सीपीआई कार्यकर्ता तीन दिसंबर तक रहेंगे नजरबंद
कानून रिव्यू/ महाराष्ट्र
————————–भीमा कोरेगांव मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सीपीआई कार्यकर्ता तीन दिसंबर तक नजरबंद रहेंगे। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत पुणे पुलिस ने कथित माओवादी संपर्कों के चलते अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल के निवासी रोना विल्सन को जून में गिरफ्तार किया था। भीम-कोरेगांव महाराष्ट्र के पुणे जिले में है। इस छोटे से गांव से मराठा का इतिहास जुड़ा है। 200 साल पहले यानी 1 जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में हरा दिया था। पेशवा की सेना का नेतृत्व बाजीराव द्वितीय कर रहे थे। बाद में इस लड़ाई को दलितों के इतिहास में एक खास जगह मिल गई। बीआर आंबेडकर को फॉलो करने वाले दलित इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम साम्राज्यवाद की लड़ाई नहीं कहते हैं। दलित इस लड़ाई में अपनी जीत मानते हैं, उनके मुताबिक, इस लड़ाई में दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी। साल 2018 इस युद्ध का 200वां साल था। ऐसे में इस बार यहां भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग जमा हुए थे। जश्न के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस दौरान इस घटना में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए थे. इस बार यहां दलित और बहुजन समुदाय के लोगों ने ’एल्गार परिषद’ के नाम से शनिवार वाड़ा में कई जनसभाएं की. शनिवार वाड़ा 1818 तक पेशवा की सीट रही है। जनसभा में मुद्दे हिन्दुत्व राजनीति के खिलाफ थे। इस मौके पर कई बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाषण भी दिए थे और इसी दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी।