में फैसला आने में 35 वर्ष लग गए। इसे न्यायिक व्यवस्था की लेटलतीफी ही माना जाएगा। वर्ष 1985 के राजा मान सिंह की मौत का बहुचर्चित मामले में फैसला देते हुए मथुरा की अदालत ने 11 पुलिस कर्मियों को दोषी ठहराया है। दोषी पुलिसकर्मियों को बुधवार को सजा सुनाई जाएगी। राजा मान सिंह हत्याकांड में मुकदमे की सुनवाई के लिए राजा मानसिंह की बेटी दीपा सिंह उनके पति विजय सिंह आदि परिजन मथुरा कोर्ट पहुंच गए थे। गौरतलब है कि 80 के दशक में राजा मान सिंह का मामला बेहद चर्चा में रहा था। वर्ष 1985 में मानसिंह राजस्थान के भरतपुर में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए थे। मामला राजस्थान पुलिस से जुड़ी घटना से संबंधित है, जिस पर पश्चिमी यूपी के मथुरा की कोर्ट ने सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह मामला इस कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। मामले में राजा मानसिंह ने अपनी जीप को राजस्थान के तत्कालीन सीएम के हेलीकॉप्टर और रैली के मंच से टकरा दिया था।
राजा मान सिंह को राजस्थान के तत्कालीन सीएम से पंगा लेना महंगा पड गया?
सीएम के हेलीकॉप्टर को जोगा से टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया था
भरतपुर रियासत के महाराज किशन सिंह के घर राजा मान सिंह का जन्म पांच दिसंबर, 1921 को हुआ था। इंग्लैंड में वर्ष 1928 से 1942 तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। दीपा उर्फ कृष्णेंद्र कौर उनकी तीन बेटियों में सबसे बड़ी हैं। 1946-1947 भरतपुर रियासत के मंत्री रहे थे। वर्ष 1947 में उन्होंने रियासत का झंडा उतारने का विरोध किया। 1952 में विधान सभा का पहला निर्दलीय चुनाव जीता। इसके बाद लगातार वह सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए। 21 फरवरी, 1985 को भरतपुर के राजा मान सिंह व दो अन्य की भरतपुर में हत्या हुई थी। दामाद विजय सिंह ने डीग (राजस्थान) थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। तत्कालीन सीओ कान सिंह भाटी व अन्य को नामजद किया गया था। पुलिस ने मुठभेड़ की रिपोर्ट दर्ज की। घटना की सीबीआई जांच हुई। केस का आरोप पत्र सीबीआइ ने जयपुर न्यायालय में दाखिल किया था। वर्ष 1990 से मथुरा कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही है। इससे एक दिन पहले राजा ने 20 फरवरी,1985 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की डीग में सभा मंच व उनके हेलीकॉप्टर को जोगा की टक्कर से क्षतिग्रस्त कर दिया था। 35 साल पुराने इस मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मथुरा न्यायालय की कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई की गई। मुकदमे में 14 पुलिसकर्मी ट्रायल पर हैं। 20 फरवरी 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग में राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए जनसभा करने आए थे। राजा मान सिंह डीग विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। जबकि उनके सामने कांग्रेस के ब्रजेंद्र सिंह प्रत्याशी थे। आरोप है कि कांग्रेस समर्थकों ने राजा मान सिंह के डीग स्थित किले पर लगा उनका झंडा उतारकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। ये बात राजा मान सिंह को नागवार गुजरी। पुलिस एफआइआर के मुताबिक, राजा ने चौड़ा सभा मंच को जोगा जीप की टक्कर से तोड़ दिया था, इसके बाद सीएम के हेलीकॉप्टर को जोगा से टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। अगले दिन 21 फरवरी को दोपहर में राजा मान सिंह और डीग के तत्कालीन डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी का अनाज मंडी में आमना-सामना हो गया था। यहां हुई फायरिंग में राजा मान सिंह, उनके साथी सुमेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी। जिस वक्त राजा की मौत हुई, उनकी उम्र 64 वर्ष थी। घटना की रिपोर्ट राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह ने डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी और एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत अन्य के खिलाफ हत्या की धाराओं में दर्ज कराई थी। जबकि पुलिस ने इसे एनकाउंटर करार दिया था। एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने राजा मान सिंह, विजय सिंह, सुमेर सिंह, हरी सिंह समेत उनके कई समर्थकों के खिलाफ डीग थाने में लिखाई रिपोर्ट थी। 22 फरवरी को राजा की अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस मामले से सियासी बवाल हुआ, तो राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी। जयपुर सीबीआई कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। वादी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण लेकर मुकदमे को राजस्थान से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की। एक जनवरी, 1990 को सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा जिला एवं सत्र न्यायाधीश मथुरा स्थानांतरित कर दिया। इस मामले की पिछली सुनवाई मथुरा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर की अदालत में 9 जुलाई को हुई थी, तब 21 जुलाई फैसले पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई थी। डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआइ रवि शेखर को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी करार दिया गया हैै। इन सभी को कस्टडी में ले लिया गया है। जब कि पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी। इन तीनों पर जीडी में फेरबदल करने का आरोप साबित नहीं हो पाया, लिहाजा अदालत ने इन्हें बरी कर दिया है। इस मामले में कांस्टेबल नेकीराम, कुलदीप और सीताराम चालक महेंद्र सिंह का निधन हो चुका है।