• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar

logo kanoonreview

  • Home
  • About Us
  • Our Team
    • Editorial
    • Reporters
  • News
  • English Articles
  • Hindi Articles
  • Subscription
  • Contact Us

भूमाफिया को गैंगस्टर की कार्यवाही से बचाने की,की पुरजोर कोशिश

11.06.2018 By Editor

गौतमबुद्धनगर प्रोसीक्यूटिंग डिपार्टमेंट का कारनामा

एसपीओ और ज्वाइंट डायरेक्टर रहे आमने सामने

मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू गौतमबुद्धगर

———————————————————-यूपी में महंत योगी आदित्यनाथ सरकार ने भूमाफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के अभियान को तेज धार देने के लिए एंटी भूमाफिया सेल का गठन किया। गौतमबुद्धनगर यूपी का एक ऐसा जिला है जहां की जमीनें आज भी सोना उगल रही हैं। यही कारण है कि यहां की जमीनों पर भूमाफिया नजरें गडाएं रहते हैं। इनमें भूमाफिया मोती गोयल की हाल ही में हत्या हो चुकी है और हत्या के पीछे भूमि संबंधी विवाद का खुलासा पुलिस द्वारा किया गया था। यहां भूमाफिया मोती गोयल ही नही बल्कि ऐसे न जाने कितने ही मिलेंगे जो जमीनों को हथियाने के मामले की ताक में लगे रहते हैं। गौतमबुद्धनगर में एंटी भूमाफिया सेल ने इस तरह के भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान छेडा और कई स्थानों पर भूमि को मुक्त भी कराया गया। किंतु एंटी भूमाफिया धरपकड अभियान को मात देने के लिए खुद ही प्रोसीक्यूटिंग डिपार्टमेंट ही आडे आ गया।। डीएम और एसएसपी भूमाफिया के खिलाफ गैंगस्टर की कार्यवाही भेजने का इंतजार करते ही रहे और प्रोसीक्यूटिंग डिपार्टमेंट भूमाफिया को बचाने में ही लगा रहा। गैंगस्टर की कार्यवाही के लिए ओपीनयन में खुद एसपीओ और ज्वाइंट डायरेक्टर आमने सामने आ गए। देरी का फायदा भूमाफिया को मिलने ही वाला था अर्थात भूमाफिया जमानत कराने में कामयाब हो जाता, इससे पहले ही एसपीओ की ओर से गैंगस्टर की ओपीनयन भेज दी गई। गैंगस्टर की ओपीनयन मिलने पर गैंगस्टर लागू हो गया और भूमाफिया के जमानत करने के मंसूबों पर साफ पानी फिर गया।

थाना बिसरख क्षेत्र का गैंग लीडर देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया पुत्र करण सिंह मूल मुकदमों में जेल के अंदर था, उसी दौरान उसके विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही करने हेतु पुलिस के आला अधिकारियों और जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए। थाना बिसरख पुलिस ने देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया के खिलाफ दर्ज किए गए  सारे मुकदमों और चार्जशीटों का विवरण नही भेजा। सीनियर प्रोसीक्यूटिंग ऑफिसर ललित मुद्दगल ने गत दिनांक 2 नवंबर 2017 को क्षेत्राधिकारी, ग्रेटर नोएडा-3 को एक पत्र प्रेषित कर अवगत कराया कि अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया के विरूद्ध वर्ष 2005,2006 और 2007 के 4 अभियोग छल एवं कूटरचना से संबंधित दर्शाए गए हैं। इनके अतिरिक्त एक अन्य प्रकरण, जो कि मारपीट और धमकी देने से संबंधित है, वर्ष 2017 का है। गैंग के दूसरे सदस्य के रूप में देवेंद्र सिंह के भाई राजेंद्र का दर्शाया गया है,जिसके विरूद्ध केवल मु0अ0स0-459/17 पंजीकृत है। अभियुक्त देवेंद्र मुखिया के विरूद्ध पंजीकृत मामले गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही हेतु अच्छे मामले हैं, लेकिन गैंग के गठन और अपराधिक घटनाओं को गिरोहबंद अपराधिक क्रियाओं की परिभाषा में लाने हेतु पर्याप्त साक्ष्य का प्रथमदृष्टया अभाव है। इस प्रकार सरसरी तौर पर गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही किए जाना उचित नही होगा। इसलिए थानाध्यक्ष बिसरख अथवा थाने के किसी अन्य उपनिरीक्षक को यह निर्देशित करने का कष्ट करें कि वे अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया पंजीकृत समस्त मामलों को छांट कर उनकी प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं अपरोप पत्र की प्रतियां लेकर उनके कार्यालय मे विचार विमर्श के लिए उपस्थित हों, जिससे गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत गुणात्मक कार्यवाही किए जाने हेतु गैंग चार्ट तैयारा जा सके। गैंग चार्ट तैयार किए जाने की कार्यवाही यह मामला जब संयुक्त निदेशक अभियोजन के वीरेंद्र विक्रम सिंह समक्ष आया। संयुक्त निदेशक अभियोजन गौतमबुद्धनगर की ओर से दिनांक 22 फरवरी 2018 को एक पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रेषित करते हुए अवगत कराया गया कि गिरोह के सदस्य लटूर के विरूद्ध गैंग चार्ट के अनुसार तीन वाद दर्ज हैं, जिनमें से मु0अ0स0-35/05 धारा 420,467,468,471,120-बी तथा मु0अ0स0 1262/07 धारा 420,467,468,471 थाना दादरी में पंजीकृत हैं। इस वाद में गिरोह के दो सदस्य देवेंद्र सिंह व राजेंद्र सिंह अभियुक्त नही हैं, अपितु केवल लटूर की गैंग चार्ट में अभियुक्त दर्शाया गया है। गैंग चार्ट में नवीन वाद के रूप दर्शाए गए दो वाद के रूप में गैंग चार्ट की तीन अभियुक्तों में से एक में दो तथा एक में एक अभियुक्त होने से गैंग चार्ट कमजोर प्रकृति का है जिसकी सफलता की संभावना न्यायालय में बहुत अधिक नही होगी। गैंग चार्ट दर्शित अपराध भा0द0वि0 के अध्याय 16,17 व 22 में आते हैं, जो उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाजविरोधी क्रियाकलाप(निवारण) अधिनियम 1986 की धारा 2(ख)(एक) से आच्छादित है। गैंग चार्ट अनुमोदन करना चाहें। इसी प्रकार फिर प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन के तौर पर सीनियर प्रोसीक्यूटिंग ऑफिसर ललित मुद्दगल ने दिनांक 05 मार्च 2018 को एक पत्र जिलाधिकारी को प्रेषित करते हुए अवगत कराया कि मेरे द्वारा गैंग चार्ट एवं उसके साथ संलग्न अभिलेखों का अध्यन्न किया गया। थाना बिसरख की आख्या अनुसार अभियुक्त गैंग लीडर देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया का एक सुसंगठित गिरोह है। जो भा0द0वि0 के अध्याय 16,17 एवं 22 में वर्णित दंडनीय अपराध कारित कर अपने निजी आर्थिक एवं भौतिक हितों की पूर्ति हेतु फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरों की कृषि भूमि की खरीद फरोख्त कर अवैध धन अर्जित कर जीवन यापन करते हैं। उपरोक्त गैंग का यह कृत्य उ0प्र0 गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 की धारा 2/3 के अंर्तगत दंडनीय अपराध है। थाना बिसरख द्वारा तीनों अभियुक्तों क अपराधिक इतिहास प्रस्तुत किया गया है। अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया के विरूद्ध वर्ष 2007 से 2017 के मध्य की अवधि के मामले भी अपराधिक इतिहास के रूप में संलग्न किए गए हैं। 2 मामलों में देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया और राजेंद्र अभियुक्त हैं तथा 2 मामलों में देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया और लटूर अभियुक्त हैं। गैंग चार्ट में अभियुक्तों की उम्र दर्शाई गई है, अभियुक्तों के विरूद्ध कायम अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा आरोप पत्रों की स्व. प्रमाणित प्रतियां संलग्न की गई हैं। साथ ही थानाध्यक्ष बिसरख द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र भी संलग्न किया गया है कि गैंग चार्ट में दर्शित अपराधों में जनपद के किसी भी थाने पर अन्य गैंगस्टर अधिनियम का अपराध पंजीकृत नही है। अतः मेरी राय में उपरोक्त अभियुक्तगणों के विरूद्ध गैंग चार्ट अनुमोदित करने में कोई विधिक बाधा नही है। गैंग चार्ट के अनुमोदन होते ही भूमाफिया देवेंद्र मुखिया पर गैंगस्टर का मामला दर्ज हो गया। इससे भूमाफिया देवेंद्र मुखिया के जमानत पर आने के मंसूबों पर एक बार फिर पानी गया।

 

ज्वाइंट डायरेक्टर प्रोसीक्यूटिंग ने कहा कि गैंगस्टर के लिए नही मिला आधार


 ज्वाइंट डायरेक्टर प्रोसीक्यूटिंग  वीरेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि गैंगस्टर की कार्यवाही के लिए पुलिस द्वारा सारे मुकदमों का विवरण नही भेजा गया यही कारण रहा कि मजबूत ओपीनयन नही दी गई।

एसपीओ ने कहा कि गैंगस्टर की कार्यवाही के लिए सारे सुबूत

————————————————————एसपीओ ललित मुद्दगल ने बताया कि थाना बिसरख पुलिस ने पहले भूमाफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों का विवरण नही भेजा। इस बात से उन्होंने पुलिस क्षेत्राधिकारी को अवगत कराया जिसके बाद पुलिस से सारे मुकदमें और आरोप पत्र भेजे जिससे गैंगस्टर की कार्यवाही का आधार मिल गया और ओपीनयन भेज दी गई। डीएम साहब ने तुरंत गैंगस्टर का अप्रवूल दिया और कोर्ट में यह बात रख दी गई जिससे भूमाफिया की जमानत होने से रह गई।

क्या है एंटी भूमफिया टास्क फोर्स

———————————- सरकारी व निजी संपत्ति से अवैध कब्जे हटाने के लिए एंटी भू.माफिया टास्क फोर्स के गठन का आदेश यूपी में योगी सरकार के आसित्व में आते ही जारी किया गया। मुख्य सचिव ने सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव और एसएसपी को इस संबंध में प्राथमिकता पर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। शासन ने राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, मंडल स्तर पर कमिश्नर, जिले में डीएम व तहसील में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया।

क्या है गैंगस्टर की पुलिस कार्यवाही का हंटर

————————————————गैंगस्टर एक्ट में गौवध, गौ तस्करी, गोला.बारूद के निर्माण और उसके क्रय.विक्रय के साथ.साथ तमाम क्रूर अपराधों को भी शामिल किया गया है। एक्ट में संशोधन के बाद क्रूर अपराध करने वाले शातिरों पर पुलिस अब सीधे गैंगस्टर की कार्रवाई का हंटर चला सकती है। संविधान के अनुच्छेद 201 के अधीन उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2015 पर विगत 10 अप्रैल को अनुमति प्रदान की गई। संशोधन पर राष्ट्रपति की तरफ से मुहर भी लग चुकी है। उत्तर प्रदेश गिरोह बंद समाज विरोधी क्रियाकला निवारण अधिनियम 1986 की धारा 2 में खण्ड (क) के उपखण्ड (15) के बाद करीब एक दर्जन उपखण्ड बढ़ाए जाएंगे। संशोधन पर मुहर लगने के बाद अब साहूकारी विनियमन अधिनियम 1976 भी गैंगस्टर एक्ट के दायरे में होगा। गोवध निवारण अधिनियम 1955 पशुओं के खिलाफ क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 के साथ.साथ मवेशियों को परिवहन कर ले जाना और उनकी तस्करी करना भी गैंगस्टर एक्ट के दायरे में होगा। वाणिज्यिक शोषण और बंधुआ श्रम, बालश्रम, यौन शोषण, अंग हटाने और भिक्षावृत्ति कराने वाले अपराधियों पर भी पुलिस सीधे गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई का हंटर चला सकेगी। विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1966 के अधीन दंडनीय होगा। नकली नोटों का मुद्रण और परिवहन करने वालों पर भी गैंगस्टर की कार्रवाई पुलिस कर सकेगी। साथ ही नकली दवाओं के उत्पादन, क्रय.विक्रय और गोला बारूद का निर्माण आयुध अधिनियम 1959 की धारा 5, 7 और 12 के साथ ही राज्य लोक व्यवस्था सुरक्षा के मामलों में भी पुलिस को सीधे गैंगस्टर की कार्रवाई का बड़ा अधिकार मिल चुका है। पुलिस के जानकारों और विधि विशेषज्ञों की मानें तो इन अपराधों पर नकेल कसने के लिए पुलिस के पास अब कार्रवाई के पर्याप्त अधिकार मिल चुके हैं। पहले जेल जाने के बाद अपराधियों को जल्द जमानत मिल जाती थी लेकिन गैंगस्टर की कार्रवाई के बाद अब अपराधियों के लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहना होगा।

भूमाफिया देवेंद्र मुखिया की ऐसे हुई गिरफ्तारी

———————————————–थाना बिसरख पुलिस ने धोखाधड़ी व फर्जी तरीके से जमीन बैनामा करने के मामले में देवेंद्र मुखिया को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के पीछे यह अहम कारण रहा कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने देवेंद्र मुखिया को भगौड़ा घोषित कर रखा था। कोर्ट ने वारंट जारी कर बिसरख पुलिस को तत्काल देवेंद्र मुखिया को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने तत्परता दिखते हुए 20 जुलाई 2017 को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने मुखिया को कोर्ट में पेश कियाए जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई भूमाफिया की सूची में देवेंद्र मुखिया का नाम भी शामिल रहा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक 2006 में देवेंद्र मुखिया ने धोखे से नेतराम नाम के शख्स से छह लाख रुपये लेकर उसके नाम जमीन का बैनामा किया था। बाद में नेतराम को ज्ञात हुआ जमीन का बैनामा मुखिया ने किया है, वो जमीन पहले से बिकी हुई है। मामला कोर्ट पहुंच गया। नेतराम की तरफ से कोर्ट में वाद दायर किया गया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान देवेंद्र मुखिया को फर्जी तरह से जमीन बेचने का आरोपी माना और कोर्ट में पेश होने के लिए कहा। कोर्ट के कई रिमाइंडर के बाद भी मुखिया कोर्ट में पेश नहीं हुआ। दस साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी देवेंद्र मुखिया जब कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो कोर्ट ने उसके खिलाफ वारंट जारी कर दिया। कोर्ट ने मुखिया को भगौड़ा घोषित किया। मुखिया को इससे पहले भी बिसरख पुलिस ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना के मामले में गिरफ्तार किया था। मामले में कुछ दिनों पहले ही कोर्ट से मुखिया को जमानत मिली थी। देवेंद्र मुखिया की पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार पर अच्छी पकड़ थी। मुखिया को पिछली सरकार में सरकारी गनर भी  हुए थे।

 

 

 

Filed Under: Hindi

Primary Sidebar

Kanoon Review
Go to Youtube!

RSS Kanoonreview Latest Youtube Videos

  • सुबह सैर पर निकले लोगों से पता पूछने के बहाने चेन छीनने वाला बदमाश दबोचा 08.08.2022
  • दिल्ली पुलिस ने एनकाउंटर के बाद किये अंतरराज्यीय एटीएम लुटेरे गिरफ्तार। 01.08.2022
  • औरैया में पुलिसअधीक्षक के आदेश पर सघन चेकिंग अभियान चलाया। 31.07.2022
  • अपहरण करके फिरौती मांगने का आरोपी गिरफ्तार | 31.07.2022
  • भरतपुर विधानसभा क्षेत्र के #हथैनी गांव में कानून रिव्यू की ग्राउंड रिपोर्ट । 30.07.2022

Copyright © 2022 Managed By : Layerwire