इन भुगतान बैंकों का जिस प्रकार नागरिकों को लाभ होगा, अनुदान व्यवस्था का भ्रष्टाचार समाप्त होगा उसी प्रकार इनका एक महत्त्वपूर्ण लाभ सरकार को भी होगा। इन बैंकों के द्वारा एकत्र की गई सारी राशि सरकार के अल्पावधि कार्यों में निवेश की जायेगी। इस प्रकार सरकारी उद्यमों में निवेश के लिए अपार धन उपलब्ध हो पायेगा। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय तथा केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने भुगतान बैंक खोलने की एक नई शुरुआत भारत में की है।
भुगतान बैंक की अवधारणा जो आज तक केवल एक शैक्षणिक अवधारणा की तरह समझी जाती थी, ऐसा अनुमान है कि शीघ्र ही यह नई शुरुआत भारत के नागरिकों के बीच आर्थिक सम्पन्नता की एक नई लहर पैदा करेगी। इसके साथ ही यह आशा की जा रही है कि इस नये प्रयोग से जहाँ आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया तेज होगी वहीं भ्रष्टाचार को एक मजबूत लगाम लगेंगे। भारत की बैंक व्यवस्था में यह एक क्रांतिकारी तूफान सिद्ध होगा। 1990 में भारत में जब निजी बैंकों की स्थापना को मंजूरी दी गई तो उससे यह आशा लगाई गई थी कि भारतीय बैंक प्रणाली में अब क्रांतिकारी परिवर्तन आयेंगे।
काफी हद तक ऐसा देखने में भी आया, परन्तु अब भुगतान बैंकों से और भी अधिक असरदार सुधारों की आशा व्यक्त की जा रही है। क्या हंै ये भुगतान बैंक? भुगतान बैंक का कार्य अत्यन्त सरल है। किसी भी ग्राहक व्यक्ति या संस्था को ऋण देने के अतिरिक्त वे सामान्य बैंकों की तरह सभी कार्य करेंगे। ऋण देने का कारोबार ये केवल सरकार के साथ ही करेंगे। ये भुगतान बैंक मुख्यतः उन क्षेत्रों में नागरिकों तथा बैंकों के बीच दूरी को कम करने का कार्य करेंगे जहां पूर्ण बैंकों की शाखाओं का अभाव है।
इसका अभिप्राय यह हुआ कि इन भुगतान बैंकों के माध्यम से भारत के सुदूर क्षेत्रों के नागरिकों को बैंक व्यवस्था में शामिल करने का कार्य प्रारम्भ होगा। इन बैंकों के माध्यम से नये खाते खोलने, धन जमा करने, जमा धन का भुगतान वापिस करने, ए.टी.एम. प्रारम्भ करने, भुगतान हस्तान्तरित करने से लेकर ड्राफ्ट जारी करने तक के सभी कार्य सम्पन्न होंगे। यह बैंक अपने ग्राहकों से केवल एक लाख रुपये तक की बचत राशि स्वीकार कर पायेंगे। ये बैंक अपने ग्राहकों के हर प्रकार के बिलों का भुगतान भी सुनिश्चित करवायेंगे। यह बैंक मोबाइल फोन से भी नागरिकों को भुगतान की सुविधा प्रदान करेंगे। इस प्रकार आने वाले समय में ग्राहक का मोबाइल फोन ही ए.टी.एम. तथा क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तरह प्रयोग किया जाने लगेगा।
ऐसा अनुमान है कि अगले 10 वर्षों तक भारत के प्रत्येक नागरिक का बैंक खाता होगा। इस कार्य का मुख्य श्रेय भुगतान बैंकों को ही जायेगा। भुगतान बैंकों की इस नई शुरुआत से बैंक कार्यों की लागत भी कम आयेगी, क्योंकि यह बैंक भरपूर प्रतियोगी वातावरण में कार्य करेंगे, क्योंकि स्वाभाविक रूप से प्रत्येक बैंक को अधिक कार्य करने में ही अधिक लाभ का उद्देश्य पूरा होता दिखाई देगा। इस प्रकार बैंक कार्यों की लागत कम आने से इस बात की पूरी सम्भावना है कि नागरिकों को वर्तमान बैंकों के द्वारा बचत खातों में जमा राशि पर दिये जाने वाले ब्याज की दर से अधिक दर निर्धारित की जायेगी।
आज भी निजी बैंक सरकारी बैंकों से अधिक व्यापार कर रहे हैं परन्तु बचत पर जनता को दिये जाने वाले बयाज की दर सरकारी दरों के स्तर पर ही हैं। वर्तमान समय में बचत खातों पर 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिया जाता है। भविष्य में आशा है कि भुगतान बैंकों के माध्यम से यह दर 5 से 7 प्रतिशत निर्धारित होगी। अन्ततः इन बैंकों का अधिकतम लाभ नागरिकों को ही होगा। राष्ट्रीयकृत बैंकों में भी जो बैंक कमजोर तरीके स्तर पर कार्य कर रहे हैं उन्हें भी इन भुगतान बैंकों के साथ प्रतियोगिता के वातावरण में धकेलने की सम्भावना है। सरकार इन भुगतान बैंकों के माध्यम से अपने सारे सामाजिक कल्याण और अनुदान की योजनाओं को लागू करेगी।
जैसे – एल.पी.जी. या कैरोसिन तेल की सब्सिडी, खाद आदि पर दी जाने वाली सब्सिडी का भुगतान भी इन्हीं बैंकों के माध्यम से जनता तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा सकती है। इस प्रकार सब्सिडी भुगतान की प्रक्रिया में चलने वाला भ्रष्टाचार पूरी तरह जड़ से समाप्त हो पायेगा। इन भुगतान बैंकों का जिस प्रकार नागरिकों को लाभ होगा, अनुदान व्यवस्था का भ्रष्टाचार समाप्त होगा उसी प्रकार इनका एक महत्त्वपूर्ण लाभ सरकार को भी होगा। इन बैंकों के द्वारा एकत्र की गई सारी राशि सरकार के अल्पावधि कार्यों में निवेश की जायेगी। इस प्रकार सरकारी उद्यमों में निवेश के लिए अपार धन उपलब्ध हो पायेगा। ऐसी भी सम्भावना है कि इन भुगतान बैंकों के बाद सरकार इन्हीं बैंकों को छोटे स्तर के ऋण देने के लिए भी अधिकृत कर सकती है।
उस अवस्था में ऋण की ब्याजदर भी वर्तमान दरों से कम होगी और छोटे स्तर के ऋणों का लाभ सामान्य नागरिकों तथा छोटे स्तर के उद्यमियों और कृषकों को होगा जो आज की व्यवस्था में बड़े बैंकों से ऋण लेने में संकोच ही करते हैं क्योंकि बड़े बैंकों का ऋण देने का नजरिया केवल बड़े उद्यमियों को बड़ी राशियों के ऋण तक ही सीमित होता है। इसलिए आर्थिक क्षेत्रों में यह कहा जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार यदि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए और कोई भी कार्य न करे तो केवल भुगतान बैंकों की स्थापना का यह कार्य ही अपने आपमें में आर्थिक सुधारों को आम नागरिक तक पहुँचाने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा। भारत का रिजर्व बैंक 11 निजी कम्पनियों को भुगतान बैंक खोलने की अनुमति दे चुका है। ये निजी कम्पनियाँ हैं – आदित्य बिरला ग्रुप, रिलायंस, एयरटेल, पे-टी.एम., महिन्द्रा, डाक विभाग, विजय शेखर शर्मा तथा सनफार्मा आदि।
कोई भी व्यक्ति या संस्था जिसके पास 100 करोड़ रुपये की राशि हो वे रिजर्व बैंक की अनुमति से यह भुगतान बैंक प्रारम्भ कर सकते हैं। इस प्रकार इन भुगतान बैंकों को बेशक निजी क्षेत्र के लिए छोड़ा गया है परन्तु सरकार नागरिकों के धन की सुरक्षा के लिए पूरी जिम्मेदार होगी। इस सुरक्षा के दो मुख्य आधार हैं – प्रथम, ऐसे बैंक खोलने की अनुमति केवल उन औद्योगिक घरानों को दी गई है और भविष्य में भी दी जायेगी जिनका सुरक्षा फण्ड न्यूनतम 100 करोड़ होगा। दूसरा, सुरक्षा का आधार यह है कि इन बैंकों द्वारा एकत्र की गई सारी राशि सरकारी कार्यों में ही निवेश होगी। सरकारी निवेश से राशि को वापिस लेना कठिन नहीं होता। भुगतान बैंकों के माध्यम से नरेन्द्र मोदी सरकार ने बैंक व्यवस्था को एक नये और व्यापक रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया है।
-भारतीय बैंक व्यवस्था में एक क्रांतिकारी तूफान
-विमल वधावन , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट